रितु कहती हैं कि दिन में एक बार पापा-मम्मी को देखने जाती हूं और संक्रमण से उन्हें बचाने को सिर्फ घर के बाहर से ही उनका हालचाल लेकर लौट आती हूं। आंखों से देख लेती हूं तो तसल्ली हो जाती है।
रितु सुहास, संयुक्त निदेशक, लखनऊ विकास प्राधिकरण
रितु सुहास एक सख्त अधिकारी और एक नरम दिल इंसान है। ये वो कोरोना फाइटर हैं जो इस वक्त घर और बाहर दोनों मोर्चों पर एक साथ-साथ डटी हुई हैं। इन्हें कभी कम्युनिटी किचेन की निगरानी तो कभी कहीं किसी इलाके का दौरा करते देखा जा सकता है। खास बात है कि लाकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के दौर में लगातार सक्रिय हैं। वह भी इस एक रिस्क फैक्टर के साथ कि एक तरफ घर में दो छोटे-छोटे बच्चे हैं, तो दूसरी ओर बुर्जुग माता-पिता, जिनकी जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है।
पति के बाहर कार्यरत होने से सारा दारोमदार उनके ऊपर आ गया है। माता-पिता आलमबाग में रहते हैं और दूसरी तरफ दो छोटे बच्चे गोमतीनगर स्थित घर में रहते हैं। बच्चों को अकेले छोड़ा नहीं जा सकता है। दिन में एक बार पापा-मम्मी को देखने जाती हैं और संक्रमण से उन्हें बचाने को सिर्फ घर के बाहर से ही उनका हालचाल लेकर लौट आती हूं। रितु कहती हैं कि आंखों से देख लेती हूं तो तसल्ली हो जाती है। दूसरी तरफ घर में बच्चे हैं, उनसे मिलने से डर लगता है, कई बार लगता है कि मैं दिनभर इधर-उधर जाती हूं, कई तरह के लोगों से मिलती हूं, एसे में बच्चों के साथ रहना...चुनौतीपूर्ण तो है। फिर भी घर जाकर पहले खुद को सेनेटाइज करती हूं। उसके बाद ही बच्चों से मिलती हूं। इसके अलावा खानपान को लेकर पहले से ज्यादा सतर्क हो गई हूं।
बच्चों की इम्युनिटी मजबूत रहे, इसलिए दूध-हल्दी, तुलसी जैसी चीजों का सेवन करती हूं और बच्चों को भी कराती हूं। रितु सुहास के मुताबिक हम जरूरमंदों तक पक्का और कच्चा दोनों तरह का खाना पहुंचवा रहे हैं। खाने के पैकेट के साथ साबुन भी होता है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए खाना बंटे यह सुनिश्चित करने के बाद ही भोजन वितरण होता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.