दोस्तों के साथ मौज-मस्ती के लिए बाइक राइडिंग करने वाली बंगलुरू की रहने वाली ऐश्वर्या पिसे की जिंदगी का यह कब अहम हिस्सा बन गया उन्हें खुद भी नहीं पता चला। इस बीच दोस्तों ने इसे उन्हें अपना प्रोफेशन बनाने को कहा तो ऐश्वर्या का हौसला मिल गया और उन्होंने कुछ अलग करने की ठान ली। आखिरकार उनकी मेहनत 11 अगस्त को उस समय सफल हो गई, जब उन्होंने हंगरी के वरपलोटा में महिला वर्ग में एफआईएम विश्व कप के खिताब पर अपना कब्जा जमा लिया। इसके साथ ही मोटरस्पोर्ट्स के क्षितिज पर पूरे विश्व में भारत का डंका बज गया।
नई दिल्ली। वह कई बार चोटिल हुई, महीनों अस्पताल के बेड पर पड़ी-पड़ी जिंदगी की जंग लड़ती रही, लेकिन न ही उसका जज्बा कम हुआ और न ही उसने कभी हार मानी। हर बार एक चैम्पियन की तरह पहले से ज्यादा जोश और जुनून से उठ खड़ी हुई। उसके हौसले के आगे परेशानियां भी बौनी पड़ गईं। दर्द को उसने अपना साथी बना लिया और महज 23 साल की उम्र में वह कारनामा कर दिखाया जो इस 135 करोड़ की आबादी वाले देश में इससे पहले किसी महिला ने नहीं किया था। यहां हम बात कर रहे हैं बंगलुरू की रहने वाली ऐश्वर्या पिसे की। दोस्तों के साथ मौज-मस्ती के लिए बाइक राइडिंग करने वाली ऐश्वर्या की जिंदगी का यह कब अहम हिस्सा बन गया उन्हें खुद भी नहीं पता चला। इस बीच दोस्तों ने इसे उन्हें अपना प्रोफेशन बनाने को कहा तो ऐश्वर्या का हौसला मिल गया और उन्होंने कुछ अलग करने की ठान ली। आखिरकार उनकी मेहनत 11 अगस्त को उस समय सफल हो गई, जब उन्होंने हंगरी के वरपलोटा में महिला वर्ग में एफआईएम विश्व कप का खिताब अपने नाम कर लिया। इसके साथ ही मोटरस्पोर्ट्स के क्षितिज पर पूरे विश्व में भारत का डंका बज गया। इस उपलब्धि के साथ ऐश्वर्या मोटरस्पोर्ट्स में विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय रेसर बन गई हैं। इस इवेंट को इंटरनेशनल मोटरसाइकिल फेडरेशन ने कराया था। उन्होंने 11 अगस्त को चैम्पियनशिप के अंतिम राउंड में यह ऐतिहासिक सफलता हासिल की। वह जूनियर वर्ग में भी दूसरे स्थान पर रहीं।
हर राउंड में होता रहा उतार-चढ़ाव
ऐश्वर्या ने दुबई में खेले गए पहले राउंड में जीत हासिल की थी। पुर्तगाल में खेले गए अगले राउंड में वह तीसरे, स्पेन में खेले गए राउंड में वह पांचवें और हंगरी में चौथे स्थान पर रहीं। इन सभी को मिलाकर उन्होंने कुल 65 अंक अपने खाते में डाले जो पुर्तगाल की रिता विएरा से सिर्फ चार अंक ज्यादा थे।
पिछले साल स्पेन में हुईं थी गंभीर रूप से घायल
