पेट,कमर दर्द से जूझ रही मीरा ने कंपटीशन शुरू करने से पहले आंखों में आंसू लिए मां को अपना हाल बताया, तबियत ठीक नहीं होने का पता लगने पर मीरा और कोच विजय शर्मा के परिवार ने व्रत रखकर पूजा अर्चना शुरू कर दी।
हेमंत रस्तोगी
ओलंपिक की भारोत्तोलन स्पर्धा में पदक के लिये भारत का 21 वर्ष का इंतजार खत्म करते हुए मीराबाई चानू ने 49 किलो वर्ग में रजत पदक जीता। ओलंपिक में रजत पदक की खबर आते ही पूरा भारत खुशी से झूम उठा। इस खबर को जिसने भी सुना उसके चेहरे पर बस मुस्कान और खुशी ही थी। हर कोई इस खुशी के क्षण को सोशल मीडिया पर शेयर करने लगा। देशवासियों को यह खुशी देने के लिए मीराबाई ने बहुत मेहनत की।
सब कुछ उम्मीदों के मुताबिक चल रहा था, लेकिन कंपटीशन की रात मीरा ने अचानक कोच विजय शर्मा को फोन किया कि सर, उनके पेट और कमर में दर्द शुरू हो गया है। यह सुनते ही कोच की नींद उड़ गई। उन्होंने आनन-फानन में वेटलिफ्टिंग संघ के महासचिव सहदेव यादव को फोन किया। मीरा को कुछ दवाईयां दी गईं, लेकिन इस दर्द ने कोच को सारी योजनाएं बदलने पर मजबूर कर दिया। जहां दिमाग में रजत और स्वर्ण की बात चल रही थी। अचानक फैसला लिया गया कि नहीं शुरू में कांस्य की लड़ाई लडनी है। कंपटीशन से ठीक पहले शनिवार को मीरा भी दर्द को लेकर तनाव में थीं। उन्होंने लिफ्ट उठाने से पहले मां को वीडियो कॉल लगाई। वह भावुक थीं। उन्होंने मां को हाल बताया, लेकिन मां का प्यार-दुलार भरा हौसला मीरा के लिए जादू कर गया और उन्होंने कमर दर्द से कराहने के बावजूद देश को वेटलिफ्टिंग में पहला रजत पदक दिला दिया।
...और शुरू हो गया पूजा-पाठ का सिलसिला
मीरा ने शुक्रवार की रात को भी मां को फोन किया और बताया कि उनके दर्द हो रहा है। विजय ने भी मोदीनगर में अपनी पत्नी को यह बात बताई तो मीरा और विजय का परिवार भी परेशान हो उठे। सभी को लगा कि पिछले पांच साल की तपस्या का पता नहीं क्या फल मिलेगा। मीरा और विजय के पूरे परिवार ने शनिवार को गुरु पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर पूजा-पाठ शुरू कर दिया। इंडियन वेटलिफ्टिंग फेडरेशन में भी यही हाल था खुद महासचिव की पत्नी पूजा पर बैठी थीं।
अंतिम लिफ्ट छुड़ाने की नौबत आ पड़ी पर मीरा नहीं मानीं
स्नैच और क्लीन एंड जर्क के दौरान मीरा के चेहरे पर कमर पर पड़ते दबाव के भाव साफ देखे जा सकते थे। क्लीन एंड जर्क की दूसरी लिफ्ट उठाते ही मीरा का रजत तय हो गया था। सहदेव के अनुसार उस दौरान टीम मैनेजमेंट ने फैसला लिया कि मीरा के दर्द को देखते हुए उसे तीसरी लिफ्ट नहीं उठवाते हैं, लेकिन मीरा लिफ्ट उठाने के लिए तैयार थीं। उन्होंने अंतिम 117 किलो की लिफ्ट का प्रयास किया लेकिन दर्द के कारण वह इसे नहीं उठा पाईं।
गुरु को दिया गुरु पूर्णिमा पर पदक का तोहफा
कोच विजय शर्मा टोक्यो से अमर उजाला को साफ करते हैं कि मीरा जब स्नैच में 84 किलो की पहली लिफ्ट उठाने गईं तो वह सभी बेहद तनाव में थे। वह 85 किलो से शुरूआत करना चाहते थे, लेकिन दर्द के चलते 84 किलो दिया गया। पहली लिफ्ट में भी मीरा दर्द से असहज हुईं, लेकिन स्नैच के बाद उन्हें विश्वास हो गया कि पदक आने जा रहा है। विजय बोले आज गुरू पूर्णिमा का दिन है। मीरा के पदक से अच्छा उनके लिए और क्या तोहफा हो सकता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.