Aparajita
Aparajita

महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

दिव्यांग ज्योत्सना ने रचा इतिहास, बनीं सबसे कम उम्र में पीएचडी करने वाली महिला

Published - Fri 19, Feb 2021

कुछ करने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो आर्थिक और शारीरिक बाधा आड़े नहीं आ सकती। यह बात सही साबित कर दिखाई है हैदराबाद की रहने वालीं ज्योत्सना फनीजा ने। दिव्यांग (दृष्टिहीन) होने के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी मेहनत के दम पर महज 25 साल की उम्र में पीएचडी पूरी कर इतिहास रच दिया। ज्योत्सना भारत की सबसे कम उम्र में पीएचडी करने वाली महिला हैं। वह एक लेखिका भी हैं। साथ ही वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर भी हैं। आइए जानते हैं ज्योत्सना के इस सफर के बारे में जिसने उन्होंने आम से खास बना दिया।

नई दिल्ली। ज्योत्सना फनीजा का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा राज्य के कैकालूर गांव में हुआ था। वह बचपन से ही अपनी दोनों आंखों से देख नहीं सकतीं। लेकिन उनकी इच्छाशक्ति इतनी प्रबल है कि वह हर चीज को महसूस करती हैं। उन्होंने कक्षा 10वीं तक की पढ़ाई नरसापुर के आंध्र ब्लाइंड मॉडल हाईस्कूल से की है। विजयवाड़ा के मेरिस स्टेला कॉलेज से ग्रेजुएशन में उन्हें गोल्ड मेडल मिला। ज्योत्सना के विभिन्न पुस्तकों और पत्रिकाओं में दस शोध पत्र अब तक प्रकाशित हो चुके हैं। अपनी योग्यता को कई बार साबित करने के बावजूद जब वे टीचिंग के लिए इंटरव्यू देने जातीं तो उनसे पूछा जाता कि दिव्यांग होते हुए आप किस तरह पढ़ाएंगी? क्लास के बच्चों को कैसे कंट्रोल करेंगी। क्या आप अटैंडेंस ले पाएंगी? इसी तरह के न जाने कितने सवाल ज्योत्सना की परेशानी का कारण बनते रहे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हर बार असफल होने के बाद दोगुने उत्साह से आगे कदम बढ़ाया।

हार नहीं मानी और हासिल की सफलता

कई इंटरव्यू में अपनी शारीरिक अक्षमता के कारण असफल होने के बावजूद ज्योत्सना ने हार नहीं मानी। उन्होंने यह तय किया कि जीवन में आने वाली हर चुनौती का सामना करते हुए वह आगे बढ़ेंगी।  अपनी इसी सोच के साथ वे कई जगह इंटरव्यू देती रहीं। आखिर उनकी जीत हुई। फिलहाल वे दिल्ली यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। ज्योत्सना का एक कविता संग्रह भी प्रकाशित हुआ है जिसका नाम 'सिरेमिक ईवनिंग' है। ज्योत्सना इस सफलता का श्रेय उनके पति कृष्णा को देती हैं जिन्होंने हर हाल में उनका साथ दिया।

महज 25 साल की उम्र में पूरी कर डाली पीएचडी

ज्योत्सना ने भारतीय विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में पीएचडी की है। वह ऐसा करने वाली भारत की सबसे कम उम्र की महिला हैं। हालांकि ज्योत्सना इतिहास, अर्थशास्त्र और नागरिक शास्त्र पढ़ना चाहती थीं, लेकिन कॉलेज वालों ने उन्हें एडमिशन देने से इनकार कर दिया। उन्हें इस बात का बहुत बुरा लगा, लेकिन हार न मानने वाली ज्योत्सना ने साल 2011 में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा पास करके खुद को साबित किया।