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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहली महिला रेफरी बन रचा इतिहास

Published - Thu 20, Jun 2019

लक्ष्मी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल यानी आईसीसी के मैच रेफरी पैनल में शामिल किया है। इस तरह के पैनल में शामिल होने वाली वे पहली भारतीय महिला हैं।

G S Laxmi

भारत की पूर्व महिला क्रिकेटर जी एस लक्ष्मी एक ऐसी शख्सियत बन गईं हैं, जिन्होंने पुरुषों के वर्चस्व वाले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आईसीसी मैच की रेफरी बन एक नया इतिहास रच दिया है। लक्ष्मी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल यानी आईसीसी ने मैच रेफरी के अंतरराष्ट्रीय पैनल में शामिल किया है। इस तरह के पैनल में शामिल होने वाली वे पहली भारतीय महिला हैं।

 

रेलवे की तरफ से किया था खेलना शुरू

जी एस लक्ष्मी देश की सबसे सफल घरेलू महिला क्रिकेट टीम रेलवे के साथ खेलती रही हैं। उन्हें अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भले ही देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला, लेकिन वह 1999 में इंग्लैंड के दौरे पर गई महिला क्रिकेट टीम की सदस्य थीं। आंध्र प्रदेश के राजामुंदरी में 23 मई 1968 को जन्मीं लक्ष्मी जमशेदपुर में पली और बड़ी हुईं। उनको क्रिकेट खेलने का ऐसा दिवानापन था कि 1986 में दसवीं की परीक्षा में वे बेहतर अंक नहीं ला पाईं और उन्हें कॉलेज में दाखिला मिलना मुश्किल हो गया। तब उनके पिता ने क्रिकेट के खेल में उनकी महारत के दम पर खेल कोटे से उनका दाखिला कराया और कॉलेज प्रशासन को यह विश्वास दिलाया कि वह उनकी प्रमुख तेज गेंदबाज हो सकती हैं।


पिता के वादे को पूरा करके दिखाया

पिता ने कॉलेज प्रशासन से जो वादा किया था उसे पूरा करते हुए जी.एस. लक्ष्मी ने अपनी गेंदबाजी से सबको प्रभावित किया और इसी का नतीजा था कि 1989 में उन्हें दक्षिण मध्य रेलवे में नौकरी मिली और वह हैदराबाद चली गईं। यहां से उनका रेलवे की टीम के साथ खेलने का सिलसिला शुरू हुआ। साल 2008 में बीसीसीआई ने महिला रेफरियों को घरेलू क्रिकेट में मौका देना शुरू किया और लक्ष्मी इस काम के लिए चुने गए पांच महिला रेफरी के शुरूआती समूह का हिस्सा बनीं। 2014 में बीसीसीआई ने 120 मैच रेफरी के लिए अपनी तरह की पहली योग्यता परीक्षा का आयोजन किया और लक्ष्मी सहित 50 रेफरी का चयन किया, जिन्हें लड़कों और पुरुषों के घरेलू मैचों में अपनी सेवाएं देनी थीं।


2004 में क्रिकेट से ले लिया था संन्यास

साल 2004 में जीएस लक्ष्मी ने संन्यास ले लिया और इसके बाद लक्ष्मी ने कोचिंग का रूख किया और दक्षिण मध्य रेलवे में अपनी सेवाएं देती रहीं। उसके बाद से लक्ष्मी 19 वर्ष से कम उम्र के खिलाड़ियों की कूच बिहार ट्राफी में अपनी सेवाएं दे रही हैं। इसके अलावा वह महिलाओं के तीन एक दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय मैचों और महिलाओं के तीन टी20 मैचों में रेफरी रहीं। महिलाओं के टी20 चैलेंज मुकाबले में भी वह सभी चार मैचों में रेफरी रहीं। क्रिकेट के मैदान में दोनो टीमों के 11-11 खिलाड़ियों, अंपायर और हजारों दर्शकों के अलावा रेफरी एक ऐसा शख्स होता है, जो खेल की तमाम बारीकियों का जानकार होता है और मैच के दौरान होने वाले नियमों के किसी भी उल्लंघन पर नजर रखता है।


मैच रेफरी की होती है बड़ी जिम्मेदारी

क्रिकेट के खेल में एक मैच रेफरी मैदान में एक क्षण के लिए भी नजर नहीं आता, लेकिन मैच की हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर नजर अवश्य बनाए रखता है। वह मैच के दौरान न तो खेल को प्रभावित कर सकता है और न ही नतीजे को, लेकिन मैच रेफरी यह सुनिश्चित करता है कि मैच के दौरान दोनों ही टीमों के खिलाड़ी आईसीसी की क्रिकेट आचार संहिता का पूरी तरह से पालन करें। अगर किसी खिलाड़ी द्वारा इसका उल्लंघन किया जाता है तो उसके लिए सजा का निर्धारण करना मैच रेफरी का काम होता है। प्रत्येक मैच के बाद मैच के रेफरी द्वारा आईसीसी को एक रिपोर्ट सौंपी जाती है, जिसके अंतर्गत मैच में खेलने वाले सभी प्लेयर्स अथवा अंपायर की ऐसी गतिविधियों व घटनाक्रमों का विशेष रूप से उल्लेख होता है, जिनसे क्रिकेट नियमों का उल्लंघन हुआ हो।