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हाथ नहीं थे तो पैरों से लिखी किस्मत

Published - Thu 28, Nov 2019

जिंदगी की कोई भी जंग जीतने के लिए हौसला और हिम्मत चाहिए। फिर चाहें जंग के मैदान में आप निहत्थे खड़े हों या बिना हाथ पैर के। हौसला है, तो जंग आपके पक्ष में ही रहेगी। ये कारनामा केरल की देविका ने कर दिखाया है। जन्म से बिना हाथों के जिंदगी जी रही देविका ने पैरों से दसवीं की परीक्षा दी और सफल भी हुईं।

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केरल। केरल के मलप्पुरम में जन्मी देविका ने जब होश संभाला तो उन्हें तब समझ आया कि वो जन्म से दिव्यांग हैं। जन्म से ही उनके दोनों हाथ नहीं थे, वो बिना हाथों के जन्मीं थीं। धीरे-धीरे देविका ने इसे अपना भाग्य मानकर स्वीकार किया और जीवन जीने लगीं। जब भी टूटतीं मां हौसला देतीं। एक दिन उनकी मां ने देविका को पढ़ने के लिए प्रेरित किया। देविका ने कहा कि हाथ तो हैं नहीं, तो लिखेंगी कैसे। मां ने यह सुनकर उनके पैरों की उंगलियों के बीच पेंसिल बांध दी। बस इसके बाद ही देविका का आगे बढ़ने का सफर शुरू हुआ। पहले उन्होंने अक्षर लिखने का अभ्यास शुरू किया। कई महीनों की कड़ी मेहनत के बाद वो इसमें सफल रहीं। इसके बाद उन्होंने संख्याएं लिखने की कोशिश शुरू की और कड़े अभ्यास के बाद उन्होंने इसमें भी सफलता पा ली। उन्होंने शारीरिक अक्षमता को कभी आड़े नहीं आने दिया। उनकी पढ़ाई में माता-पिता सुजीत और सजिव का विशेष सहयोग रहा। वो चाहते थे कि बेटी पढ़-लिखकर काबिल इंसान बने और परीक्षा में बिना किसी हेल्पर की मदद से खुद आगे बढ़े। देविका अपनी कोशिश से अब मलयालम, अंग्रेजी और हिंदी में लिखने में कुशल है। देविका मलप्पुरम के वल्लिकुनु में चंदन ब्रदर्स हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ी है, देविका को उनके स्कूल में टीचर्स ने भी पूरा सहयोग किया। धीरे-धीरे देविका दसवीं कक्षा तक पहुंच गईं और उन्होंने यहां सभी विषयों में  A+ स्कोर किया। 16 वर्षीय से बच्ची परिणाम आने के बाद से दोगुने उत्साह में है। देविका कहतीं हैं कि वो जीवन में बहुत बड़ी अधिकारी बनना चाहती हैं।  देविका ने 11 वीं कक्षा में ह्यूमैनिटी लिया है, अब वो इसी स्ट्रीम में ग्रेजुएशन करके सिविल सर्विस की तैयारी करना चाहती है। सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं देविका आर्ट में भी बहुत अच्छी हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी आर्ट को कोझिकोड स्वप्नाचित्रा आर्ट गैलरी में प्रदर्शनी में लगाया था। देविका गीत-संगीत में भी विशेष रूचि रखती हैं। देविका उन तमाम लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण हैं, जो छोटी सी परेशानी आते ही जीवन से निराश हो जाते हैं।