बचपन में ही धावक बनने और देश का नाम गौरवांवित करने का सपना संजो चुकीं ओडिशा की धावक दुती चंद का विवादों से चोली-दामन का नाता रहा है। महज 4 साल की उम्र से दौड़ने की ट्रेनिंग करने वाली दुती पहली बार चर्चा में उस समय आईं जब स्कूल में हुई प्रतियोगिता में उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए टाटा की नैनो कार अपने नाम कर ली।
नई दिल्ली। ओडिशा की रहने वाली राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी दुती चंद ने 9 जुलाई को नपोली में विश्व यूनिवर्सिटी खेलों में 100 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर इन खेलों में अव्वल रहने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन चुकी हैं। 23 साल की दुती ने 11.32 सेकंड में यह रेस पूरी की। चौथी लेन में दौड़ते हुए दुती 8 खिलाड़ियों में पहले नंबर पर रहीं दुती चंद अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाली हिमा दास के बाद दूसरी भारतीय महिला एथलीट बन गईं हैं। दुती ने यह मेडल उस समय जीता है, जब वह समलैंगिक रिश्तों का खुलासा करने के कारण चौतरफा अलोचनाएं झेल रही हैं। समाज के साथ ही उनका परिवार भी उनके इस रिश्ते के खिलाफ है। आलोचनाओं और विवादों के बाद भी इस जुझारू खिलाड़ी ने हार नहीं मानी। उसका ध्यान कभी लक्ष्य से नहीं भटका आैर उसने कीर्तिमान रच दिया।
बचपन में ही धावक बनने और देश का नाम गौरवांवित करने का सपना संजो चुकीं ओडिशा की धावक दुती चंद का विवादों से चोली-दामन का नाता रहा है। महज 4 साल की उम्र से दौड़ने की ट्रेनिंग करने वाली दुती पहली बार चर्चा में उस समय आईं जब स्कूल में हुई प्रतियोगिता में उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए टाटा की नैनो कार अपने नाम कर ली। इस प्रतियोगिता के बाद से वह अपने दोस्तों में नैनो के नाम से भी पहचानी जाने लगीं। दुती चंद साल 2013 में महज 17 साल की उम्र में रांची में आयोजित सीनियर नेशनल गेम्स में 100 मीटर की प्रतियोगिता जीतकर देश की शीर्ष धावक बन गईं थीं। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार कई प्रतियोगिताएं जीतती चली गईं।
ख्याति के साथ ही दुती चंद का विवादों से भी नाता जुड़ता चला गया। 2014 में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान उन्हें उस समय बड़ा झटका लगा जब अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ की हाइपरएंड्रोजेनिस्म पॉलिसी के तहत टेस्टोस्टोरेन (पुरुष हार्मोंस) की मात्रा अधिक पाए जाने के कारण उन्हें निलंबित कर दिया। दुती को बताया गया कि उनके शरीर में टेस्टोस्टोरेन की मात्रा किसी महिला एथलीट से कहीं ज्यादा है। इसके बाद कयास लगाए जाने लगे कि दुती चंद का करियर शायद अब आगे नहीं बढ़ सके, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने स्विट्जरलैंड स्थित खेल पंचाट (सीएएस) में अपना केस लड़ा और जीत हासिल की। इस घटना से दुती की ट्रेनिंग पर गहरा असर पड़ा। लेकिन इस जुझारू खिलाड़ी ने हार नहीं मानी और एक साल के अंदर ही दोबारा अपना दमखम साबित कर दिया।
2014 एशियाई जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीतकर दुती ने 36 साल में ओलंपिक में 100 मीटर इवेंट में क्वालीफाई करने के बाद 36 साल में पहली भारतीय महिला एथलीट बनकर एक और गौरव स्थापित किया, जब पीटी ऊषा ने 1980 के मास्को खेलों में 100 मीटर और 200 मीटर में भाग लिया था। उसके बाद से दुती ने ये गौरव अपने नाम किया। दुती ने महिला रिले टीम का नेतृत्व भी किया। 2016 में बीजिंग में आईएएएफ वर्ल्ड चैलेंज में अपने स्प्रिंट के साथ 18 वर्षीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ दिया। उन्होंने प्रतियोगिता में चौथे स्थान पर जगह बनाई और रियो का टिकट हासिल किया। पिछली बार एथेंस में 12 साल पहले एक भारतीय रिले टीम ओलंपिक फाइनल में पहुंची थी।
समलैंगिक रिश्ते का खुलासा कर सबको चौंका दिया
100 मीटर दौड़ में राष्ट्रीय रिकॉर्ड होल्डर धावक दुती चंद ने समलैंगिक होने का सनसनीखेज खुलासा कर देशभर के खेल प्रेमियों को चौंका दिया। 2018 एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता दुती ने स्वीकारा कि वह समलैंगिक रिश्ते में हैं। सार्वजनिक तौर पर इस तरह की बात स्वीकार करने वाली दुती देश की पहली एथलीट हैं। एक समाचार पत्र से बातचीत करते हुए दुती ने यह खुलासा किया था। उन्होंने बताया कि वह अपने गृहनगर चाका गोपालपुर (ओडिशा) की एक लड़की के साथ रिश्ते में हैं। हालांकि, दुती ने अपनी पार्टनर के बारे में कुछ भी बताने से साफ-साफ मना कर दिया। इस दौरान दुती ने यह भी कहा कि वह भविष्य में उसके साथ घर बसाना चाहती हैं। दुती ने कहा, 2018 में समलैंगिकता पर आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद ही मेरे भीतर इस रिश्ते को सार्वजनिक करने की हिम्मत आई। यह मेरी निजी पसंद है। इसका सम्मान किया जाना चाहिए।
आेलंपिक में देश के लिए पदक जीतने का सपना
दुती चंद का कहा है कि नपोली में मिली सफलता के बाद उनके अंदर पदक जीतने की लालसा और बढ़ गई है। दुती के मुताबिक अब उनका अगला लक्ष्य ओलंपिक में हिस्सा लेना आैर देश के लिए पदक जीतना है। इसके लिए वह लगातार कोिशश कर रही हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.