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जिंदगी में अंधकार के बावजूद रंग भरने लगीं हिमा

Published - Mon 25, Jan 2021

पढ़ाई के तुरंत बाद शादी और फिर तलाक ने हिमा बिंदू की जिंदगी में अंधकार भर दिया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जब उन्हें लगा कि पेंटिंग के क्षेत्र में भविष्य बनाना है, तो उन्होंने कॉफी के कचरे से पेंटिंग बनानी शुरू की। जिसके लिए उन्हें हर तरफ सराहना मिल रही है।

hima bindu

नई दिल्ली। हिमा बिंदू हैदराबाद की रहने वाली हैं। कंप्यूटर साइंस में स्नातक करने के बाद वह आगे नहीं पढ़ सकीं, क्योंकि एक एनआरआई से उनका विवाह कर दिया गया। हिमा की मानें तो मेरी शादी ज्यादा दिन नहीं चल सकी। घरेलू हिंसा के चलते विवाह के नौ माह बाद निराश होकर मैं भारत लौट आई लेकिन मां की प्रेरणा से मैंने आगे बढ़ने का निर्णय लिया। मुझे एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी मिली। मैंने कंपनी की सीएसआर गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया। एचआईवी-एड्स रोगियों और नेत्रहीन बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोमबत्तियां और पेपर बैग बनाना सिखाया। एक समर कैंप में मुझे पेंटिंग सिखाने का मौका मिला। जब रंग सामग्री में मिट्टी और अलसी के तेल की तीखी गंध से मुझे सांस लेने में समस्या हुई, तो मैंने कॉफी के कचरे से बने काढ़े के साथ पेंटिंग शुरू की। फिर स्वास्थ्य समस्याओं के चलते मैंने नौकरी छोड़ दी और अपना पूरा समय पेंटिंग को समर्पित कर दिया। इसमें कई लोगों ने मेरा सहयोग किया और फिर मैंने विभिन्न शैलियों में पेंटिंग बनानी शुरू कर दी।     

कई शैली की पेंटिंग का किया प्रदर्शन 

मैंने कॉफी के कचरे से तंजौर, मधुबनी, कलमकारी, वारली, गोंड शैली की पेंटिंग बनानी शुरू की। मैंने कला और भाषा को समझने में अपना वक्त देना शुरू किया। साथ ही इस साल कला और भाषा के लिए ऑनलाइन कक्षाएं भी लेनी शुरू कीं। 

मां बनीं प्रेरणा 

मेरा काम अन्य कलाकारों से अलग है, क्योंकि मैं एक माध्यम के रूप में कॉफी का उपयोग कर अधिकांश कला रूपों को प्रस्तुत करने की कोशिश करती हूं। मेरे जीवन के मुश्किल हालात में मेरी मां मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा बनीं। उन्होंने मुझे खुद को पहचानने के लिए कहा। 

प्रतिनिधित्व का मौका

मेरी पेंटिंग देखने के बाद कॉफी बोर्ड ऑफ इंडिया ने मुझे विश्व काफी सम्मेलन में अपने चित्रों के माध्यम से भारत की कला और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने का अनुरोध किया। हालांकि कोविड के चलते वह कार्यक्रम टल गया लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी है और चित्रकारी में नई-नई शैलियों को लगातार आजमाती रहती हूं। मनुष्य ठान ले, तो आगे बढ़ने से उसे कोई नहीं रोक सकता।