अपराजिता मैदान की महारथी
देहरादून। उत्तराखंड की बेटियां हर जगह अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। प्रदेश में ऐसी बेटियों की फेहरिस्त लंबी है, जिन्होंने न सिर्फ अपने दम पर सफलता हासिल की, बल्कि माता-पिता व प्रदेश का नाम रोशन किया। चाहे खेल का मैदान हो, व्यवसाय हो या हो पढ़ाई, इन बेटियों ने सभी में अपनी प्रतिभा से सबको दिखा दिया है कि वह किसी से कम नहीं हैं। भारतीय महिला क्रिकेट में जहां कुछ साल पहले तक क्रिकेटरों को जाना तक नहीं जाता था, आज उसी क्रिकेट टीम में उत्तराखंड की मानसी जोशी और एकता बिष्ट ऐसे दो चेहरे हैं जिन्होंने अपने प्रदर्शन से देश-विदेश में नाम रोशन किया है। हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया ने रियो ओलंपिक प्रतिभाग किया। शटलर कुहू गर्ग ने एक ही साल में दो अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते हैं। कुहू के अलावा जूनियर शटलर उन्नति बिष्ट राष्ट्रीय रैंकिंग में तीसरे स्थान पर हैं।
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मानसी जोशी, क्रिकेटर
उत्तरकाशी निवासी मानसी की बचपन में एथलेटिक्स में रुचि रही थी। धीरे-धीरे क्रिकेट की तरफ उनका रुझान हुआ और उन्होंने इसे अपना लिया। घरेलू क्रिकेट में वे हरियाणा से खेलती हैं। मानसी ने 26 नवंबर 2016 को बांग्लादेश के खिलाफ टी-20 से भारतीय टीम में पदार्पण किया। इसी के साथ उन्होंने दिखा दिया कि वे अपने इस खेल में कितनी खास हैं। अपने दूसरे ही मैच में प्लेयर ऑफ द मैच रहकर उन्होंने इस खेल के प्रति अपनी रुचि और जज्बे को साबित कर दिया। एकदिवसीय मैच में 10 फरवरी 2017 को आयरलैंड टीम के खिलाफ पदार्पण किया। इसके बाद मानसी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब हर सीरीज में भारतीय महिला टीम का हिस्सा रहती हैं।
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एकता बिष्ट, क्रिकेटर
अल्मोड़ा की बेटी एकता बिष्ट का क्रिकेट से नाता बचपन से ही रहा है। जब एकता छह साल की थी, तभी उन्होंने क्रिकेट का बल्ला हाथ में थाम लिया था। वर्ष 2012 से वह रेलवे टीम से जुड़कर घरेलू क्रिकेट खेल रहीं हैं। वहीं, 23 जून 2011 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 व 2 जुलाई 2011 को एक दिवसीय क्रिकेट से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकता ने पदार्पण किया। एक दिवसीय मैच में दो बार पांच विकेट लेने का कीर्तिमान एकता के नाम हैं। खास बात यह है कि इसमें एक मैच पाकिस्तान के खिलाफ था, जिसमें एकता ने पांच विकेट लेकर पाकिस्तानी टीम को लोहे के चने चबवा दिए थे। वर्ष 2017 में उत्तराखंड सरकार ने खेल रत्न अवार्ड के लिए एकता को नामित किया।
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वंदना कटारिया, हॉकी
भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी में भी उत्तराखंड की बेटी कमाल दिखा रही हैं। हरिद्वार निवासी वंदना ने शुरुआत तो खो-खो खेल से की, लेकिन धीरे-धीरे उनके हाथ में हॉकी स्टिक आ गईं। वर्ष 2006 में जूनियर इंटरनेशनल स्पर्धा से शुरुआत की। इसके बाद 2010 में सीनियर राष्ट्रीय टीम में एकता जगह बनाने में सफल रही।
वर्ष 2013 में जर्मनी में हुए जूनियर विश्व कप में एकता की टीम ने कांस्य पदक जीता। जूनियर विश्व कप में सबसे अधिक गोल दागने का रिकॉर्ड, चार खेल में पांच गोल एकता के नाम रहा। वर्तमान में एकता भारत की राष्ट्रीय टीम से खेल रही हैं और 120 स्पर्धाओं में 35 गोल दाग चुकी हैं।
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कुहू गर्ग, बैडमिंटन
देहरादून की कुहू ने भी अपनी प्रतिभा से न केवल शहर बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है। बैडमिंटन को कुहू ने अपना पसंदीदा खेल बनाया और 2007 से इस खेल से जुड़ गईं। वे उत्तराखंड से वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में प्रतिभाग करने वाली पहली खिलाड़ी हैं। यही नहीं, उन्होंने एक साल में दो अंतरराष्ट्रीय खिताब जीतने का कीर्तिमान भी अपने नाम किया। आइसलैंड इंटरनेशनल-2018 के मिक्स डबल्स में स्वर्ण पदक जीता तो लागोस इंटरनेशनल चैलेंज-2018 के वीमेन डबल्स में भी स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। कुहू हेलास इंटरनेशनल सीरीज-2017 के मिक्स डबल्स में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.