निक्की कहती हैं, 'मेरे लिए एक पेशेवर हॉकी खिलाड़ी बनने का सपना देखना बहुत मुश्किल था। क्योंकि संसाधन की बहुत कमी थी। लेकिन मुझे पता था कि कड़ी मेहनत के दम पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है।'
भारतीय महिला हॉकी टीम की स्टार खिलाड़ी निक्की प्रधान का जन्म झारखंड में खूंटी के एक छोटे से गांव हेसल में हुआ। लेकिन निक्की के सपने बड़े थे और संसाधन बिल्कुल नहीं थे। निक्की जिस क्षेत्र से आती हैं वहां पर हॉकी बहुत ही लोकप्रिय है। बचपन में निक्की का भी हॉकी खेलने का बहुत मन होता था। लेकिन उनके पास हॉकी स्टिक नहीं थी। ऐसे में वह बांस की छड़ी और बांस की गेंद बनाकर हॉकी खेला करती थीं। अपने क्षेत्र के स्टार खिलाड़ियों से प्रेरित होकर उन्होंने बचपन में ही एक बड़ा खिलाड़ी बनने का सपना पाल लिया था। वह कहती हैं, 'मेरे लिए एक पेशेवर हॉकी खिलाड़ी बनने का सपना देखना बहुत मुश्किल था। क्योंकि संसाधन की बहुत कमी थी। लेकिन मुझे पता था कि कड़ी मेहनत के दम पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है।' इसके बाद प्रधान ने कोच दशरथ महतो के मार्गदर्शन में खेलना शुरू कर दिया। उनकी मेहनत रंग लाई और उनका दाखिला बरियातू गर्ल्स हॉकी सेंटर में हो गया। साल 2008 की बात है उन्हें बिना कोई कारण बताए हॉस्टल खाली करने के लिए कहा गया। यह बात जब दूसरे कोच को पता चली तो उन लोगों ने एक दूसर छोटे से हॉस्टल में उनके रहने का इंतजाम कराया। महिलाओं के भारत के सर्वश्रेष्ठ हॉकी कोचिंग संस्थान से बिना किसी कारण के बाहर होना एक भयानक झटका रहा होगा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अब वह टोक्यों ओलंपिक में हिस्सा लेने जा रही हैं।
निक्की अपने करियर में चोट से भी काफी परेशान रहीं। लेकिन मेहनत के दम पर उन्होंने हमेशा अपने करियर में ऊचाईयां छुईं। साल 2011 में उन्हें पहली बार अंडर-19 एशिया कप में खेलने का मौका मिला। इसमें टीम ने रजत पदक जीता था। प्रधान ने अपना पहला अंतरराष्ट्री मैच साल 2015 में खेला। हालंकि इसके बाद टीम में जगह बनाने के लिए उन्हें इंतजार करना पड़ा और साल 2016 में उन्हें दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए चुन लिया गया। इसके बाद उन्होंने टीम में अपनी जगह पक्की कर ली और आज टीम की नियमित खिलाड़ी हैं। उन्होंने रियो ओलंपिक में भी भारतीय टीम का हिस्सा रही। झारखंड की ओर से ओलंपिक खेलने वाली वह पहली महिला हैं। इसके अलावा उन्होंने अपने करियर में जो बड़े टूर्नामेंट खेले हैं उनमें एशिया कप 2017 व 2018, हॉकी विश्व लीग, महिला विश्व कप शामिल है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि निक्की इतनी बड़ी खिलाड़ी बन गई लेकिन इसके बारे में उनके परिवार वालों के अलावा किसी को भी कुछ पता नहीं था। उनके बारे में जब मीडिया में खबरे चलने लगी तब उनके गांव और आसपास के लोगों को उनके बारे में पता चला।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.