चंद्रयान की सफलता में देश के वैज्ञानिकों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। इनमें 2 महिलाओं का भी अहम योगदान है। देश की ये दोनों 'रॉकेट वुमेन' चंद्रयान की सफलता की कहानी में मुख्य पात्र हैं। इस मिशन से जुड़ी रितु करिधाल और एम वनिता चंद्रयान-2 की क्रमश: अभियान निदेशक और परियोजना निदेशक हैं।
नई दिल्ली। भारत के सपनों की उड़ान चंद्रयान-2 धरती की चौथी कक्षा में सफलतापूर्वक कदम रख चुका है। चंद्रयान की सफलता में देश के वैज्ञानिकों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। इनमें 2 महिलाओं का भी अहम योगदान है। देश की ये दोनों 'रॉकेट वुमेन' चंद्रयान की सफलता की कहानी में मुख्य पात्र हैं। इस मिशन से जुड़ी रितु करिधाल और एम वनिता चंद्रयान-2 की क्रमश: अभियान निदेशक और परियोजना निदेशक हैं। प्रक्षेपण यान के हार्डवेयर के विकास की देखरेख करने वाली वनिता एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी आॅफ इंडिया की ओर से स्थापित सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली महिला हैं। मिशन की डायरेक्टर रितु करिधल ने रोवर के चंद्रमा की ओर नेविगेशन को कंट्रोल करने का काम किया।
चंद्रयान-1 का भी हिस्सा रहीं हैं वनिता
वनिता मुथैया को “डाटा क्वीन“ के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि वनिता एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर और डाटा विश्लेषण विशेषज्ञ हैं। उन्हें डेटा विश्लेषण के क्षेत्र में महारत हासिल है। वनिता मुथैया भारत के रिमोट सेन्सिंग उपग्रहों की व्यवस्था भी संभालती हैं। वनिता चंद्रयान-1 मिशन का हिस्सा भी रही हैं। चंद्रयान-1 मिशन के वक्त अलग-अलग पेलोड्स से आने वाले डेटा का विश्लेषण वही करती थीं। अब चंद्रयान-2 से मिलने वाले सभी डेटा का विश्लेषण भी वनिता ही करेंगी। वनिता मुथैया का यह काम चंद्रयान 2 के लॉन्च से उसका कार्यकाल खत्म होने तक जारी रहेगा। वनिता डिजिटल सिग्नल प्रोसेर्सिंग में माहिर हैं। उन्होंने उपग्रह संचार पर कई पेपर लिखे हैं। उन्होंने मैंपिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले पहले “भारतीय रिमोट र्सेंसग उपग्रह (कार्टोसैट-1),दूसरे महासागर अनुप्रयोग उपग्रह (ओसियन सैट-2) और तीसरे उष्णकटिबंधीय में जल चक्र और ऊर्जा विनिमय का अध्ययन करने के लिए इको फ्रेंच उपग्रह (मेघा ट्राँपिक) पर उप परियोजना निदेशक के तौर पर भी काम किया है”।
लखनऊ के सामान्य परिवार से हैं रितु
रितु को “रॉकेट वुमेन” के नाम से जाना जाता है। रितु करिधाल का जन्म लखनऊ (राजाजीपुरम) के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ है। उनके पिता रक्षा सेवाओं में थे। उनके दो भाई और दो बहनों हैं। उनके माता-पिता का निधन हो चुका है। उन्होंने नवयुग गर्ल्स कॉलेज से इंटर करने के बाद स्नातक की पढाई के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। उन्होंने यहां से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन (भौतिकी) किया। पीजी करने के बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से ही फिजिक्स में पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया। उन्होंने यहां कुछ समय शिक्षण कार्य भी किया। लेकिन उन्हें पीएचडी करते हुए 6 महीने ही हुए थे कि गेट की परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ जिसमें उन्होंने सफलता पायी। इसके बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेस बेंगलुरु चली गई। यहां से रितु ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री ली। रितु निजी जिन्दगी में पूर्ण रूप से पारंपरिक है। लेकिन अपने इसरो के कामकाज की जिम्मेदारियों का वह बड़ी कुशलता से निर्वहन करती हैं। उनके कौशल के कारण ही उन्हें इसरो और अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में भारत की “रॉकेट वुमेन” के नाम से जाना जाता है। लखनऊ विश्वविद्यालय ने संस्थान के सर्वोच्च सम्मान के लिए रितु करिघाल के नाम की सिफारिश करने का फैसला किया है।रितु ने इसी विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की थी। विश्वविद्यालय 14 अक्टूबर 2019 को होने वाले दीक्षांत समारोह में रितु को मानद उपाधि से सम्मानित करना चाहता है।
मंगल मिशन में भी काम कर चुकी हैं रितु
चंद्रयान-2 मिशन की डायरेक्टर बनने से पहले रितु 2013 में भारत के महत्वाकांक्षी मंगल मिशन में बतौर वैज्ञानिक काम कर चुकी है। यह मिशन बेहद कामयाब रहा। भारत दुनिया का चौथा देश बना था जिसने मंगल तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की थी। उस वक्त रितु ने मिशन मंगल में बड़ी भूमिका निभाई थी और वहीं से रितु के कौशल को पहचाना गया और उन्हें इस बार बड़ी जिम्मेदारी दी गई।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.