अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पीएम के सोशल मीडिया अकाउंट पर महिलाओं ने सुनाई दास्तां
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर अपना ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यू-ट्यूब अकाउंट छोडऩे से पहले लिखा ‘नारी शक्ति के साहस और शौर्य को मेरा सलाम’। मैं साइन ऑफ कर रहा हूं। आज का दिन महिलाओं को समर्पित है जो मेरे सोशल मीडिया अकाउंट के जरिये आपसे अपने जीवन के संघर्ष और कामयाबी की कहानी साझा करेंगी। इसके बाद कई महिलाओं ने मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट पर अपनी कहानी साझा की। इन्हीं में से एक 13 साल की उम्र में बीकानेर ग्रेनेड धमाके में दोनों हाथ गंवाने वाली मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. मालविका अय्यर भी थीं, जिन्होंने लिखा, तीन महीने में 10वीं की परीक्षा की तैयारी की और 97 फीसदी अंक हासिल किए। कभी अपने कमजोर नहीं समझा। इसी का नतीजा है कि मैं समाज में सिर उठाकर कामयाबी के साथ जी रही हूं। वहीं, वॉटर वॉरियर कल्पना रमेश ने लिखा ‘मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं पक्षियों को झरने की ओर वापस लाऊंगी और पीएम के ट्विटर हैंडल से ट्वीट करूंगी’। हम जल संसाधनों को संरक्षित कर सकते हैं।
एक दिन जरूरतमंद को खिलाएं
पीएम के ट्विटर अकाउंट से पहला ट्वीट चेन्नई से फूड बैंक ऑफ इंडिया की संस्थापक स्नेहा मोहनदास ने किया। उन्होंने लिखा, एक दिन किसी न किसी जरूरतमंद को खिलाएं। मैं स्वयंसेवकों के साथ काम करती हूं जिसमें ज्यादातर भारत से बाहर के हैं।
गोरमाटी कला के लिए समर्पित
महाराष्ट्र की विजया पवार ने लिखा ग्रामीण क्षेत्रों में बंजारा समुदाय के गोरमाटी कला को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी ने हमें प्रोत्साहित करने के साथ आर्थिक सहायता भी की जो मेरे लिए गौरव की बात है। इस कला को संरक्षित करने के लिए मैं पूरी तरह समर्पित हूं।
इच्छाशक्ति से सब हासिल
मुंगेर की वीणा देवी ने लिखा, इच्छाशक्ति से सब हासिल हो सकता है। मेरा सफर पलंग के नीचे एक किलो मशरूम की खेती से शुरू हुआ, इस खेती ने मुझे आत्मनिर्भर बनाया
ईमानदारी से कोशिश कभी विफल नहीं
कानपुर की कलावती देवी ने लिखा, मैंने एक-एक पैसा जुटाया, हजारों शौचालय बनवाए। बहन, बेटियों को यही संदेश है कि समाज को आगे ले जाने के लिए ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी विफल नहीं होता। कोई कड़वा बाले, तो बोलने दीजिए।
नमदा हस्तकला को जिंदा करना लक्ष्य
कश्मीर की आरिफ जान ने कहा कि शुरू से ही अपने राज्य की पारंपरिक हस्तकला को जिंदा करने के सपने देखती थी। मैंने नमदा हस्तकला को जीवंत करने का काम शुरू किया। आज कामयाबी के पथ पर हूं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.