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दिव्या ने घर में लगाई पैड मशीन, दिया कई महिलाओं को रोजगार

Published - Fri 11, Sep 2020

स्वावलंबन की मिसाल हैं गांव बांकनेर की दिव्या शर्मा। पैड वूमन के नाम से मशहूर दिव्या घर पर बने सैनिटरी पैड का कारोबार कर महिलाओं को स्वावलंबी बनने की प्रेरणा दे रही हैं। उनके यहां तैयार किए गए पैड वाराणसी, मध्यप्रदेश के सागर व पंजाब तक जाते हैं। दिव्या ने अपने इस काम से कई महिलाओं को रोजगार दे रखा है।

divya sharma

कुछ समय पहले तक...सेनेटरी पैड का नाम सुनते ही लोग नाक भौं ‌सिंकोड़ने लगते थे और इस मामले में आधी आबादी भी कुछ कम नहीं थी। हालांकि इसे इस्तेमाल उन्हें ही करना होता है और इसकी उन्हें कितनी जरुरत रहती है, ये वो अच्छे से समझती हैं, इसके बावजूद पीरियड, माहवारी, रक्तस्‍त्राव....ये शब्द सुनकर ही वे भी शर्म से अपना मुंह ढक लेती थीं, लेकिन जैसे-जैसे महिलाएं पढ़ने-लिखने लगीं, कुरीतियों-बेड़ियों को तोड़कर बाहर आने लगीं...तो पीरियड, माहवारी, रक्तस्‍त्राव...शब्दों से भी उन्होंने घबराना छोड़ दिया। बल्कि अब महिलाएं हर महीने होने वाले पीरियड्स को लेकर अधिक जागरुक तो हो ही रही हैं, साथ ही इस दौरान स्वच्छता को भी ‌अधिक महत्व देने लगी हैं। 
इतना ही नहीं, ग्रामीण इलाके की महिलाएं तो इसे एक व्यवसाय के रूप में अपनाकर अपना घर का खर्च चलाने लगी हैं, साथ ही अन्य कई महिलाओं को भी अपने इस काम में जोड़कर उन्हें रोजगार मुहैया करा रही हैं। इस संबंध में सशक्त और स्वावलंबी महिला की तस्वीर देखनी हो तो अलीगढ़ स्थित खैर के गांव बांकनेर में जाइए और वहां दिव्या शर्मा से मिल लीजिए। पैड वूमन के नाम से मशहूर दिव्या घर पर बने सैनिटरी पैड का कारोबार कर महिलाओं को स्वावलंबी बनने की प्रेरणा दे रही हैं। उनके यहां तैयार किए गए पैड वाराणसी, मध्यप्रदेश के सागर व पंजाब तक जाते हैं। दिव्या ने अपने इस काम से कई महिलाओं को रोजगार दे रखा है।

पैडवूमन को ऐसे मिली कामयाबी

एमकॉम बीएड तक पढ़ीं दिव्या शर्मा मासिक धर्म में स्वच्छता के प्रति महिलाओं को जागरूक भी करती हैं। दिव्या अपने कामयाब सफर को याद करती हुई कहती हैं कि 2010 में वयम टेक कंपनी से जुड़ीं। 2011 में गांव में सामान्य सेवा केंद्र (कामन सर्विस सेंटर) शुरू कर दिया। सीएससी की एक कार्यशाला 2017 में दिल्ली में हुई थी, जिसमें 27 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यहां पर उनके सीएससी को टॉप-10 में चुना गया। तीन दिन तक चली इस कार्यशाला में तेलंगाना की कंपनी ने सैनिटरी पैड बनाने के प्रोजेक्ट का प्रदर्शन किया था, तभी से इस कार्य को करने की ठान ली।
2018 में ई-गवर्नेंस के माध्यम से स्त्री स्वाभिमान योजना के तहत नार्थ इंडिया में पहले प्रोजेक्ट के रूप में घर पर ही पैड बनाने की शुरुआत की। सात महिलाओं को रोजगार भी दिया है। जो एक माह में करीब 50 हजार तक सैनिटरी पैड बना लेती हैं। एक महिला रोजाना एक हजार से 15 सौ रुपये तक कमा लेती है। 2018 में वाराणसी में 16 हजार, पंजाब में 22 हजार व 2019 में मध्यप्रदेश के सागर में 32 हजार सैनिटरी पैड की आपूर्ति की गई थी।

सात बार हो चुकी हैं सम्मानित

दिव्या शर्मा को कामन सर्विस सेंटर के लिए पहली बार केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक टैबलेट व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था। उसके बाद सैनिटरी पैड बनाने के प्रोजेक्ट को लेकर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद व स्मृति ईरानी ने सम्मानित किया। मथुरा में आयोजित विकास पर्व में उन्हें बेस्ट वीएलए (ग्राम स्तरीय उद्यमी) चुना गया। जहां रविशंकर प्रसाद और सांसद हेमा मालिनी ने टैबलेट व सर्टिफिकेट देकर पुरस्कृत किया। इस तरह से अलग अलग कार्यक्रमों में उनको अब तक सात सम्मान मिल चुके हैं।