नर्स मोहिनी पाठक ने शादी के 15 दिनों बाद ही कानपुर स्थित ससुराल से 40 किलोमीटर दूर अस्पताल में दोबारा ड्यूटी ज्वाइन की। तो वहीं दूसरी ओर डॉक्टर श्रेया श्रीवास्तव ने ड्यूटी जॉइन करने के लिए 870 किलोमीटर खुद कार चलाई और ड्यूटी जॉइन की।
दिल में ही रह गई दादी को आखिरी बार देखने की हसरत
मोहिनी पाठक, नर्स, जिला अस्पताल, कानपुर देहात
नर्स मोहिनी पाठक,एक साल पहले नर्स बनीं मोहिनी की शादी तब हुई जब कोरोना भारत में अपने पांव पसारना शुरू कर रहा था। शादी के 15 दिनों बाद उन्होंने कानपुर स्थित ससुराल से 40 किलोमीटर दूर अस्पताल में दोबारा ड्यूटी ज्वाइन की। रोज अप-डाउन कर रहीं थीं कि 22 मार्च से उनकी ड्यूटी जिला अस्पताल में बने आइसोलेशन वार्ड में लगा दी गई। दो दिन बाद 24 मार्च को कानपुर स्थित दादी की मौत की खबर घरवालों ने उन्हें दी। वह आंसू बहाने के सिवा कुछ न कर सकीं। दादी को आखिरी बार देखने की हसरत दिल में ही रह गई। वह कहती हैं, घरवाले जब भी बात करते हैं तो सावधानी रखने की सीख देते हैं, लेकिन मरीज की सेवा सबसे पहले है।
कोरोना में ड्यूटी जॉइन करने के लिए चलाई 870 किमी कार
डॉ. श्रेया श्रीवास्तव, चिकित्सक, सीएचसी, छपरौली बड़ौत
यह कहानी है मिर्जापुर पचपेड़वा, पोस्ट गोरखनाथ जिला गोरखपुर की बेटी डॉ. श्रेया श्रीवास्तव की। उनकी नियुक्ति 26 मार्च को फिजीशियन के तौर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छपरौली पर हुई। नियुक्ति के एक सप्ताह के भीतर चिकित्सक को जॉाइन करना होता है। वह बताती हैं कि सुबह साढ़े तीन बजे वह घर की गाड़ी लेकर अपने चाचा के साथ छपरौली सीएचसी पर ज्वाइन करने के लिए निकल पड़ी। सफर के दौरान लॉकडाउन के चलते न तो कोई ढाबा व दुकान खुली मिली और न ही कोई खाने की चीज। 870 किमी का यह सफर जिंदगी भर याद रहेगा।
तीन माह की बेटी को छोड़ कर अपना फर्ज निभा रहीं
डॉ. रेशू, सीएचसी भोपा, मुजफ्फरनगर
डॉ. रेशू राजपूत अपनी तीन माह की बेटी को छोड़कर अपनी ड्यूटी कर रही हैं। जब वह ड्यूटी पर होती हैं तो परिवार के लोग बच्ची का ध्यान रखते हैं। डॉ रेशू ने कहा कि वो देश और देश के नागरिकों के लिए एक भी कदम पीछे नहीं हटाएंगी। शाम को जब घर लौटती हैं तो बेहद सतर्कता बरतती हैं। उन्हें अस्पताल और क्षेत्र में रहकर काम करना पड़ता है। ऐसे में संक्त्रस्मण का खतरा होता है। खुद को और परिवार को उससे बचाना चुनौती भरा होता है। वायरस से बचने के लिए लोगों को अपने घरों में ही रहना चाहिए।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.