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कोरोना से जंग लड़ने में अहम भूमिका निभा रहीं देश की ये पांच महिलाएं

Published - Mon 04, May 2020

कोरोना से जंग लड़ने में देश की पांच महिलाएं अहम भूमिका निभा रहीं हैं। इन्होंने फ्रंट से मोर्चा संभाला हुआ है और दिन-रात एक करके इस जंग को जीतने में जी-जान से जुटी हुई हैं।

देश की पांच कोरोना योद्धाएं

नई दिल्ली। कोरोना से जंग लड़ने में महिलाएं सकारात्मक भूमिका निभा रही हैं। अभी हाल ही में पंजाब के एक अधिकारी ने कहा था कि महिलाओं की अधिक भर्ती होनी चाहिए क्योंकि वह कोरोना काल जैसी स्थिति में भी घर और कार्यालय दोनों को बेहतर तरीके से संभाल रही हैं। इससे यह बात साबित होती है कि वह हर काम को बेहतर तरीके से कर पाती हैं। ऐसे ही देश में पांच ऐसी महिला अधिकारी हैं, जिन्होंने कोरोना से जंग लड़ने में फ्रंटफुट पर हैं। यह टीम, रिसर्च का काम भी संभाल रही है।
यह टीम के जिम्मे न सिर्फ बीमारी के इलाज के नए तरीकों की तलाश करना है बल्कि पूरे विश्व में किस तरह से इस बीमारी को लेकर नई-नई बातें सामने आ रही हैं, उन्हें भी ट्रैक करना, इनके जिम्मे है। हर फैसले में इनका फीडबैक अहम माना जाता है। इस टीम में शामिल हैं डॉ. प्रीति सूदन, डॉ. प्रिया अब्राहम, डॉ. निवेदिता गुप्ता, डॉ. रेणु स्वरूप और बीला राजेश।

डॉ. प्रीति सूदन 

डॉ. प्रीति सूदन स्वास्थ्य सचिव हैं। हर फैसले में उनकी भूमिका अहम होती है। हाल में ही उनका कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ाया गया है। प्रीति लगातार राज्‍यों के संपर्क में रहकर कोरोना को रोकने की कोशिश में लगी हैं। वह केंद्र के सभी डिपार्टमेंट्स से कोऑर्डिनेट करती हैं ताकि सरकार की पॉलिसीज ठीक से लागू हो सकें। वह काम को अंजाम देने के लिए दिन-रात जुटी रहती हैं।

डॉ. प्रिया अब्राहम

डॉ. प्रिया अब्राहम नेशनल इंस्ट्रीट्यूट ऑफ वायरॉलजी, पुणे की निदेशक हैं। उन्होंने इस घातक कोरोना वायरस का गहन अध्ययन किया है। इससे बीमारी को बेहतर तरीके से समझने और इसका इलाज खोजने में मदद मिलेगी। नेशनल इंस्ट्रीट्यूट ऑफ वायरॉलजी, आईसीएमआर से संबद्ध है। यह इंस्ट्रीट्यूट शुरू में कोविड-19 के टेस्ट का एकमात्र टेस्ट सेंटर था। यहीं भारत में पहले तीन पॉजिटिव मामलों की पुष्टि हुई थी। बाद में आईसीएमआर ने टेस्ट लैब की संख्या बढ़ा दी। डॉ. प्रिया ने वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस, एमडी और पीएचडी की है। वह सीएमसी वेल्लोर में क्लिनिकल वायरॉलजी विभाग की प्रमुख भी रह चुकी हैं।

डॉ. निवेदिता गुप्ता

आईसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. निवेदिता गुप्ता कोविड-19 के इलाज और जांच के लिए प्रोटोकॉल तैयार करती हैं। उन्होंने केरल में निपाह वायरस के प्रकोप समय अहम भूमिका निभाई थी। वह उसकी जांच और रोकथाम में शामिल वैज्ञानिकों की टीम में शामिल थीं।  डॉ. गुप्ता ने वायरल के अलग-अलग प्रकोप जैसे- डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इंसेफेलाइटिस, जीका, इन्फ्लूएंजा, खसरा और रूबेला पर भी अच्छा काम किया है। वह उस टीम का भी हिस्सा थीं, जिसने भारत के विभिन्न हिस्सों में इंसेफेलाइटिस को फैलने से रोकने के लिए गाइडलाइंस बनाई हैं।

डॉ. रेणु स्वरूप

डॉ रेणु स्वरूप, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) में जैव प्रौद्योगिकी सचिव हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर देश में शुरू हुए शोधों की निगरानी कर रही हैं। भारतीय वैज्ञानिकों को पूर्ण सफलता के लिए 12 से 18 माह का वक्त लग सकता है। दुनियाभर में वैज्ञानिकों के 75 दल वैक्सीन में जुटे हैं।

डॉ. बीला राजेश

डॉ. बीला राजेश तमिलनाडु सरकार में स्वास्थ्य सचिव हैं। उन्होंने राज्य में कोरोना संक्रमण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहां लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराया गया। जिससे कोरोना की चेन तोड़ने में मदद मिली। इसके साथ ही यहां कोरोना के साथ गंभीर रूप से अन्य मरीजों की जांच की भी रणनीति बनाई गई, जिसके अनुसार अन्य मरीज भी परेशान नहीं हुए। अधिक जांच ने यहां संक्रमण को फैलने से रोका। डॉ. बीला की रणनीति शानदार रही। 

Story by...Antima singh