टोक्यो ओलंपिक के लिए घोषित की गई भारत की 15 सदस्यीय शूटिंग टीम में उनका नाम भी शामिल है। मनु भाकर को महिला एयर पिस्टल के दोनों इवेंट में जगह दी गई है।
मनु भाकर ने अपने सटीक निशाने से टोक्यों का टिकट कटवा लिया है। टोक्यो ओलंपिक के लिए घोषित की गई भारत की 15 सदस्यीय शूटिंग टीम में उनका नाम भी शामिल है। मनु भाकर को महिला एयर पिस्टल के दोनों इवेंट में जगह दी गई है। वह 25 मीटर पिस्टल में राही सरनोबत के साथ निशाना लगाएंगी। इसके अलावा वे 10 मीटर पिस्टल में यशस्विनी सिंह देसवाल के साथ दिखेंगी। सौरभ चौधरी के साथ वे मिक्स्ड इवेंट में भी उतरेंगी। टोक्यों ओलंपिक में मनु की नजर गोल्ड मेडल पर है। मनु ने 14 साल की उम्र में शूटिंग को अपने करियर का टारगेट बना लिया था।
पहलवानी और मुक्ककेबाजी के लिए जाने वाले वाले राज्य हरियाणा के झज्जर में मनु भाकर का जन्म हुआ। बचपन से ही खेल-कूद से बेहद लगाव था। वह स्कूल के दिनों में टेनिस, स्केटिंग और मुक्केबाजी मुकाबलों में हिस्सा लिया करती थी। साथ ही वह राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाली 'थान टा' नामक एक मार्शल आर्ट का भी हिस्सा रही हैं।
मनु का शूटिंग में आना उनका भाग्य ही है। एक बार बॉक्सिंग के दौरान मनु की आंख में चोट लग गई थी। जिसके बाद उनको बॉक्सिंग छोड़नी पड़ी। क्योंकि उनकी मां को मनु की बहुत चिंता रहती थी। उनको बस यही डर रहता था कि कहीं खेल कूद में उनकी बेटी को कोई गंभीर चोट न लगा जाए। इसके बाद उन्होंने शूटिंग में आने का फैसला किया। शूटिंग रेंज में जाने के एक महीने के भीतर, उन्होंने अपने पिता से पिस्तौल मांग ली।
मनु के पिता को अपनी बेटी पर पूरा विश्वास था। उन्होंने शूटिंग के सभी उपकरण और बाकी सुविधाओं पर 1,50,000 रुपये खर्च कर दिए ताकि बेटी एक अच्छी शूटर बन सके। मनु ने भी पिता को निराश नहीं किया, रात-दिन मेहनत की। इसका नतीजा यह हुआ कि एक साल के अंदर ही मनु ने देशभर में अपना नाम कमाना शुरू कर दिया। मनु 16 साल की उम्र में आईएसएसएफ विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय खिलाड़ी हैं।
मनु ने महिला व्यक्तिगत में, मेक्सिको की एलेजांद्रा जाविया को हराया है, जो दो बार की विश्व कप फाइनल विजेता है और मनु के जन्म से चार साल पहले 1998 से शूटिंग कर रही है। शुरुआत में मनु 24-शॉट फाइनल में अंतिम दो शॉट से पहले 1.7 अंक से पीछे चल रही थी, लेकिन अंत में 0.4 पॉइंट के अंतर से गोल्ड मेडल जीता।
आज मनु जहां पर वहां तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत की है। शूटिंग रेंज उनके घर से 25 किमी दूर है। रोज इतनी दूर जाकर वह तैयारी करती थी। दो साल के भीतर, वह 15 पदक के साथ युवा (अंडर-18), जूनियर (अंडर-21) और सीनियर वर्ग में राष्ट्रीय चैंपियन बन गई।
2017 की राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में मनु भाकर ने ओलंपियन और पूर्व विश्व नंबर-1 हीना सिद्धू को चौंकाते हुए 242.3 का स्कोर कर नया रिकॉर्ड बना दिया। इसके अलावा उन्होंने साल 2017 एशियन जूनियर चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता और मनु भाकर ने बता दिया कि वह शूटिंग की दुनिया में राज करने आई हैं।
मेक्सिको के ग्वाडलजारा में अपने अंतर्राष्ट्रीय खेल शूटिंग महासंघ (आईएसएसएफ) विश्व कप में डेब्यू करते हुए मनु भाकर ने वुमेंस 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में पहुंचने के लिए क्वालिफिकेशन राउंड में जूनियर विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया। अपने डेब्यू में ही मनु ने ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अन्ना कोराकाकी, तीन बार के विश्व कप पदक विजेता सेलिन गोबर्विले और लोकल फेवरेट अलेजांद्रा जवाला को पीछे छोड़ते हुए गोल्ड मेडल जीता।
मनु 16 साल की उम्र में आईएसएसएफ विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय खिलाड़ी हैं। साल 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में नया रिकॉर्ड बनाते हुए वुमेंस 10 मीटर एयर पिस्टल में गोल्ड मेडल जीता।
मनु ने सौरभ चौधरी के साथ मिलकर नई दिल्ली में 2019 आईएसएसएफ विश्व कप में भाग लिया और यह अब तक एक बहुत ही उपयोगी जोड़ी साबित हुई। इस जोड़ी ने 2019 में तीनों आईएसएसएफ विश्व कप के मिक्स्ड डबल्स में स्वर्ण पदक जीते। वहीं चीन में विश्व कप फाइनल में मनु भाकर ने व्यक्तिगत और मिश्रित टीम इवेंट दोनों में स्वर्ण जीते।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.