गनेमत का वजन कम था इसलिए वह बंदूक नहीं उठा पाती थीं। बंदूक उठाने पर कंधो और हाथ थक जाते थे। बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इतिहास रच डाला।
गनेमत सेखों ने शूटिंग की शुरूआत राइफल से की थी, लेकिन उन्हें इसमें मजा नहीं आया तो उन्होंने बंदूक थाम ली। जिस किसी ने भी दुबली पतली गनेमत को देखा यही कहा कि बंदूक चलाना उनके बस की बात नहीं है। वजन कम होने के चलते उनसे बंदूक नहीं उठती थी। कंधे और हाथ थक जाते थे। बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और रविवार को कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में इतिहास रच डाला। स्कीट शूटिंग आज तक किसी महिला शूटर ने विश्व कप में पदक नहीं जीता। गनेमत ने कांस्य जीतकर यह कारनामा कर दिखाया।
विश्व रैंकिंग में 82वें स्थान पर काबिज इस निशानेबाज ने 40 सटीक निशाने लगाए। गनेमत इससे पहले 2018 में आईएसएसएफ विश्व चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय स्कीट निशानेबाज बनी थीं। उन्होंने 2017 में सिडनी में हुए जूनियर स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। वह 2018 एशियाई खेलों में इस स्पर्धा में 10वें स्थान पर रही थीं।
चंडीगढ़ की गनेमत ने 2013 में अपने शूटर चचेरे भाई से प्रभावित होकर राइफल शूटिंग शुरू की, लेकिन इसमें उन्हें मजा नहीं आया तो 2015 में उन्होंने मोती बाग शूटिंग रेंज पटियाला में स्कीट में हाथ आजमाया, लेकिन इसमें गनेमत का वजन आड़े आ रहा था। गनेमत बताती हैं कि उन्होंने इसके बाद अपनी फिटनेस पर काफी काम किया और हिम्मत नहीं हारी। गनेमत आज अगर स्वर्ण जीत जातीं तो उन्हें 1000 रैंकिंग अंक मिलते जिससे वह टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने की होड़ में शामिल हो जातीं। गनेमत ने क्वालिफाईंग में 117 का स्कोर कर तीसरे स्थान पर रहीं।
बीए प्रथम वर्ष की छात्रा हैं गनेमत
गनेमत सेखों चंडीगढ़ की रहने वाली हैं। उनके पिता अमरिंदर सिंह व्यापार करते हैं। गनेमत सेक्टर- 32 स्थित एसडी कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष की छात्रा हैं। अमरिंदर सिंह ने बताया कि वर्ल्ड कप में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली गनेमत सेखों पहली भारतीय हैं। इससे पहले 2017 में भी गनेमत जूनियर वर्ग में कांस्य पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय शूटर थीं।
रोजाना पटियाला जाती हैं अभ्यास करने
गनेमत चंडीगढ़ से पटियाला शूटिंग रेंज पर रोजाना अभ्यास करने जाती है। यह सिलसिला पिछले कई साल से जारी है। क्योंकि ट्राइसिटी और इसके आस पास स्कीट इवेंट के लिए कोई रेंज नही हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.