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मां ने बढ़ाया हौसला तो बेटी ने फतह किया खारदुंग ला दर्रा

Published - Thu 16, May 2019

विश्व की सबसे ऊंची सड़क खारदुंग ला दर्रा (पास) टॉप पर बाइक से पहुंची सुचेता

रेनू सकलानी।

बाइकिंग का शौक रखने वाली बेटी का साथ मां ने दिया तो उसने विश्व की सबसे ऊंची सड़क खारदुंग ला दर्रा (पास) टॉप पर बाइक से पहुंचकर रिकॉर्ड बना दिया। देहरादून के सरस्वती विहार निवासी रीना सती यूपीसीएल में कार्यरत हैं। उनकी बेटी 20 वर्षीय सुचेता एक बाइकर हैं। जब उन्होंने बाइकिंग करनी शुरू की तो सिर्फ उनकी मां ही थीं, जिन्होंने उनका साथ दिया। रीना सती ने बताया कि बेटी का सपना ही उनके लिए सबकुछ है। वह बाइकिंग करना चाहती थी, इसलिए उसका साथ दिया। घरवाले विरोध करते इसलिए पहले तो किसी को बताया ही नहीं, जब बेटी ट्रैक पूरा कर वापस आई तब सबको पता लगा। सुचेता ने बताया कि उन्होंने 14 साल की उम्र में बाइक चलाना सीख लिया था। 18 साल के बाद एक ट्रैक पूरा कर जब वापस लौटी तो सबने मेरे इस शौक का विरोध किया। लेकिन मां ने मेरा साथ दिया और मैं वंडर ऑन व्हील्स टीम के साथ खारदुंग ला दर्रा (पास) टॉप पर पहुंची। बकौल सुचेता वह बाइक से खारदुंग ला टॉप पर जाने वाली सबसे कम उम्र और उत्तराखंड की पहली बाइकर्स गर्ल हैं। उन्होंने कहा कि मां ने अगर साथ न दिया होता तो यह संभव नहीं होता। मैं दिल से शुक्रगुजार हूं कि मेरी मां मेरी सबसे अच्छी दोस्त भी हैं।

ऐसा साहस दिखाने वाली सुचेता उत्तराखंड से पहली बेटी
सुचेता ने विश्व की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड (उच्चतम वाहन योग्य सड़क) खारदुंग ला दर्रा (पास) टॉप पर बाइक चलाने का नया रिकॉर्ड बनाया है। लेह स्थित खारदुंग ला दर्रा टॉप पर बाइक चलाने का साहस दिखाने वाली सुचेता उत्तराखंड की पहली बेटी हैं। सीमावर्ती जनपद चमोली के जोशीमठ निवासी महेश सती की दो बेटियों में सबसे बड़ी सुचेता सती ने महज 14 साल की उम्र में बाइक चलाना सीख लिया था। उन्हें छोटी उम्र से ही बाइक चलाने का शौक था।

सबसे कम उम्र की बाइकर्स गर्ल का खिताब
बाइक चलाने के इस जुनून के चलते सुचेता ने खारदुंग ला टॉप पर जाने वाली सबसे कम उम्र और उत्तराखंड की पहली बाइकर्स गर्ल का खिताब अपने नाम दर्ज कराया। इससे पहले दिल्ली की 20 वर्षीय रिया खारदुंग ला दर्रा टॉप पर गई थीं। सुचेता ने बताया कि आईएएस एकेडमी के डीएस रावत की पहल पर 10 जून को देहरादून से 11 सदस्यीय दल करीब पांच हजार किमी दूर खारदुंगला टॉप के लिए निकला। दल में 10 लड़कों के साथ सुचेता अकेली सबसे कम उम्र की लड़की थी। सुचेता बतातीं हैं कि 10 जून को दल 650 किमी की दूरी तय कर 12 घंटे में पटनी टॉप पहुंचा। दूसरे दिन दल कारगिल के लिए रवाना हुआ। इसके बाद 18 हजार 380 फीट की दूरी तय कर 15 जून को खारदुंग ला दर्रा पार कर टॉप पर पहुंचे और 22 जून को मनाली होते हुए देहरादून पहुंची।

कड़ाके की ठंड में खड़ी चढ़ाई पर चलाई बाइक

रोहतांग दर्रा, केलांग, लांगलांगल, बारलाचला, सर्चू, पांग, मोरेडेजर्ट, लेह, नुब्रा घाटी आदि स्थानों से होकर दल आगे बढ़ा। सुचेता बताती हैं कि दल के सदस्य प्रतिदिन करीब चार सौ किमी बाइक चलाते थे। चांग्ला में सड़क टूटी हुई थी। ऐसे में कड़ाके की ठंड में खड़ी चढ़ाई पर बाइक चलाना काफी मुश्किल था, लेकिन दल के लीडर जैक्सन लोचन व अन्य साथी पंकज, मानव, आनंद, आकाश, किशन, प्रशांत व अभिषेक ने हौसला नहीं हारने दिया और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। सर्चू में तापमान माइनस 2-3 था। इसमें बाइक चलाना किसी चुनौती से कम नहीं था, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और मंजिल पा ही ली। डीएवी की बीकॉम प्रथम वर्ष की छात्रा सुचेता इससे पहले बाइक से औली, हर्षिल, धर्मशाला जा चुकी हैं। उन्हें ट्रैकिंग का भी काफी शौक है। वह चंगबंग पीक व फूलों की घाटी भी जा चुकी हैं। वह बताती हैं कि अब उनका अगला लक्ष्य कश्मीर से कन्याकुमारी तक बाइक से सफर करने का है।

18380 फीट ऊंचा है खारदुंग ला दर्रा
खारदुंग ला दर्रा हिमालय स्थित एक दर्रा है। यह समुद्र तल से लगभग 5602 मीटर (18,380 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। यह परिवहन योग्य भारत और संभवत: विश्व का सबसे ऊंचा दर्रा है लेकिन इसकी ऊंचाई विवादित भी है। यह दर्रा मध्य एशिया में कशगर को लेह से जोड़ने वाला ऐतिहासिक मार्ग भी है।