भारत के कई इलाकों में आज भी लड़कियों के युवा होते ही परिवार वाले उन पर शादी का दबाव डालने लगते हैं। इस कारण बचपन से ही अफसर बनने का सपना संजोए कई बेटियां चाह कर भी मनचाहा मुकाम हासिल नहीं कर पातीं। लेकिन कुछ लड़कियां परिवार और समाज के दबाव में न आकर अपने सपनों में रंग भरने को ज्यादा तरजीह देती हैं। ऐसी ही युवतियों में शामिल हैं बिहार की अभिलाषा। उन्होंने बचपन से ही आईएएस बनने का सपना देखा था। अभिलाषा ने आईएएस बनने तक शादी नहीं करने का फैसला किया था। इसके लिए उन्होंने परिवार को भी मनाया। हालांकि यह सब इतना आसान नहीं रहा। आइए जानते हैं बिहार की इस अफसर बिटिया के संघर्ष और सफलता के सफर के बारे में....
नई दिल्ली। बिहार की रहने वाली अभिलाषा बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थीं। हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें यूपीएससी परीक्षाओं के बारे में जानकारी हुई। इसी दौरान उन्हें यह भी पता चला कि यूपीएससी की परीक्षा पास करके ही आईएएस बना जा सकता था। जब अभिलाषा कक्षा 11वीं में थीं तभी उन्होंने ठान लिया था कि वह आईएएस बनेंगी। हालांकि ग्रेजुएशन करने के दौरान ही उन पर परिवार वालों ने शादी का दबाव बनाना शुरू कर दिया। कई रिश्तेदार रिश्ते लेकर घर आने लगे। इससे अभिलाषा परेशान हो गईं। उन्होंने माता-पिता से अपने मन की बात बताई, साथ ही यह भी बताया कि उन्होंने आईएएस बनने तक शादी नहीं करने का प्रण लिया है। यह सुनकर परिवार वाले थोड़े नाराज हुए, लेकिन अभिलाषा के मनाने पर मान गए। इसके बाद अभिलाषा अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए दिन-रात मेहनत करने लगीं। दो बार यूपीएससी की परीक्षा में मनचाहा परिणाम नहीं मिला, लेकिन हताश नहीं हुईं और तीसरे ही प्रयास में वह आईएएस बन गईं।
कभी नहीं टूटने दिया माता-पिता का विश्वास
अभिलाषा के मुताबिक आईएएस बनने तक शादी न करने का फैसला, तो मैंने कर लिया था, लेकिन इसके लिए माता-पिता को मनाना काफी मुश्किल था। वह कभी रिश्तेदारों तो कभी समाज का हवाला देकर अपनी मजबूरी जाहिर करते और शादी करने की बात कहते। लेकिन मैंने उन्हें कई उदाहरण देकर किसी तरह समझाया। यह भी कहा कि यदि मैं अगले कुछ सालों में आईएएस नहीं बन सकी तो परिवार वाले जहां कहेंगे शादी कर लूंगी। तैयारी के दौरान भी मैं हमेशा इस कोशिश में रही कि परिणाम पहले से बेहतर होते जाएं, जिससे घरवालों का भरोसा न टूटे। इसके लिए मैं कई बार पूरी-पूरी रात जागकर पढ़ाई करती थी।
दसवीं-बारहवीं में रहीं अव्वल
अभिलाषा पढ़ाई में शुरू से काफी होशियार थीं। उन्होंने पटना में रहकर सीबीएसई बोर्ड से कक्षा दसवीं की पढ़ाई की। परीक्षा में फर्स्ट आईं। कक्षा 12वीं में 84 फीसदी अंक हासिल कर परिवार वालों को गौरवांवित किया। इसके बाद इंजीनियरिंग के परीक्षा पास कर ए. एस. पाटिल कॉलेज महाराष्ट्र से बीटेक की पढ़ाई पूरी की।
नौकरी के साथ करती रहीं तैयारी
अभिलाषा ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद बतौर इंजीनियर कई साल तक नौकरी की। इस दौरान भी वह लगातार यूपीएससी की तैयारी में जुटी रहीं। नौकरी के दौरान ऑफिस में जो समय बचता था उसमें मोबाइल के माध्यम से पढ़ाई करती थीं। देर रात तक जागकर वह नए और पुराने नोट्स को पढ़ती थीं। अभिलाषा का मानना है कि अगर हमारे पास समय है तो इसका सदुपयोग करना चाहिए। हम समय का सही उपयोग कर अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।
तीसरे प्रयास में हासिल की 18वीं रैंक
अभिलाषा यूपीएससी की परीक्षा में पहली बार साल 2014 में शामिल हुईं। लेकिन परीक्षा के पैटर्न की सही जानकारी नहीं होने के कारण उनका प्री क्लीयर नहीं हुआ। अगले साल उन्होंने जमकर तैयारी की और 308वीं रैंक हासिल की, लेकिन यह कलेक्टर बनने के लिए पर्याप्त नहीं था। इस रैंक के कारण वह आईआरएस बनीं। अभिलाषा अपनी इस सफलता से खुश तो थीं, लेकिन संतुष्ट नहीं। उन्हें तो सिर्फ कलेक्टर बनना था। इस कारण उन्होंने नौकरी ज्वाइन करने के बाद भी परीक्षा की तैयारी जारी रखी और तीसरे प्रयास में 18वीं रैंक हासिल कर अपना सपना पूरा किया।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.