बेटियों को रुढ़िवादी सोच से बाहर निकालने के लिए अंजू वर्ष 2016 में महज 22 साल की उम्र में सरपंच बन गईं। ऐसा करके उन्होंने कई बेटियों के लिए पढ़ाई के रास्ते खोल दिए।
नई दिल्ली। तू खुद की खोज में निकल तू किसलिए हताश है, कुछ ऐसी ही पंक्तियों को चरितार्थ करती हैं हरियाणा के फरीदाबाद जिले के गांव चंदावली की बिटिया अंजू यादव। बेटियों को रुढ़िवादी सोच से बाहर निकालने के लिए अंजू वर्ष 2016 में महज 22 साल की उम्र में सरपंच बन गईं। ऐसा करके उन्होंने कई बेटियों के लिए पढ़ाई के रास्ते खोल दिए।
उन्होंने उस वक्त परिवार की चारदिवारी के बाहर सोचना शुरू किया जब वह खुद पढ़ाई के लिए अड़चनें झेल रही थीं। अंजू बताती हैं कि गांव में दो राजकीय स्कूल थे, लेकिन सुविधाओं के नाम पर महज चारदीवारी थी। ऐसे स्कूलों में ग्रामीण बेटियों को पढ़ाई के लिए भेजने से भी कतराते थे।
चुनाव लड़ने की सोची
गांव की दशा सुधारने के लिए पिता गिर्राज यादव ने सरपंच पद का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मुहिम शुरू की, तो अंजू को लगा कि महिला सशक्तीकरण के लिए इस समय अनुकूल माहौल है। ऐसे में सरपंच पद के अगले चुनाव में उन्होंने खुद दांव खेला और जीत हासिल की। इसके बाद सबसे पहला काम सरकारी स्कूलों की दशा बदलने का किया। घर-घर जाकर लोगों को अपना उदाहरण देते हुए प्रेरित किया। अंजू का दावा है कि गांव की लगभग सभी बेटियां स्कूल-कॉलेज में शिक्षा हासिल कर रही हैं। इससे आने वाले समय में उनके जैसी हजारों बेटियां हौसलों की उड़ान भर सकेंगी।
युवा मानते हैं आदर्श
आईएमटी क्षेत्र के चंदावली गांव में सरपंच चुनी गई अंजू को युवा आदर्श मानते हैं। उनके परिवार में माता-पिता के अलावा पांच भाई-बहन हैं। इनमें सबसे छोटी अंजू ही हैं। अंजू बताती हैं कि चुनाव के दिनों में कुछ लोग इसलिए भी उन्हें वोट नहीं देना चाहते थे, क्योंकि बेटियां पराई होती हैं। उन्हें तो शादी करके ससुराल चले जाना है, ऐसे में गांव की बागडोर उनके हाथ में कैसे सौंप दें। ऐसे वक्त में उन्होंने न सिर्फ खुद पर भरोसा किया बल्कि गांव वालों का भी भरोसा जीता।
गांव में सीसीटीवी कैमरे लगवाए
सरपंच का चुनाव जीतते ही अंजू ने गांव में आधी आबादी (महिलाएं) की सुरक्षा पर जोर दिया, इसके लिए पूरे गांव में 150 सीसीटीवी लगवाए। शिक्षा के लिए अनुकूल माहौल हो इसके लिए सरकारी स्कूलों को हर तरह से अपग्रेड कराया। ग्रामीणों को प्रेरित कर बेटियों को पहले स्कूल फिर कॉलेज भेजने के लिए प्रेरित किया।
बड़ी बहन भी चुनी गई निर्विरोध पंच
अंजू की बड़ी बहन ज्योति वॉर्ड नंबर-12 की पंच हैं। ज्योति शादी के बाद अपने पति के साथ ऊंचा गांव में रहती हैं, मगर उनका वोट चंदावली में ही है। इस कारण वह गांव में पंच पद के लिए चुनाव मैदान में उतरी थी। अब दोनों बहनें मिलकर पंचायत का काम देखती हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.