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बीस की उम्र में 200 लड़कियों की गुरु बन गई हैं शिप्रा

Published - Sun 31, Mar 2019

अपराजिता चेंजमेकर्स

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चंडीगढ़। सड़कों पर भीख मांगते बच्चों को क्या देखा कि शिप्रा मन ही मन बेचैन हो उठी। मन में सवाल आया, हाथ में कलम थामने की उम्र में भीख मांगने और गाड़ियों की सफाई करने वाले बच्चे क्या कभी शिक्षा हासिल नहीं कर सकेंगे। इस सवाल ने इतना परेशान किया कि शिप्रा ने खुद प्रण ले लिया और ऐसे बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने की ठान ली। इसके लिए पहले ऐसे बच्चों के अभिभावकों को खोजा। उन्हें अक्षर ज्ञान दिया, पढ़ाई करवाई। अब हालात यह हैं कि शिप्रा 200 बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रही हैं। वह 20 साल की उम्र में ही 200 लड़कियों की गुरु बन गईं। शिप्रा की उड़ान यहीं तक नहीं है, वह जातिवाद के खिलाफ भी आवाज उठा रही हैं। यही कारण है कि वह अपने नाम के आगे सरनेम नहीं लगाती। उनका कहना है कि सरनेम जातिवाद को उजागर करता है। शिप्रा हरियाणा के भिवानी जिले की रहने वाली हैं। 2016 में वह चंडीगढ़ पहुंची तो भीख मांगने वाले बच्चों को देखा। उनकी हालत देखकर उन बच्चों के लिए कुछ करने की ठानी, लेकिन दिक्कत थी खुद की पढ़ाई की भी। वह पीयू से स्नातक कर रही थीं। परिवार में पिता डॉ. पवन कुमार को भी यह बात बताई। पहले तो परिवार के लोग राजी नहीं हुए, बाद में मान गए। उनका तर्क था कि पहले खुद पैरों पर खड़ी हो जाएं और उसके बाद यह काम करें, लेकिन शिप्रा कहां मानने वाली थी। उन्होंने सेक्टर-25 में ऐसे बच्चों को चिह्नित किया और उनको पढ़ाई के लिए राजी किया। पीयू के सेक्टर 25 स्थित यूआईईटी में दो कमरे आवंटित कराए और पढ़ाई कराना शुरू कर दिया। पहले बच्चों का बेसिक क्लीयर किया और उसके बाद उन्हें साफ-सफाई के बारे में बताया गया। आज 200 से अधिक बच्चे उनसे शिक्षा ले रहे हैं। यही नहीं 20 से अधिक गरीब महिलाएं भी पढ़ने आ रही हैं। शिप्रा कहती हैं कि महिलाएं सशक्त हो रही हैं, लेकिन अभी इसके लिए और समय लगेगा।