मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भारत की एडलिन तीसरी रनर-अप चुनी गईं हैं। उनका यह सफर बेहद भावुक रहा, क्योंकि जिस समय वह भाग ले रहीं थीं, भारत सहित अन्य कई देशों में कोरोना को लेकर हाहाकार मचा हुआ था। वह खुद भी संक्रमित हो गईं थीं, लेकिन कोरोना को मात देकर उन्होंने इस स्पर्धा में भाग लिया और तीसरी रनर-अप चुनी गईं।
नई दिल्ली। मिस यूनिवर्स की प्रतियोगिता में दक्षिण भारत की रहने वाली एडलिन कैस्टेलिनो ने भारत को टॉप-5 में 20 साल बाद जगह दिलाई। उन्हें इस प्रतियोगिता में तीसरी रनर-अप का खिताब मिला है। इसके बाद उनकी हर तरफ चर्चा है, हालांकि एडलिन कहती हैं कि उनका मिस यूनिवर्स का ताज पाने का सपना अधूरा रह गया, लेकिन बावजूद इसके मैं बहुत खुश और सुकून में हूं कि इतनी कठिनाइयों के बाद भी हम 20 साल बाद कोई स्थान हासिल कर पाने में सफल रहे। एडलिन मूल रूप से कर्नाटक के उडुप्पी जिले की रहने वाली हैं। उनका बचपन कुवैत में बीता है, उसके बाद वह मुंबई आकर रहने लगीं।
बहुत भावुक रहा एडलिन का यह सफर
एडलिन जिस समय इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही थी, हर तरफ कोरोना से हाहाकार मचा था। उन्हें खुद प्रतियोगिता से ठीक पहले कोरोना हो गया था। एडलिन कहती हैं कि यहां तक पहुंचने के लिए मुझे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। मैं मानसिक रूप से बहुत परेशान रही क्योंकि इतने नजदीक आने के बाद प्रतियोगिता से ठीक पहले मुझे कोरोना हो गया था। इस कारण मैं बहुत दुखी थी और बस ईश्वर से यही प्रार्थना कर रही थी कि जल्द से जल्द ठीक हो जाऊं। ठीक होते ही मैं अमेरिका के लिए रवाना हो गई। मुझे आराम करने का वक्त ही नहीं मिला, अब भी पूरी तरह से ठीक होने में मुझे वक्त लगेगा। एडलिन कहती हैं कि कई लोगों ने मुझसे कहा हम तुम्हारे साथ हैं। कई लोग जो मेरे संपर्क में थे वो खुद बहुत कुछ सह रहे थे, किसी को कोरोना हुआ था तो किसी ने अपने परिजन को खोया था। ये मेरे लिए बहुत भावुक सफर रहा। फिर भी मुझे इस बात की खुशी है कि मैं अपने दोस्तों की जिंदगी में थोड़ी खुशी और उम्मीद लेकर आई हूं। मिस यूनिवर्स की 69वीं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता फ्लोरिडा (अमेरिका) में हुई। इसमें दुनियाभर से 74 ब्यूटी क्वीन ने हिस्सा लिया।
बिकनी राउंड के चलते पिता से छुपाई थी ये बात
एडलिन कैस्टेलिनो ने मिस डीवा यूनिवर्स 2020 का खिताब जीता था लेकिन सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की बात उन्होंने अपने पिता से छुपाई थी। वह कहती हैं कि कपड़ों को लेकर मेरे पापा बहुत सख्त थे, उनको ये शायद अच्छा नहीं लगता था कि प्रतियोगिता में बिकनी सेगमेंट होता है, इसलिए मुझे अपने पापा से ये बात छुपानी पड़ी। मैंने उन्हें बिना बताए ही इसमें हिस्सा लिया, लेकिन जब जीत गई तो उन्हें बहुत गर्व महसूस हुआ था। वो मुझे कभी पीछे मुड़कर देखने को नहीं कहते हैं। मैं जब भी निराश होती हूं, वो ही मेरा हौसला बढ़ाते हैं।
कुवैत में बहुत कुछ देखा और सहा
मूल रूप से कर्नाटक की रहने वाली एडलिन कुवैत में पली-बढ़ीं। वो 15 साल की उम्र में भारत आ गई थीं। उनका परिवार वहां से क्यों लौटा इस पर एडलिन कहती हैं, मुझे बहुत सारे अवसर चाहिए थे और ये सभी अवसर मैं मुंबई में देखती हूं। मैं आत्मनिर्भर बनना चाहती थी और अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी। एक पहचान बनाना चाहती थी। मैंने कुवैत में बहुत कुछ देखा था। वहां हमने बहुत कुछ सहा। जब मैं वहां थी, तो मैंने देखा था कि किस तरह से औरतों के साथ बर्ताव किया जाता है। औरतों को एक तरह की हिंसा से गुजरना पड़ता था। औरतों की जिंदगी में भी जीने का मकसद होना चाहिए, ये वहीं के अनुभव से मैंने सीखा।
बोलने में होती थी परेशानी
एडलिन कहती हैं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं फैशन की दुनिया में जाऊंगी। मैं मुंबई डांस सीखने के लिए आई थी और मेरी मां चाहती थी कि मैं डॉक्टर बनूं। मुझे मेरी रूममेट से सौंदर्य प्रतियोगिता के बारे में पता चला तब जाकर मुझे महसूस हुआ की मेरा पैशन क्या है। मुझे तुतलाने की समस्या भी थी। जिसकी वजह से मुझे बोलने में बड़ी परेशानी होती थी। अपनी इस कमज़ोरी को दूर करने के लिए मैंने बहुत मेहनत की और दूसरों से बात करते वक़्त भावनाओं को व्यक्त करना सीखा। आज मुझमें वो विश्वास आ चुका है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.