अपराजिता मैदान की महारथी
एक किशोर उम्र की लड़की को मॉडलिंग का प्रस्ताव मिले तो यह उसके लिए गर्व की बात हो सकती है, लेकिन दिल्ली के नारायणा विहार की रहने वाली मनिका बत्रा ने इसे ठोकर मार दी। वजह, उनका खेल के प्रति समर्पण। केवल चार साल की उम्र में टेबल टेनिस से उनका नाता जुड़ चुका था, उनके बड़े भाई साहिल और बहन आंचल भी इस खेल को खेलते थे। मनिका ने राज्य स्तर पर आठ वर्ष आयु वर्ग में प्रथम स्थान हासिल किया, इसके बाद पेशेवर कोचिंग ली और फिर मुड़कर नहीं देखा। 19 वर्ष की उम्र में 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में क्वार्टरफाइनल तक पहुंची थीं, लेकिन 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में इस हार का बदला लिया और भारत के लिए पहली बार टेबलटेनिस की महिला एकल स्पर्धा में स्वर्णपदक जीतने वाली खिलाड़ी बनी। उनकी उपब्धियों को देखते हुए दिसंबर 2018 में मनिका को अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस फेडरेशन द्वारा ब्रेकथू्र स्टार अवार्ड से नवाजा गया।
...तो आपमें भी है क्षमता
देश की बाकी लड़कियों को प्रेरित करने के लिए खुद अपनी एक अनूठी कमी के बारे खुलासा करते हुए मनिका कहती हैं कि जब मेरी जैसी बेहद शर्मीली लड़की टेबल टेनिस में इतना कुछ हासिल कर सकती है तो दूसरी लड़कियां भी अपने सभी सपने पूरे कर सकती हैं। अपनी सफलता के लिए मनिका परिवार और कोच संदीप गुप्ता को श्रेय देती हैं।
'मुझे देखकर अगर कोई और लड़की प्रेरित होती है और अपना मुकाम बनाती है तो यह खुद उनके लिए किसी खिताब जीतने जैसा होगा।'
मनिका बत्रा, टेबल टेनिस
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.