जबलपुर की अंतरराष्ट्रीय स्तर की तीरंदाज मुस्कान किरार के पिता वीरेन्द्र किरार जबलपुर के गुरंदी बाजार में सामान्य सी दुकान चलाते हैं। जबकि मां माला किरार गृहणी हैं। पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि बेटी को अंतरराष्टीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए प्रशिक्षण दिला सकें। फिर भी बेटी की लगन को देखते हुए हर संभव संसाधन जुटाने का प्रयास किया। मुस्कान ने भी पिता को निराश नहीं किया। रोजाना वह 6 से 8 घंटे तक अभ्यास करती रहीं और आज भारत की राष्ट्रीय तीरंदाजी टीम की सदस्य हैं।
नई दिल्ली। मुश्किलों से हार कर बैठ जाने वाले मंजिल नहीं पाते, जो हालात से लड़ते हैं जीत उन्हीं की होती है। कुछ कर दिखाने की जिद ने मप्र के जबलपुर (संस्कारधानी) के एक सामान्य से परिवार की बेटी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न केवल पहचान दिलाई, बल्कि आज उसकी वजह से पूरा प्रदेश खुद को गौरवांवित महसूस करता है। हम यहां बात कर रहे हैं जबलपुर की अंतरराष्ट्रीय स्तर की तीरंदाज मुस्कान किरार की। मुस्कान के पिता वीरेन्द्र किरार जबलपुर के गुरंदी बाजार में सामान्य सी दुकान चलाते हैं। जबकि मां माला किरार गृहणी हैं। पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि बेटी को अंतरराष्टीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए प्रशिक्षण दिला सकें। फिर भी बेटी की लगन को देखते हुए हर संभव संसाधन जुटाने का प्रयास किया। मुस्कान ने भी पिता को निराश नहीं किया। रोजाना वह 6 से 8 घंटे तक अभ्यास करती रहीं और आज भारत की राष्ट्रीय तीरंदाजी टीम की सदस्य हैं। मुस्कान ने यह कामयाबी महज 17 साल की उम्र में ही हासिल कर विश्व तीरंदाजी संघ को भी चौंका दिया है।
एशियन गेम्स में पदक जीत चर्चा में आईं
मुस्कान किरार एक साल पहले उस समय चर्चा में आईं जब उन्होंने 18वें एशियन गेम्स की तीरंदाजी कंपाउंड टीम इवेंट में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। इसके साथ ही वह एशियन गेम्स में हॉकी छोड़कर किसी दूसरे खेल में पदक जीतने वाली मप्र की पहली खिलाड़ी भी बन गईं। उन्होंने मधुमति कुमारी और ज्योति सुरेखा के साथ मिलकर यह पदक जीता। इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के लिए उन्हें तत्कालीन भाजपा की प्रदेश सरकार ने 75 लाख रुपये नकद पुरस्कार से नवाजने का एलान किया है। इससे पहले मुस्कान ने थाईलैंड में आयोजित एशिया कप में भारत को स्वर्ण और कांस्य पदक दिलाया था। मुस्कान ने टर्की में वर्ल्ड कप स्टेज-2 में भी देश को रजत पदक दिला चुकी हैं। मध्य प्रदेश राज्य तीरंदाजी अकादमी जबलपुर में वर्ष 2016 से तीरंदाजी का अभ्यास कर रहीं मुस्कान किरार भुवनेश्वर में आयोजित 37वीं सब जूनियर राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर चैंपियन बनी थीं।
चार साल में हासिल किया अंतरराष्ट्रीय मुकाम
15 साल की उम्र में जबलपुर स्थित रानीताल राज्य तीरंदाजी अकादमी में पहली बार प्रवेश पाने के बाद मुस्कान ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अकादमी में मुख्य कोच रिचपाल सिंह सलारिया ने मुस्कान के खेल को तराशा है। आज भी वह उन्हीं के मार्गदर्शन में अभ्यासरत हैं। पिछले वर्ष एशियन गेम्स में मुस्कान ने भारत के लिए रजत पदक जीता था। देश के लिए पदक जीतने की चाहत ने पढ़ाई में उन्हें पीछे कर दिया, हालांकि इसी वर्ष उन्होंने 12वीं की परीक्षा पास की है। विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में पदक विजेता जीतने के बाद मुस्कान की व्यक्तिगत रैंकिंग में काफी सुधार हुआ है। अब उनकी व्यक्तिगत रैंकिंग 7वीं है। दो बहनों और एक भाई में मुस्कान सबसे बड़ी है। दिलचस्प बात यह है कि मुस्कान की छोटी बहन भी राज्य तीरंदाजी अकादमी में अभ्यास करती हैं। वह अभी 14 साल की है।
लक्ष्य से न भटके ध्यान इसलिए एक साल के लिए छोड़ी पढ़ाई, अब जीता गोल्ड मेडल
मुस्कान किरार पिछले साल ही एशिया कप तीरंदाजी में गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने कंपाउड कैटेगिरी फाइनल मुकाबले में 139 पॉइंट के साथ मलेशिया की प्लेयर को पीछे छोड़ा। यह मेडल उन्होंने थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में जीता था। मुस्कान को इस सफलता के लिए अपनी पढ़ाई से समझौता करना पड़ा। उन्होंने बताया कि देश के लिए गोल्ड जीतना मेरे लिए सुखद अहसास है। शुरुआत में मुकाबला थोड़ा टफ था, फिर बाद में मैंने संभाल लिया और गोल्ड मेडल जीता। इस पल को हासिल करने के लिए मैंने पढ़ाई ड्रॉप की है। मुस्कान की ख्वाहिश एशियाड में देश को रिप्रेंजट करने की है।
विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता
मुस्कान ने नीदरलैंड्स में आयोजित 2019 विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप के कंपाउंट टीम इवेंट में भारत को कांस्य पदक दिला कर देश का मान बढ़ाया है। 19 वर्षीय इस तीरंदाज ने राज कौर (पंजाब) और ज्योति सुरेखा (आंध्रप्रदेश) के साथ कांस्य पदक के लिए हुए मैच में तुर्की की टीम को 229-225 अंकों से हराया। इस तरह भारतीय तिकड़ी ने चार अंक के अंतर से जीत के साथ तीसरा स्थान हासिल किया। इस वर्ग में चाइनीज ताइपे को स्वर्ण और अमेरिका ने रजत पदक जीता।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.