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महज 26 साल में आईएएस बन सबको चौंकाया, यूपी से दिल्ली तक हो रही काम की तारीफ

Published - Fri 27, Nov 2020

कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो कोई भी मंजिल पाना मुश्किल नहीं है। एक बात एकदम सटीक बैठती है आईएएस नेहा शर्मा पर। नेहा छत्तीसगढ़ के एक ऐसे जिले से ताल्लुक रखती हैं, जिसे अति पिछड़ा माना जाता है। यहां न तो शिक्षा के बेहतर संसाधन हैं और ना ही अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं। ऐसे जिले में जन्मीं नेहा ने बचपन में ही आईएएस बनने का सपना देखा और बहुत ही कम उम्र में इस मुकाम को हासिल कर सबको चौंका दिया। यूपी कैडर की यह आईएएस जिस भी जिले में तैनात होती है, वहां की तस्वीर बदलने के लिए दिन-रात मेहनत करती है। यही वजह है कि आईएएस नेहा के काम की तारीफ न केवल यूपी, बल्कि दिल्ली तक होती है। नेहा फिलहाल नोएडा की एसीईओ (ACEO) हैं। आइए जानते हैं उनके इस सफर के बारे में....

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में जन्मीं नेहा शर्मा 2010 बैच की आईएएस हैं। कोरिया की गिनती देश के अति पिछड़े जिलों में होती है। यहां बेटियों को ज्यादा पढ़ाने-लिखाने का चलन नहीं है। बेटियों के जिले से बाहर जाकर पढ़ाई करने पर बंदिशें लगाई जाती हैं। कम उम्र में ही उनके हाथ पीले कर उन्हें ससुराल भेज दिया जाता है। अपने आस-पास इस तरह का माहौल होने के बावजूद नेहा ने बचपन से ही प्रशासिनक सेवाओं में जाने का सपना देखने की हिम्मत जुटाई। नेहा का जन्म 13 फरवरी 1984 को कोरिया निवासी डॉक्टर आरके शर्मा और डॉ. रजनी शर्मा के घर में हुआ था। माता-पिता दोनों के डॉक्टर होने के कारण शुरू से ही नेहा को घर में अच्छा माहौल मिला। नेहा तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। नेहा का छोटा भाई संकल्प शर्मा फिलहाल डॉक्टरी की तैयारी कर रहा है। जबकि सबसे छोटी बहन निष्ठा शर्मा नेहा की तरह सिविल सेवा में जाने के लिए तैयारी कर रही है। माता-पिता और परिवार का सहयोग मिलने के कारण नेहा ने न केवल जिले से बाहर जाकर पढ़ने की परंपरा का सूत्रपात किया, बल्कि दिल्ली में रहकर पढ़ाई पूरी करने के चंद साल बाद ही महज 26 साल की उम्र में आईएएस बन सभी को चौंका दिया। नेहा यूपी कैडर की आईएएस हैं। उनकी गिनती तेज-तर्रार और ईमानदार अफसरों में होती है। वह जिस भी जिले में रहती हैं, वहां की काया पलटने के लिए जी तोड़ मेहनत करती हैं। उनकी कार्यशैली के कारण ही वह जिस भी जिले में जाती हैं, लोग उन्हें आदर से अफसर बिटिया कहकर संबोधित करते हैं। नेहा के पति दर्पण अमरावंशी भी आईआरएस अफसर हैं। उनकी तैनाती कस्टम विभाग में है।

कक्षा पांच के बाद बोर्डिंग स्कूल में रहकर की पढ़ाई

कोरिया जिले में पढ़ाई के बेहतर संसाधन न होने के कारण कक्षा 5वीं के बाद नेहा को माता-पिता ने आगे की पढ़ाई के लिए ग्वालियर के बोर्डिंग स्कूल सिंधिया में भेज दिया। नेहा ने 12वीं तक की पढ़ाई वहीं से पूरी की। बाद में आगे की शिक्षा के लिए वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस चली आईं। यहां नेहा ने बीए करने के बाद दिल्ली कॉलेज ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर की डिग्री पूरी की। मास्टर डिग्री पूरी करने के दौरान ही नेहा यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं। साल 2010 में जब नेहा 26 साल की थीं तो उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में हिस्सा लिया और 66वीं रैंक हासिल कर आईएएस बन गईं। लाल बहादुर शास्त्री अकादमी में ट्रेनिंग के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर मिला।

बागपत में मिली पहली पोस्टिंग

नेहा को पहली पोस्टिंग 2012 में बागपत में बतौर एसडीएम मिली। इसके बाद साल 2013 में एसडीएम कानपुर सदर बनाई गईं। साल 2014-2015 में उन्नाव में सीडीओ का पद संभाला। साल 2017 में पहली बार नेहा को बतौर डीएम फिरोजाबाद की कमान सौंपी गई। इसके बाद वह रायबरेली की डीएम बनाई गईं। फिलहाल उनकी पोस्टिंग नोएडा में बतौर एसीईओ है।  

फिरोजाबाद की डीएम रहते बदली जिले की तस्वीर

फिरोजाबाद में बतौर डीएम तैनात होने के बाद नेहा ने देखा की शहर में काफी गंदगी है। लोग सफाई को लेकर जागरूक नहीं हैं। जिले को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए डीएम नेहा ने अफसरों से ब्लूप्रिंट तैयार कराया और जुट गईं फिरोजाबाद की काया पलटने में। नेहा ने फिरोजाबाद के सौंदर्यकरण पर जमकर काम किया, उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान के तहत मुहिम का संचालन बखूबी किया। इसका असर फिरोजाबाद की सड़कों पर और शहर में दिखाई भी दिया। शहर की दीवारों को पेंटिंग में बदल दिया। लोगों को कचरा डस्टबिन में डालने के लिए प्रेरित किया। डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन की व्यवस्था दुरुस्त कराई। खाली स्थानों और सड़कों के किनारे छायादार पौधे लगवाए। तालाबों, कुओं की सफाई कराई। नेहा के इन कार्यों की तारीफ यूपी से लेकर दिल्ली तक हुई। नेहा कहती हैं कि अगर आपकी मंशा ठीक हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। नेहा शर्मा को 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' अभियान को लेकर भी लोगों को जागरूक किया। इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया।

परेशान लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाना ही मकसद

नेहा शर्मा कहती हैं कि मैंने अलग-अलग जिलों में देखा कि छोटे-छोटे कामों के लिए गरीब और असहाय लोगों को इधर-उधर भटकाया जाता है। जो काम कुछ मिनटों या घंटों में हो जाता है, उसके लिए उन्हें हफ्तों या महीनों इंतजार कराया जाता है। प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी अगर थोड़ी सजगता बरतें तो लोगों को इस तरह की परेशानियों से बचाया जा सकता है। मेरा प्रयास यह रहता है कि कोई जरुरतमंद यदि मेरे पास आए या ऐसा कोई मामला मेरे सामने आए तो उसका जल्द से जल्द समाधान कर दिया जाए। लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाना ही मेरा मकसद है।