दिल्ली की सविता गर्ग का खुद का सालाना टर्नओवर 44 लाख रुपये है, लेकिन इसके बावजूद भी वह दिल्ली की गृहणियों को बिजनेस वुमन बनाने का काम कर रही हैं।
नई दिल्ली। गृहणियों से अगर पूछ जाए कि वह खुद को आर्थिक सशक्त बनाने के लिए क्या कर रही हैं, तो उनका जवाब होगा कि वह घर के कामों में उलझी रहतीहैं, ऐसे में अपनी जरूरत के लिए पति पर ही निर्भर हैं, घर छोड़कर कमाने थोड़े ही जाएंगी। बात उनकी भी सही है, लेकिन अगर गृहणी आर्थिक सक्षम न हो, तो उसे लाचार समझा जाता है। इसी बात को दिल्ली की सविता गर्ग ने समझा और आज वह दिल्ली की गृहणियों को वर्किंग वुमेन बनाने का काम कररही हैं। सविता गर्ग ने साल 2015 में एक ऑनलाइन टीचिंग प्लेटफ़ॉर्म, ‘ईक्लासोपीडिया’ की शुरुआत की। इसका उद्देश्य बच्चों को अपने स्तर, अपनी सुविधा के अनुसार अनुकूल वातावरण में पढ़ने को मिले और दूसरा, ऐसी महिलाओं के करियर को एक मौका देना, जिन्हें अपनी ज़िम्मेदारियों के चलते अपने काम या फिर किसी नौकरी को छोड़ना पड़ा।
खुद से ली प्रेरणा और शुरू हुआ अभियान
सवाई माधोपुर की सविता पढ़ने-लिखने में अव्वल थीं, लेकिन उनके शहर में सुविधाओं का आभाव था। ट्यूशन, कोंचिंग क्लास आदि जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी, लेकिन फिर भी सविता ने ग्रेजुएशन, मास्टर्स और बीएड तक की पढ़ाई की। 2005 में सविता शादी होकर दिल्ली आ गईं। वो हमेशा से टीचर बनना चाहती थीं और पढ़ाने का उन्हें बेहद शौक था, लेकिन घर परिवार के बीच वो कुछ कर नहीं पा रही थीं। पति सरकारी विभाग में थे, तो तबादलों के कारण एक शहर से दूसरे शहर जाना-आना लगा रहता था। 2007 में सविता ने यूजीसी नेट की परीक्षा पास की, लेकिन वह किसी कारणवश अपने शिक्षक बनने के सपने को पूरा नहीं कर सकीं। उनका परिवार लोनावाला में रह रहा था और साल 2014 में दिल्ली शिफ्ट हो गया। यहां उन्होंने एक स्कूल में नौकरी शुरू की, लेकिन अपनी नौकरी और बच्चों की जिम्मेदारी के बीच सामजंस्य बैठाना मुश्किल हो गया। सविता को नौकरी छोड़नी पड़ी। सविता ने ‘वर्क फ्रॉम होम’ के विकल्प तलाशना शुरू किया। उन्होंने एक दो जगह ऑनलाइन ट्यूशन देने के लिए भी अप्लाई किया। शुरू में, एक-दो जगह उन्होंने स्काइप क्लास दीं, लेकिन इसमें उन्हें बहुत सी टेक्निकल समस्याएं आ रही थीं। ऐसे में, सविता ने निश्चय किया कि अब वह अपना कुछ शुरू करेंगी और ऑनलाइन क्लासेज को बच्चों और टीचर्स, दोनों के लिए आसान बनाएंगी। सविता ने अपना टीचिंग स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया। साल 2015 में ‘ईक्लासोपीडिया’ लॉन्च किया। यह एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म है जहाँ पर छात्रों को ऑनलाइन क्लास दी जाती हैं। सबसे पहले कोई भी छात्र-छात्रा, कहीं भी रहते हुए इस प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर कर सकते हैं। इसके बाद, वे अपनी जरूरत के हिसाब से अपना टीचर चुन कर उनसे एक डेमो क्लास लेने के लिए अप्लाई करते हैं। डेमो क्लास होने के बाद छात्र तय करते हैं कि वे उस टीचर से पढ़ना चाहते हैं या नहीं। यदि हां तो वे फीस देकर अपनी क्लास शुरू कर सकते हैं। फिलहाल, उनकी संस्था स्कूल, कॉलेज के सभी विषयों के साथ-साथ कुछ स्पेशल भाषा जैसे फ्रेंच, स्पेनिश आदि मिलाकर 30 से ज़्यादा विषय पढ़ा रहे हैं। 350 से भी ज्यादा टीचर्स और 650 स्टूडेंट, रजिस्टर्ड हैं। उनके ज्यादातर छात्र विदेशों जैसे कि सिंगापुर, कुवैत,यूके, यूएस जैसे देशों से हैं। अलग-अलग विषय के हिसाब से उनकी एक क्लास की फीस 500 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक है। एक महीने में टीचर्स 8-10 क्लास लेते हैं और एक स्टूडेंट लगभग आठ से दस महीने तक उनके पास पढ़ता है।
80% गृहिणियां हैं टीचर
सविता की संस्था में टीचरों में ज्यादातर महिलाएं हैं और ये महिलाएं गृहणियां हैं जोकि अपने घरों से काम करती हैं। उनके पास ऐसे भी टीचर्स हैं जो किशुरू से ही उनके साथ हैं और आज उन टीचर्स का अपना स्टूडेंट बेस इतना हो गया है कि उनकी महीने की कमाई किसी कॉर्पोरेट कंपनी से कम नहीं है। उनके ज्यादातर टीचर बीस हजार रुपये महीना तक आसानी से कमा लेते हैं।
घर की चुनौतियों से मिली सीख
सविता कहती हैं कि सबसे बड़ी चुनौती तो घर-परिवार वालों को ही समझाना था। क्योंकि उन्हें लग रहा था कि ऐसी किसी जगह पैसे क्यों डालना, जहां सफलता का चांस बहुत कम है। इस तरह लोगों के व्यवहार ने उन्हें निराश किया। वे उनसे कहते कि इससे बच्चों की परवरिश में कमी होगी, घर कैसे सम्भलेगा। लेकिन मैं मन बना चुकी थी मेरे पति मेरे साथ थे। लगभग 5 लाख रुपये की लागत के साथ शुरू हुए इस स्टार्टअप को सफल बनाने के लिए सविता ने बहुत सी समस्याओं का सामना किया है। आज उनकी टीम में 10 लोग उनके साथ काम कर रहे हैं, जो कि टीचर होने के साथ-साथ वेबसाइटकी अन्य जरूरतें भी देखते हैं। सविता खुद हिंदी की ऑनलाइन क्लास लेती हैं और बाकी बिजनेस को सम्भालते हुए, अपने परिवार को भी अच्छे से चला रही हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.