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दीपा : इतिहास की पांचवीं महिला जो प्रोदुनोवा वॉल्ट कर सकी

Published - Tue 12, Mar 2019

अपराजिता मैदान की महारथी

aparajita maidaan ki maharathi Dipa Karmakar

1980 के ओलंपिक मुकाबले में चीन की जिमनास्ट चो जोंग सिल ने पहली बार हैंड स्प्रिंग डबल फ्रंट का प्रयास किया, लेकिन पीठ के बल गिरीं और विफल रहीं। उनके बाद अगले 19 वर्ष कई खिलाडिय़ों ने इसका प्रयास किया, लेकिन सभी विफल। फिर आई 1999 की वल्र्ड चैंपियनशिप, जहां रूसी जिमनास्ट येलेना प्रोदुनोवा ने ऐसा करने का प्रयास किया, सफलता पाई, और यह कलाबाजी उनके नाम पर 'प्रोदुनोवा वॉल्ट' कहलाई। इसके बाद कई खिलाड़ियों ने अलग अलग प्रतियोगिताओं में इसे दोहराने का प्रयास किया, लेकिन चार ही सफल हो सके, इनमें भारत की दीपा करमाकर का नाम अलग से चमका, क्योंकि वे भारत से एक महिला जिम्नास्ट के तौर पर ओलंपिक में हिस्सा ले रही थीं। भले ही इस इवेंट में वे चौथे स्थान पर रहीं और पदक से चूक गईं, लेकिन सफल प्रोदुनोवा वॉल्ट ने न केवल उन्हें बल्कि पूरे भारत का नाम सभी की जुबान पर चढ़ा दिया। सचिन तेंदुलकर से लेकर अभिनव बिंद्रा तक ने उन्हें देश का गर्व और अपना हीरो करार दिया।

संघर्षों में तप कर निखरीं
छह वर्ष की उम्र में जिम्नास्टिक शुरू करने वाली दीपा का संघर्षों से हमेशा नाता रहा। अपने ही खेल में उन्हें 2007 में फ्लैट फीट की समस्या से जूझना पड़ा जो किसी जिम्नास्ट के लिए कॅरिअर का अंत समझी जाती है। लेकिन वे अभ्यास और प्रशिक्षण के जरिए इससे उबरीं और विभिन्न स्तर पर कुल 77 पदक हासिल किए, जिनमें से 67 स्वर्ण पदक हैं।

'जब लड़कियां जीत कर आती हैं तो सरकार से लेकर समाज तक उन्हें सर आंखों पर बैठाता है। लेकिन इससे पहले जो संघर्ष है, उसमें भी अगर सहयोग और प्रोत्साहन मिलेगा तो, भारतीय लड़कियां जो खेलों में नाम करना चाहती हैं, वे देश को गर्व करने के कई अवसर देंगी।'
दीपा कर्माकर, जिमनास्टिक