अंजुम मोदगिल ने महज 24 साल की युवा शूटर ने कुछ दिनों पहले ही वर्ल्ड शूटिंग दूर्नामेंट में सिल्वर मेडल जीता है। इससे पहले भी उन्होंने कई मेडल अपने नाम किए हैं। अंजुम मोदगिल की खासियत यह है कि वो राइफल शूटिंग के तीन अलग-अलग वर्गों में पूरी तरह माहिर हैं। वह 10 मीटर एयर राइफल, 50 मीटर प्रोन और 50 मीटर 3 पोजिशन में अपना दमखम दिखा चुकी हैं। यह खासियत उन्हें और से अलग बनाती है।
नई दिल्ली। देश में कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने छोटी उम्र में बड़ी सफलताएं हासिल की और दुनिया में देश का नाम रोशन किया। तमाम अभाव और परेशानियों को भी इन्होंने कभी अपने लक्ष्य के बीच में बाधा नहीं बनने दी। आज इन्हें पूरी दुनिया सिर-आंखों पर बिठाए हुए है। ऐसा ही एक नाम है अंजुम मोदगिल का। महज 24 साल की युवा शूटर ने कुछ दिनों पहले ही वर्ल्ड शूटिंग दूर्नामेंट में सिल्वर मेडल जीता है। इससे पहले भी उन्होंने कई मेडल अपने नाम किए हैं। अंजुम मोदगिल की खासियत यह है कि वो राइफल शूटिंग के तीन अलग-अलग वर्गों में पूरी तरह माहिर हैं। वह 10 मीटर एयर राइफल, 50 मीटर प्रोन और 50 मीटर 3 पोजिशन में अपना दमखम दिखा चुकी हैं। यह खासियत उन्हें और से अलग बनाती है। अंजुम को राष्ट्रीय खेल दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित कर उनकी हौसला अफजाई की है। इस अवॉर्ड से वह काफी खुश हैं। अंजुम चंडीगढ़ की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई डीएवी कॉलेज से पूरी की है। दिलचस्प बात यह है कि यहीं से ओलंपिक पदक विजेता शूटर अभिनव बिंद्रा के साथ कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकले हैं।
मां ने पहली बार राइफल से कराया रूबरू
अंजुम की मां ने सबसे पहले उनका परिचय राइफल से कराया और उन्हें शूटिंग के लिए प्रेरित किया। इसके बाद अंजुम एनसीसी का हिस्सा बनीं और यहीं पर उन्होंने शूटिंग के गुर सीखे। पिस्टल से शुरु करने के बाद अंजुम को राइफल वर्ग में उतरना पड़ा, क्योंकि पिस्टल उपलब्ध नहीं होती थी। अंजुम ने राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप में पंजाब का प्रतिनिधित्व किया और कई मेडल भी जीते।
शुरुआत में न जरूरी उपकरण थे और ना ही कोच
अंजुम मोदगिल के करियर के शुरुआती साल मुश्किल भरे थे। उनके पास न तो जरूरी उपकरण थे, न ही कोई नियमित कोच। इसके साथ ही चोटों ने भी उन्हें काफी परेशान किया। इन परेशानियों के बावजूद अंजुम ने हार नहीं मानी। आखिरकार 2013 में अंजुम की किस्मत ने यू-टर्न लिया और उन्हें जूनियर टीम में रहते हुए एक नियमित कोच मिल गया। इससे अंजुम के प्रदर्शन में तेजी से सुधार हुआ और उन्हें भारत की टीम में जगह मिल गई। इसके बाद अंजुम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और समय के साथ कई अंतरराष्ट्रीय पदक पर एकदम सटीक निशाना साध डाला।
खेल के साथ पढ़ाई भी जारी रखी, स्पोर्ट्स साइकोलॉजी में हासिल की मास्टर्स डिग्री
खेल के कारण अंजुम ने अपनी पढ़ाई से समझौता नहीं किया। अंजुम ने स्पोर्ट्स साइकोलॉजी में दाखिला लिया और अपने अति व्यस्ततम शेड्यूल के बीच मास्टर्स की डिग्री हासिल की। अंजुम को पेंटिंग करना भी काफी पसंद है। वह अच्छी-खासी पेंटिंग भी कर लेती हैं। उनके बैग में जहां शूटिंग से जुड़ा सामान रहता है, तो साथ ही पेंटिंग ब्रश भी आसानी से मिल जाएगा। अंजुम अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पेंटिग्स की फोटो लगाती रहती हैं। बुद्ध की पेंटिंग में उन्हें महारत हासिल है। उनकी पेंटिंग्स कई लोग खरीदते भी हैं ।
मां के अधूरे सपने को पूरा किया
कुछ समय पहले एक स्पोर्ट्स वेबसाइट को दिए एक इंटरव्यू में अंजुम ने अपने शूटर बनने के सफर का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि कुछ परेशानियों के कारण उनकी मां को शूटिंग छोड़नी पड़ी थी। वह हमेशा से राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बनना चाहती थीं, लेकिन उनका सपना पूरा नहीं हो सका। मां ने अपने अधूरे सपने को पूरा करने के लिए अंजुम को शूटिंग रेंज की ओर रुख कराया और बेटी को राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी के तौर पर स्थापित करा दिया। गोल्ड कोस्ट अंजुम के लिए पहला कॉमनवेल्थ गेम था और यहां मेडल जीतकर उन्होंने अच्छी शुरुआत की।
बेहतरीन सफर पर एक झलक
.साल 2018, साउथ कोरिया के चांगवन में आयोजित आईएसएसएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता।
.साल 2018, मैक्सिको में आयोजित इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन
(आईएसएसएफ) वर्ल्ड कप में 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीता।
.साल 2018, कॉमनवेल्थ गेम्स में प्रोन इवेंट में सिल्वर मेडल जीता।
. साल 2017,ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में आयोजित कॉमनवेल्थ शूटिंग चैंपियन में ब्रोंज मेडल जीता। इसी प्रतियोगिता में 10 मीटर एयर राइफल में अंजुम ने सिल्वर मेडल जीता।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.