टाइटल जीतने के बाद ऐश्वर्या ने कहा, "यह भावुक करने वाला क्षण है। मेरे पास बयां करने के लिए शब्द नहीं है। पिछले साल स्पेन बाजा में अपने पहले इंटरनेशनल सीजन में बुरी तरह से घायल होने के बाद वापसी करना और फिर चैंपियनशिप जीतना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। एक के बाद एक हुए एक्सीडेंट में जिंदगी और मौत से जूझते हुए निकलना मेरे लिए कठिन था। अब खुश हूं कि इतनी शानदार वापसी हुई है। यह मेरे लिए कठिन समय था लेकिन, मुझे खुद पर विश्वास था। घायल होने के 6 महीने बाद एक बार फिर मैं बाइक पर थी और आज ये टाइटल जीत गई। वर्ल्डकप जीतना मेरे लिए बहुत कुछ है। अपने परफॉर्मेंस को और बेहतर करने में मुझे ये यहां से मिले अनुभव बहुत काम आएंगे।"
पांच साल से कर रहीं बाइक राइडिंग
ऐश्वर्या पिछले 5 साल से बाइकिंग कर रही हैं। 5 नेशनल रोड रेसिंग और रैली चैंपियनशिप टाइटल जीतने वाली वह भारत की पहली महिला हैं। वीकेंड पर दोस्तों के साथ बाइक राइड पर जाने के दौरान ही उन्हें बाइक राइडिंग से प्यार हो गया था। ऐश्वर्या ने 2015 में कोयंबटूर के ऐपेक्स रेसिंग एकेडमी में ट्रेनिंग ली। इसी दौरान उन्हें लगा कि वह प्रोफेशनल बाइक रेसर बन सकती हैं। उस दिन से आज तक ऐश्वर्या हर दिन बेहतर करती जा रही हैं।
कुछ ऐसी रही सफर की शुरुआत
ऐश्वर्या के माता-पिता का तलाक हो चुका है। वह अपने पिता के साथ रहती थीं। 12वीं कक्षा में जब वह फेल हो गईं, तब उनके पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया। इसके बाद वह अपनी मां के साथ रहने लगीं। मां ने ऐश्वर्या का पूरा साथ दिया। ऐश्वर्या ने काम और पढ़ाई, दोनों को जारी रखा। ऐश्वर्या हर वीकेंड, अपने सीनियर्स के साथ बेंगलुरु के आस-पास घूमने जाने लगीं। इनमें से ज्यादातर ट्रिप्स बाइक पर ही होती थीं और इस दौरान ही उन्होंने बाइक चलाना सीखा।ऐश्वर्या कहती हैं कि बाइक चलाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है और अगर कोई और बाइक चलाना सीख सकता है, तो वह क्यों नहीं। ऐश्वर्या ने बताया कि उन्होंने पैसे इकट्ठा करना शुरू किया ताकि वह अपनी खुद की बाइक खरीद सकें। उन्होंने ड्यूक 200 बाइक खरीदी और फिर वह नियमित तौर पर बाइक राइडिंग करने लगीं। ऐश्वर्या बताती हैं कि जब वह बाइक पर निकलती थीं, तब लोग उन्हें बड़ी हैरानी के साथ देखते थे। ऐश्वर्या ने एमटीवी के ‘चेज द मॉनसून’ प्रोग्राम में हिस्सा लिया, जिसमें उन्होंने कच्छ के रण से चेरापूंजी तक की यात्रा 24 दिनों में पूरी की। वह यात्रा पूरी करने में सफल हुईं। इसके साथ-साथ, उन्होंने सैडल सोर (1,000 मील, 24 घंटे) और बन बर्नर (2,500 मील, 36 घंटे) जैसी दो बड़ी यात्राएं और कीं। ऐश्वर्या की इस सफलता के बाद उनके दोस्तों ने उन्हें बढ़ावा देना शुरू किया और उन्हें प्रशिक्षण लेने की सलाह दी। दोस्तों का साथ मिलने के बाद ऐश्वर्या ने रेसिंग स्कूलों पर रिसर्च करना शुरू किया और आखिरकार एक उम्दा रेसिंग स्कूल से उन्होंने अपनी ट्रेनिंग शुरू की।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.