अपराजिता नारी तुझे सलाम
युद्ध के दौरान सेना को मदद करने वाली शाखा है इंडियन आर्मी कॉर्प ऑफ सिग्नल्स। इसकी डेयरडेविल मोटरसाइकिल राइडर डिसप्ले टीम गणतंत्र दिवस परेड में विभिन्न किस्म के स्टंट और कौशल दिखाती है। इस बार भी टीम तैयार थी, लेकिन कुछ खास अंदाज में। इस बार मोटरसाइकिल पर पिरामिड रचने वाली 33 सदस्यीय पुरुष सैनिकों के साथ कैप्टन शिखा सुरभि भी शामिल थीं। उन्होंने पिरामिड फॉरमेशन में सबसे आगे रहकर मुख्य अतिथि को सेल्यूट किया। यह एक विलक्षण मौका था, जब सेना के पुरुषों के एक दल का नेतृत्व महिला सैन्य अधिकारी ने किया। 28 वर्ष की शिखा बॉक्सिंग और बास्केटबॉल की खिलाड़ी रही हैं और भारतीय सेना में आने से पहले वे आईटी में इंजीनियरिंग कर चुकी हैं। विजय चौक पर स्टंट राइडिंग के लिए उन्हें तीन महीने प्रैक्टिस करनी पड़ी। कहती हैं कि हाथ छोड़कर बाइक चलाना, इस पर खड़े होना, यह सब आप अचानक नहीं आ जाता, लगातार अभ्यास करना होता है। इस दौरान डर भी लगता है, पर हो गया।
बाइक चलाना तो स्कूल में सीखा पर स्टंट सेना में शामिल होने के बाद
शिखा ने बताया कि बाइक चलाना उन्होंने कक्षा सात में ही सीख लिया था। परिवार ने इस पर कभी आपत्ति नहीं की, बल्कि सपोर्ट ही किया। बाइक चलाना उनके लिए सामान्य काम था और वे इस पर अपनी दोस्तों के साथ लद्दाख की ट्रिप भी लगा चुकी थीं। शिखा हंसते हुए कहती हैं कि 'बाइक पर स्टंट करना सेना में आने के बाद सीखा।'
बेहतरीन लीडर साबित हो रही महिलाएं
महिलाओं के नेतृत्व कौशल के बारे में कहती हैं कि वे बेहतर लीडर साबित हो रही हैं। हालांकि अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। सबसे महत्वपूर्ण है कि उन्हें अच्छी शिक्षा मिले। वे शिक्षित ही नहीं होंगी तो उस स्तर पर उनकी संख्या कम होगी, जहां से नेतृत्व आते हैं। आज महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कई वजहे हैं, माहौल भी। नारी शक्ति हमारे जीवन में रोजमर्रा का शब्द हो चुका है।
'समय है खुद परिवार अपनी बेटियों को प्रेरित करने वाली शक्ति बनें। खुद मुझे भी अगर परिवार से सहयोग न मिला होता, रोक टोक होती तो शायद 26 जनवरी को मैं भी बाइक पर नहीं होती।'
कैप्टन शिखा सुरभि
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.