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कभी स्पोर्ट्स शूज खरीदने के भी पैसे नहीं थे, आज हेप्टाथलन की बड़ी खिलाड़ी बनीं स्वपना

Published - Tue 12, Mar 2019

अपराजिता मैदान की महारथी

aparajita maidaan ki maharathi Swapna Barman

100 मीटर बाधा दौड़, ऊंची कूद, शॉटपुट, 200 मीटर दौड़, लंबी कूद, भाला फेंक और 800 मीटर दौड़, ये सात मुकाबले होते हैं एक हेप्टाथलन प्रतियोगिता में। पश्चिम बंगाल में जलपाइगुड़ी के एक रिक्शा चालक पंचन बर्मन की बेटी स्वप्ना बर्मन ने एशियाड 2018 की इस प्रतियोगिता का गोल्ड मेडल जीता। 1993 में जन्मी स्वप्ना के दोनों पैरों में छह-छह अंगुलियां हैं, मां बशोना एक चाय बागान में काम करती थीं, पिता का काम बीमारी की वजह से छूट चुका है, घर की आर्थिक स्थितियां इतनी खराब थीं कि उनके बचपन के कोच के अनुसार स्वप्ना अपने लिए एक जोड़ी स्पोर्ट्स शूज भी नहीं खरीद सकती थीं। वहीं पैरों में अतिरिक्त अंगुलियों की वजह से अभ्यास के दौरान भीषण दर्द भी सहतीं।  सभी विपत्तियों और दुश्वारियों का स्वप्ना ने कड़ा मुकाबला करते हुए अपना लोहा मनवाया है।

विदेश जाने से लेकर कपड़ों तक के लिए 'वे लोग' चिंता करते थे
अपनी सफलता मिलने के पहले के दिनों को याद करते हुए स्वप्ना कहती हैं कि जहां कुछ परिचित और कोच उनकी मदद में हमेशा आगे रहते थे, कई नकारात्मक बातें भी उनके परिवार से कुछ लोग आकर कह जाते। यहां तक कहा जाता कि स्वप्ना लड़की है, अकेली विदेश कैसे जा सकती है? वहां जाकरर वह छोटे-छोटे कपड़े पहनेगी। लेकिन परिवार वालों ने इसकी परिवाह नहीं की।

'आज लड़का और लड़की के बीच इस प्रकार का फर्क करने वालों की बातों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं रह गई है। वे खुद को खुशकिस्मत मानती हैं, जिन्हें परिवार का भरपूर साथ मिला। लड़कियों की 'चिंता' करने वाले लोगों की परवाह न करें, अपने मेहनत और अभ्यास पर विश्वास रखें और सपनों को पूरा करें।
स्वप्ना बर्मन, हेप्टाथलन प्लेयर