Aparajita
Aparajita

महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

पिता के विरोध के बाद भी नहीं मानी हार, मेहनत के दम पर बन गई भारतीय हैंडबॉल टीम की 'जान'

Published - Thu 25, Jun 2020

अगर आप सूर्य की तरह चमकना चाहते हैं, तो पहले उसकी तरह तपना सीखो। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की यह बात पूर्वांचल की शान और भारतीय महिला हैंडबॉल टीम की कप्तान मंजुला पाठक पर खूब फबती है। आज वह समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

मंजुला पाठक

नई दिल्ली। तीन बार भारतीय हैंडबॉल टीम की कप्तान रहते हुए दो पदक देश को दिलाने वाली इस बेटी की संघर्षों से भरी कहानी थककर हार मान जाने वाले खिलाड़ियों के लिए प्रेरणादायक है। हैंडबॉल के लिए मैदान पर उतरीं तो कपड़ों को लेकर गैरों के साथ-साथ पहला विरोध पिता को ही झेलना पड़ा। मगर इस खिलाड़ी ने अपने प्रदर्शन से सभी का मुंह बंद कर दिया और आज वह समाज के प्रेरणास्रोत हैं। 

पिता ने टीशर्ट और शॉट में देखा तो कपड़े जला दिए, मां ने हौसला दिया

मंजुला ने बताया कि एक बार ग्राउंड से लौटने के दौरान पिता ने टीशर्ट और शॉट में देखा, तो कपड़ों की वजह से खेल से दूर रहने की सलाह दी। शॉट्स और हैंडबॉल तक को जला दिया। मगर मां मंजू ने बेटी के सपने को टूटने नहीं दिया, छुपछुप कर उन्हें प्रैक्टिस के लिए भेजती रहीं। शुरूआती प्रतियोगिताओं में जब मंजुला ने पदक जीते तब पिता ने बेटी को कभी ना टोकने की कसम खाई। फिर क्या था तब से लेकर आज तक ये एनईआर की खिलाड़ी भारतीय  हैंडबॉल टीम में लगातार अपनी जगह बनाई हुई है।
देखने वाले की नजर में होती है इज्जत

मंजुला ने कहा कि पूर्वांचल में रुढ़िवादिता लड़कियों का पीछा नहीं छोड़ रही है। टीशर्ट, लोअर, जींस या हाफ पैंट पहनकर प्रैक्टिस के लिए घर से निकलने को लोग अच्छा नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि देखने की नजर में इज्जत होनी चाहिए। जिस दिन ये भाव पुरुषों के मन में होगा बेटियों की राह कोई पिता नहीं रोकेगा।
 

स्कूल में हैंडबॉल देख, खिलाड़ी बनने की ठानी

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की निवासी मंजूला लार कस्बे के सजांव गांव की मूल निवासी हैं।  यहां विशुनपुर कला इंटर कॉलेज में संस्कृत विषय के शिक्षक विनोबा पाठक की तीन संतानों में  मंजुला इकलौती बेटी हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल में लड़कियों को हैंडबॉल खेलते देख उन्हें प्रेरणा मिली। कक्षा 9 की पढ़ाई के दौरान ही स्पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) लखनऊ में उनका सलेक्शन हो गया। उन्होंने वर्ष 2010-14 तक यहां रहते हुए हैंडबॉल की स्टेट और नेशनल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। साल 2014 में स्पोर्ट्स कोटे से उन्हें रेलवे में नौकरी मिली। वह सीएम योगी आदित्यनाथ के हाथों वर्ष 2017 में  रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से भी नवाजी जा चुकी हैं।
 

पाकिस्तान में अपनी कप्तानी में दिलाया सिल्वर

2016 में पाकिस्तान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय हैंडबॉल चैंपियनशिप में अपनी कप्तानी में ही मंजुला ने सिल्वर मेडल दिलाया है। हाल ही में सोलापुर में आयोजित अखिल भारतीय सीनियर हैंडबॉल प्रतियोगिता में इंडियन रेलवे को अपनी कप्तानी में ही गोल्ड मेडल दिलाया। पिछले वर्ष जापान में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में टीम की अगुवाई के साथ एशियन गेम्स के दौरान भी वो भारतीय टीम का सदस्य रहीं हैं। उनका सपना भारतीय हैंडबॉल टीम को शीर्ष स्थान पर काबिज करना है।