नलिनी शेखर की संस्था ने लॉकडाउन के दौरान पूरे दक्षिण भारत में कूड़ा बीनने वालों के ढाई हजार परिवारों को राशन देकर मदद की है। कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में यह हो रहा है।
हसीरु डाला (हरित बल) नामक संस्था की सह संस्थापक नलिनी शेखर दशकों से मैं कूड़ा बीनने वाले लोगों के कल्याण के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने जैसे ही कोरोना वायरस के प्रकोप के बारे में सुना, तो कूड़ा बीनने वाले परिवारों की मदद के लिए मैं सक्रिय हो गई। उन्होंने स्थिति के बिगड़ने का इंतजार नहीं किया और कूड़ा बीनने वाले परिवारों को चावल, दाल और अन्य मूलभूत चीजों से युक्त राशन का थैला बांटने का फैसला किया। राशन बांटने का काम उन्होंने उसी दिन किया जिस दिन लॉकडाउन की घोषणा हुई थी। हालांकि इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। वह कहती हैं, जब मुझे लॉकडाउन के बारे में पता चला, तो शर्मिंदगी महसूस हुई कि हमने जो राशन बांटा, वह शायद ही ज्यादा दिन चले। फिर हमने लोगों से ढाई हजार से ज्यादा कूड़ा बीनने वाले परिवारों के लिए लोगों से दान देने की अपील की, क्योंकि ऐसे कठिन समय में कूड़ा बीनने वालों के पास न तो राशन कार्ड है, न घर और न ही आय का स्रोत। लोगों ने उदारता के साथ दान दिया, जिसके चलते हम जरूरतमंदों की मदद कर पाए। चूंकि किसी को मालूम नहीं कि यह लॉकडाउन कब तक चलेगा, इसलिए हमने ऐसे परिवारों की मदद के लिए चरणबद्ध तरीके से राशन वितरण की योजना बनाई है।
राशन में क्या है
जिस राशन के थैले को कूड़ा बीनने वालों को दिया जाता है उसमें 25 किलो चावल, पांच किलो दाल, दो लीटर रसोई तेल, नमक, मिर्च पाउडर, पांच सौ ग्राम मूंगफली और पांच सौ ग्राम गुड़ होता है।
सुरक्षा का ख्याल
नलिनी के अनुसार, हमारे स्वयंसेवकों ने पहले से ही कूड़ा बीनने वालों को सोशल डिस्टेंसिंग और घर पर रहने के बारे में अवगत करा दिया है। उन्होंने हाथ की उचित ढंग से सफाई के बारे में सफाई कर्मियों और कूड़ा बीनने वालों को समझाया है।' इस काम में लगे स्वयंसेवक स्वच्छता से संबंधित सूचनाओं को कन्नड़ में अनुवाद करके बताते हैं। स्वयंसेवकों ने उन गरीबों को दूषित मास्क को इस्तेमाल करने के बाद सुरक्षित रूप से कैसे और कहां फेंकना है इसके बारे में भी शिक्षित किया। कचरा बीनने वालों को उन्हें उठाने के दौरान सावधान रहने की भी सलाह दी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.