पढ़ाई के बाद विदेश में नौकरी करना देश के हर युवा का सपना होता है। कुछ इसमें सफल हो जाते हैं, तो कुछ की ख्वाहिश अधूरी रह जाती है। आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने अपने दादा और पिता का ख्वाब पूरा करने के लिए न केवल लंदन में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी, बल्कि पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्लीयर कर आईएएस भी बनीं। हम बात कर रहे हैं आईएएस सौम्या अग्रवाल की। सौम्या ने करोड़ों के पैकेज की बजाय देश की सेवा को अहमियत दी। वह तीन जिलों की डीएम रहने के साथ कई और महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। फिलहाल वह बस्ती की डीएम हैं। आइए जानते हैं उनकी सफलता के सफर के बारे में...
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की डीएम सौम्या अग्रवाल मूलत: आगरा की रहने वाली हैं। उनके पिता ज्ञानचंद अग्रवाल रेलवे में सिविल इंजीनियर रह चुके हैं। सौम्या ने 12वीं तक की पढ़ाई लखनऊ से पूरी की। उनका परिवार आलमबाग की रेलवे कॉलोनी में रहता है। सौम्या ने लखनऊ के सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। यहां साफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2004 में उन्हें पुणे की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी मिल गई। कुछ दिन पुणे में रहना हुआ। फिर कंपनी ने लंदन भेज दिया।
लंदन में हर दिन आती थी देश की याद
पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद सौम्या को नौकरी तो मिल गई, लेकिन उनके मन को संतुष्टि नहीं मिली। उन्हें लंदन में हर दिन अपने देश की याद सताती थी। वह देश में ही रहकर देशवासियों के लिए कुछ करना चाहती थीं। परिवार से दूर रहना भी उन्हें काफी खल रहा था। लंदन में दो साल तक नौकरी करने के बाद भी उनका मन वहां नहीं लग रहा था। उनका अपने काम से भी लगाव खत्म हो रहा था। वह बार-बार खुद से सवाल पूछतीं कि वह लंदन में क्या कर रही हैं। अपने देश में भी रहकर तो कुछ अच्छा किया जा सकता है।
पिता से साझा की मन की बात
कई दिनों की दिमागी नूराकुश्ती के बाद एक दिन सौम्या ने इस बारे में अपने पिता से बात करने का फैसला दिया। उन्होंने अपने मन में चल रही सारे सवालों और दिमागी उलझन के बारे में पिता को बताया। साथ ही यह भी पूछा कि भारत में लौटकर उन्हें क्या करना चाहिए। इस पर पिता ने उन्हें आईएएस की तैयारी करने की सलाह दी। पिता की बात सुनने के बाद सौम्या ने मन में ठान लिया कि वह अब भारत लौट आएंगी और यहां रहकर आईएएस की तैयारी करेंगी। उन्होंने इस बारे में पिता को बताया तो वह भी तैयार हो गए। फिर क्या था सौम्या ने साल 2006 में लंदन की नौकरी छोड़ी और भारत लौट आईं।
लखनऊ में शुरू की तैयारी, दिल्ली में की कोचिंग
भारत लौटने के बाद सौम्या लखनऊ स्थित अपने घर पहुंचीं और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तैयारी शुरू कर दी। इस बीच उन्होंने तीन माह दिल्ली के बाजीराव संस्थान में कोचिंग भी की। उन्होंने एक साल की कड़ी मेहनत से पहली बार में ही यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। यूपीएससी 2008 की सूची में उन्हें 24वीं रैंक हासिल हुई। सौम्या को पहली तैनाती कानपुर में बतौर एसडीएम मिली थी।
सिविल सेवा में नहीं था परिवार का कोई सदस्य
सौम्या की बड़ी बहन पूजा अग्रवाल एमटेक कर निजी कंपनी में नौकरी करती हैं। छोटी बहन जया भी बिजनेस इकोनॉमिक्स में पढ़ाई पूरी कर प्राइवेट कंपनी में नौकरी करती हैं। सौम्या बताती हैं कि उनके दादाजी पीसी अग्रवाल पीडब्ल्यूडी में नौकरी करते थे। वे हमेशा कहते थे कि एक बार यूपीएससी की परीक्षा जरूर देनी चाहिए। मैंने उनकी ख्वाहिश पूरी की है।
आईएएस सौम्या का अब तक का सफर
सौम्या की नौकरी की शुरुआत कानपुर से हुई। सर्वप्रथम वह कानपुर में उप जिलाधिकारी (एसडीएम) के पद पर तैनात हुईं। महाराजगंज में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) और जिलाधिकारी (डीएम) रहीं। फिर उन्नाव में डीएम रहीं। फिर से उनकी तैनाती कानपुर में केस्को में बतौर एमडी हो गईं और अब वह डीवीवीएनएल की प्रबंध निदेशक (एमडी) रहीं। वर्तमान में वह बस्ती की जिलाधिकारी हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.