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मैरीकॉम : बॉक्सिंग की दुनिया में नाम कमाने वाली एक भारतीय हस्ती

Published - Sat 08, Jun 2019

18 साल की उम्र में बॉक्सिंग रिंग में उतरी, 36 साल की उम्र में भी वही जोश, तीन बच्चों की मां होने के बावजूद बॉक्सिंग के प्रति लगाव पहले जैसा

भारत के उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर से ताल्लुक रखने वाली स्टार बॉक्सर एमसी मैरीकॉम की देश ही नहीं दुनिया में एक अलग पहचान है। वे दुनियाभर में छह बार विश्व चैंपियन होने का डंका बजा चुकी हैं। आज 36 साल की हो चुकीं मैरीकॉम महज 18 साल की उम्र से ही बॉक्सिंग जैसे खेल में खुद को ढाल चुकीं थीं। उन्होंने जहां छह विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया है, वहीं एक विश्व चैंपियनशिप में उन्हें कांस्य पदक मिला। खेलों की दुनिया में मैरीकॉम भारतीय महिला खिलाड़ियों के लिए एक जीती जागती मिसाल हैं। उनकी बेमिसाल जीवटता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तीन बच्चों की मां होने के बावजूद बॉक्सिंग के प्रति उनके लगाव और प्रदर्शन में रत्ती भर भी अंतर नहीं आया है। या यूं कहें कि उनके प्रदर्शन एवं अनुभव में लगातार बढ़ोतरी ही हुई है।

टोक्यो ओलंपिक 2020 के बाद लेंगी संन्यास
मैरीकॉम ने 6 जून 2019 को घोषणा कर दी है कि टोक्यो में आयोजिन होने वाला ओलंपिक (2020) उनका अंतिम ओलंपिक खेल होगा। मैरीकॉम इसके बाद बॉक्सिंग से संन्यास ले लेंगी। मैरीकॉम का जन्म मणिपुर के छोटे से स्थान कांगथेई के बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था। मैरीकॉम में गरीबी, खेल में हार जैसी तमाम से समस्याओं से जूझने और उनसे उबरने का माद्दा दिखाई देता है। मैरीकॉम के जज्बे में हमेशा से देश के लिए मेडल लाने की ललक देखने को मिली, जो उनके हाल ही में कहे गए इन विचारों में भी झलकता है कि वे टोक्यो ओलंपिक में 4 स्वर्ण पदक हासिल करना चाहती हैं।

दुखद था रियो ओलंपिक क्वालिफाई न कर पाना
एमसी मैरीकॉम अपने पिछले प्रदर्शन को याद करते हुए रियो ओलंपिक में क्वालिफाई न कर पाने के लिए दुख व्यक्त करती हैं। रियो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने में विफल होने के बाद मैरीकॉम ने दिसंबर 2016 में अपना वजन 48 किलोग्राम कर लिया लेकिन मणिपुर की इस मुक्केबाज ने फिर से अपना वजन 51 किलोग्राम कर लिया, क्योंकि वे पिछले 4-5 वर्षों से लगातार इसी वर्ग में बेहतर प्रदर्शन करती रही हैं। गौर करने वाली बात यह है कि वजन कम करना या फिर वजन बढ़ाना मैरीकॉम जैसे खिलाड़ी के लिए कोई गंभीर बात नहीं है,वे ऐसा अपनी तैयारी को ध्यान में रखते हुए करती रहती हैं। मैरी को भारत सरकार ने वर्ष 2003 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था, लेकिन मैरीकॉम सामान्य जीवन जीती हैं। 2012 के ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक, इंडोर एशियन खेलों और एशियन मुक्केबाजी में स्वर्ण, इन्चिओन, दक्षिण कोरिया एशियन खेलों में स्वर्ण, 2001 में प्रथम बार नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप की विजेता सहित 10 से अधिक राष्ट्रीय खिताब जीत चुकी मैरीकॉम अपनी सफलता को खुद पर हावी नहीं होने देती हैं।

अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करती है मैरीकॉम की अकादमी
मणिपुर के पश्चिमी इम्फाल जिले में स्थित मैरी कॉम की मुक्केबाजी अकादमी 3.3 एकड़ में फैली है, जो कि राजधानी इम्फाल से 10 किलोमीटर दूर है। मैरी कॉम रीजनल बॉक्सिंग फाउंडेशन के लिए मणिपुर सरकार ने 2013 में यह जमीन आवंटित की थी, जबकि अकादमी की स्थापना राष्ट्रीय खेल विकास कोष से मिली राशि से हुई है। यह पूर्वोत्तर में पहली आधुनिक अकादमी है, इसमें 20 लड़कियों समेत 45 युवा मुक्केबाज प्रशिक्षण ले रहे हैं।

मैरीकॉम पर बन चुकी है हिंदी फिल्म
इस दिग्गज महिला मुक्केबाज पर 'मैरी कॉम' नाम से बॉलीवुड फिल्म भी बन चुकी है। सितंबर 2014 में रिलीज हुई प्रियंका चोपड़ा स्टारर यह फिल्म बॉलीवुड की सफल फिल्मों में शुमार है। ओमंग कुमार के द्वारा निर्देशित इस फिल्म में भूमिका निभाने वाले अन्य प्रमुख कलाकारों में दर्शन कुमार, सुनील थापा और रॉबिन दास थे। यह फिल्म बॉक्सिंग सीखने के मैरीकॉम के जुनून और उनके सामने परिवार व गरीबी से जुड़ी बड़ी समस्याओं को बखूबी उभारने में सफल रही है।