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माधवी ने व्हीलचेयर पर बैठकर हासिल किए तीन स्वर्ण पदक

Published - Thu 17, Sep 2020

माधवी कहती हैं, मेरे जीवन में बहुत-सी उपलब्धियां हैं। लेकिन इन सबके बावजूद मैं बस एक साधारण महिला हूं, जिसने यह तय किया कि मुझे समाज द्वारा अपनी दिव्यांगता के लिए परिभाषित या सीमित नहीं किया जाएगा, जो मेरे लिए दुर्गम था।

madhavi latha

माधवी लता आंध्र प्रदेश के हैदराबाद और विशाखापत्तनम के बीच राजमार्ग पर मौजूद एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता स्कूल शिक्षक हैं, जबकि मां गृहिणी हैं। माधवी जब तकरीबन सात माह की थी तब पोलियो हो गया और कंधे से नीचे लकवा मार गया। पोलियो से उनके हाथों का मूवमेंट और वाइस भी प्रभावित हो गई। लेकिन समय और दृढ़ता के साथ उन्होंने अपनी आवाज और हाथों पर नियंत्रण पा लिया। जब वह थेड़ी बड़ी हुई उनके पिता ने बेटी को शिक्षित करने के लिए एक स्कूल में दाखिला दिला दिया। तब तक गांव में व्हीलचेयर नहीं पहुंची थी, ऐसे में माधवी की मां या पिता हर दिन उनहें स्कूल लेकर जाते। उच्च शिक्षा पूरी करने के लिए हर कदम पर माधवी को जूझना पड़ा। गणित से एमएससी करने बाद उन्हें हैदराबाद में एक बैंक में नौकरी मिल गई। बतौर बैंकर ज्यादा देर तक बैठे रहने के चलते नौकरी के दौरान उनका स्वास्थ्य खराब होने लगा। डॉक्टरों ने कहा कि पोलियो ने मेरी रीढ़ की हड्डी को संकुचित कर दिया है। साथ ही एक फेफड़े को कम ऑक्सीजन मिल रही थी। इसलिए डॉक्टरों ने तत्काल सर्जरी करवाने को कहा गया। उसी दौरान उनके माता-पिता मुझे एक फिजियोथेरेपिस्ट के पास ले गए, जिन्होंने जीवित रहने की संभावना बढ़ाने के लिए जल-चिकित्सा की प्रक्रिया का सुझाव दिया, जिसके बाद माधवी जल-चिकित्सा करवाने लगी। तब वह चेन्नई में थी, बहुत अभ्यास के बाद आखिरकार वह पूल में तैरने में सक्षम हो गई। पानी की उछाल ने उनके शरीर को हल्का बना दिया और पैरों की कमजोर मांसपेशियां अब वजन सहन करने में सक्षम हो गई थीं। वह पानी के नीचे चल सकती थी।       

पहली प्रतियोगिता 

वर्ष 2010 में एक बैंक में काम करते हुए माधवी ने कॉरपोरेट ओलंपियाड में भाग लिया, जो विशेष रूप से सक्षम एथलीटों के लिए था। माधवी ने 100 मीटर फ्रीस्टाइल पूरा किया, तो सब विस्मित थे। इसके बाद उन्होंने पैरा-स्विमिंग नेशनल चैंपियनशिप में भाग लिया और तीन स्वर्ण पदक जीते। यह पैरा-स्पोर्ट्स के साथ उनके प्रयास की शुरुआत थी। 

यस वी टू कैन 

इसके बाद माधवी ने यस वी टू कैन नाम से अभियान शुरू किया, जिसके माध्यम से वह दिव्यांग लोगों को खेलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उनके प्रयासों से पैरालंपिक तैराकों के लिए एक राज्य स्तरीय संघ का गठन हुआ। इसके बाद चॉइस इंटरनेशनल ने उन्हें व्हीलचेयर बास्केटबॉल के लिए कुछ करने को कहा।

प्रोत्साहन की जरूरत

2014 में व्हीलचेयर बास्केटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया का गठन हुआ। माधवी कहती है, मेरा मानना है कि खेल में अधिक से अधिक महिलाओं और बाल खिलाड़ियों को लाने के लिए हर संघ को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।