फेमिना मिस इंडिया का खिताब हर साल चर्चा में रहता है लेकिन इस बार यह कुछ खास वजह से चर्चा में है, जिसका मुख्य कारण है इसकी फर्स्ट रनर अप मान्या सिंह की कामयाबी। मान्या उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की रहने वाली हैं और उनके पिता एक रिक्शा चालक हैं। उन्होंने कड़ी मेहनत और सड़क पर रैंप वॉक करके यह खिताब जीता है। उनकी जीत पर हर कोई उनके हौसले को सलाम कर रहा है। वह कहती हैं, तू खुद की खोज में निकल, तू क्यों हताश है तू चल, तेरे वजूद की समय को भी तलाश है।
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले की रहने वाली मान्या सिंह को कल तक कोई नहीं जानता था, लेकिन आज उनके बारे में हर कोई जानना चाह रहा है। मान्या के पिता ओमप्रकाश सिंह मुंबई में ऑटो रिक्शा चलाते हैं और उनकी मां मनोरमा देवी मुंबई में टेलर की दुकान चलाती हैं। खिताब जीतने के बाद मान्या सिंह सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगीं। उनके कुछ फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इसमें मान्या सड़क पर हिल्स पहनकर रैंप वॉक करती नजर आ रही हैं। मान्या ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कोयला कैसे डायमंड बना। मान्या के इस वीडियो को फैन्स खूब पसंद कर रहे हैं शेयर भी कर रहे हैं। मान्या ने बताया कि पिता के रिक्शा चालक होने के कारण उनको सब कुछ हाथ में नहीं मिला। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। कई रातें भूखे पेट गुजारीं। इंस्टाग्राम पर अपने परिवार की तस्वीरें शेयर करते हुए मान्या ने बताया कि, मैंने भोजन और नींद के बिना कई रातें बिताई हैं। मैं कई दोपहर मीलों पैदल चली। मेरा खून, पसीना और आंसू मेरी आत्मा के लिए खाना बने और मैंने सपने देखने की हिम्मत जुटाई। रिक्शा चालक की बेटी होने के नाते, मुझे कभी स्कूल जाने का अवसर नहीं मिला क्योंकि मुझे अपनी किशोरावस्था में काम करना शुरू करना था। मेरे पास जितने भी कपड़े थे, वो खुद से सिले हुए थे।
मुश्किलों भरा था समय
मान्या ने बताया कि उनका यह सफर काफी मुश्किलों से भरा था लेकिन मेरे माता- पिता ने हमेशा मेरा सपोर्ट किया। मेरी मां ने मेरे परीक्षा की फीस भरने के लिए अपने गहने तक गिरवी रख दिए और हमेशा पैशन को फॉलो करने के लिए कहा। मान्या बताती हैं कि वह दिन के वक्त मैं पढ़ाई करती थी, शाम को बर्तन धोती थीं और रात के वक्त कॉल सेंटर में काम करती थीं। रिक्शे का किराया बचाने के लिए वह काफी दूर तक चलती थीं। उन्होंने कहा कि वह फेमिना मिस इंडिया के मंच पर अपने सिर्फ अपने माता- पिता और भाई की वजह से हैं। इन लोगों ने मुझे सिखाया कि आपको अगर खुद पर विश्वास है तो आपके सपने पूरे हो सकते हैं। वह दूसरों को भी यही सलाह देती हैं कि सपने पूरे करने हैं तो खुद पर विश्वास करना होगा।
कॉल सेंटर में काम बातचीत का लहजा सीखने को किया
मान्या कहती हैं कि कॉल सेंटर में काम का मकसद महज पैसे कमाकर घर चलाना नहीं था, बल्कि वो सौंदर्य प्रतियोगिता का भी हिस्सा था। वह कहती हैं कि कॉल सेंटर में काम करते हुए, मैं बात करने का अंदाज सीखना चाहती थी और खुद पर अपना विश्वास बढ़ाना चाहती थी, इसलिए नौकरी की।
घर छोड़कर आ गई थीं मुंबई
घर के खराब माहौल के चलते एक बार मान्या गोरखपुर से ट्रेन में बैठकर अकेले ही मुंबई आ गईं थीं। तीन दिन के इस सफर के दौरान मान्या ने कुछ खाया-पिया नहीं था क्योंकि उनके पास एक भी पैसे नहीं थे। मान्या कहती हैं कि चाहे जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं मगर वह जिंदगी में कभी हार नहीं मानेंगी। वह कहती हैं कि तू खुद की खोज में निकल, तू क्यों हताश है तू चल, तेरे वजूद की समय को भी तलाश है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.