कोरोना काल में अधिकतर लोग जब कारोबार मंदा चलने के कारण हिम्मत हार रहे थे, तब कुल्लू की महिलाएं विपरीत परिस्थिति में उभर कर सामने आईं। इन महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह बनाकर अचार का कारोबार किया। घर के कामकाज के बाद ये महिलाएं अचार बनाती हैं और अच्छी कमाई कर रही हैं...
लॉकडाउन-एक में लोगों के कारोबार बिल्कुल ठप हो गए थे। कईयों को नौकरियों से भी हाथ धोने पड़े। अचानक आईं इन विपरीत परिस्थितियों में लोगों को जीवन जीने में कठिनाई होने लगी। लेकिन कुल्लू की महिलाओं ने ऐसे हालत में जो जज्बा दिखाया, उसे हर किसी ने सराहा और बहुत से लोगों ने उनसे प्रेरणा लेकर खुद का भी जीवन संवारा। कुल्लू की इन महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह बनाया और अचार का कारोबार शुरू किया। अब इसमें वह अच्छी कमाई कर रही हैं। कुल्लू शहर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों की मांग भी ये महिलाएं पूरी कर रही हैं।
चल पड़ा आचार का कारोबार, बढ़ रही मांग
अनलॉक होने के बाद अब महिलाओं के अचार बनाने का कारोबार रफ्तार पकड़ने लगा है। दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों से भी ऑर्डर आने लगे हैं। शहर ही नहीं, गांव की महिलाएं भी स्वावलंबन की दिशा में अग्रसर हुई हैं। कुल्लू जिला में महिलाओं द्वारा समूह बनाकर अचार सहित अन्य उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। समूह में आठ से 10 महिलाएं शामिल हैं। ये महिलाएं अचार बनाकर आत्मनिर्भर बन कर उभरी हैं। मौजूदा समय में कुल्लू में महिलाओं के तीन स्वयं सहायता समूह बेहतर कार्य कर रहे हैं। इनकी सदस्य महिलाएं घर के कामकाज के साथ अचार व जूस सहित अन्य उत्पाद बनाकर अपनी आर्थिकी सुदृढ़ कर रही हैं। ग्रामीण इलाके की महिलाएं भी इस ओर रुख करने लगी हैं।
पहले घर के लिए डालती थीं, अब अचार व्यवसाय
कुल्लू के पुईंद की प्रिया शर्मा कहती हैं, हम लोग पिछले दो वर्षों से आचार का करोबार करती आ रही हैं। इस साल लॉकडाउन में कारोबार मंदा हो गया था। लेकिन हिम्मत नहीं हारी और योजनावद्ध तरीके से कारोबार को रफ्तार दी। अब अचार की बहुत डिमांड आ रही है। हमारा पांच महिलाओं का समूह है और हम मिलकर अचार तैयार करती हैं। वहीं, भुंतर की पूनम परमार का कहना है अचार तो वे 2012 से डालती आ रही हैं, लेकिन कारोबार के तौर पर लॉकडाउन में ही शुरू किया। अचार बनाकर आज दस से 15 हजार रुपये मासिक आय प्राप्त कर रही हैं। पुईंद की प्रिया शर्मा, रजना शर्मा, प्रोमिला, गीता, सरिता ठाकुर ने बताया वे पांच महिलाएं एक साथ कार्य करती हैं। वे सभी महिलाएं अपने घरेलू कामकाज सहित खेतीबाड़ी भी करती हैं। इसके बावजूद अचार का व्यापार साइड बिजनेस के तौर पर शुरुआत की है। इससे वे अतिरिक्त आय अर्जित कर रही हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। दिनभर के काम से थेड़ा समय अचार बनाने के लिए रविवार को या रोजाना शाम को एकत्रित होकर निकालती हैं।
दो साल तक खराब नहीं होता लिगड़ी का अचार, भारी मांग
कुल्लू का लिगड़ी का अचार बहुत मशहूर है। सबसे पहले लिगड़ी को अच्छी तरह से साफ करते हैं। फिर इसे आधा उबालते हैं। फिर धूप में सुखाने के लिए रख देते हैं। जब अच्छे से पानी सूख जाता है तो तेल को गर्म करते हैं। तेल ठंडा होने के बाद इसमें लिगड़ी डाल देते हैं और फिर इसमें अजवाइन, मेथी, नमक, हल्दी, मिर्च स्वाद अनुसार डालते हैं। अंत में राई पाउडर डाला जाता है, ताकि अचार जल्दी खराब न हो। इसके बाद डिब्बे में पैक किया जाता है और एक सप्ताह बाद अचार खाने के लिए तैयार हो जाता है। यह अचार दो साल तक खराब नहीं होता है। लिगड़ी के अलावा गोभी, गाजर, आडू का अचार, आम का अचार, भिंडी, बेंगन का अचार, अरबी, लहसुन का भी अचार भी यहां की महिलाएं खूब बनाती हैं।
कई गुणों से भरपूर है यह अचार
कुल्लू पंचकर्मा के आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनीष सूद कहते हैं, लिगड़ी में कई प्रकार के विटामिन पाए जाते हैं, जो शरीर के पोषण के लिए आवश्यक होते हैं। इसमें एंटी आक्सीडेंट विटामिन-ए, ओमेगा-3, ओमेगा-6 आदि आवश्यक तत्व पाए जाते हैं। यह सर्दी, खांसी और वायरल के लिए भी लाभकारी है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.