नेपाल में स्थित माउंट एवरेस्ट दुनिया का सर्वोच्च शिखर है। इसे फतह करने के लिए हर साल दुनिया के कोने-कोने से पर्वतारोही आते हैं। इनमें से कुछ को कामयाबी मिलती है, तो ज्यादातर के हाथ मायूसी ही आती है। माउंट एवरेस्ट को फतह करने का एक ऐसा ही सपना देखा बिहार की एक बेटी ने। इस सपनों को पूरा करने के लिए इस बेटी ने पूरा दमखम लगाया और तब तक नहीं रुकी जब तक एवरेस्ट के शिखर पर तिरंगा फहरा नहीं दिया।
नई दिल्ली। नेपाल में स्थित माउंट एवरेस्ट दुनिया का सर्वोच्च शिखर है। इसे फतह करने के लिए हर साल दुनिया के कोने-कोने से पर्वतारोही आते हैं। इनमें से कुछ को कामयाबी मिलती है, तो ज्यादातर के हाथ मायूसी ही आती है। माउंट एवरेस्ट को फतह करने का एक ऐसा ही सपना देखा बिहार की एक बेटी ने। इस सपनों को पूरा करने के लिए इस बेटी ने पूरा दमखम लगाया और तब तक नहीं रुकी जब तक एवरेस्ट के शिखर पर तिरंगा फहरा नहीं दिया। हम यहां बात कर रहे हैं बिहार के सिवान जिले के जामो गांव में जन्मी निरुपमा पांडेय की। एवरेस्ट को फतह करने वालीं वह बिहार की अब तक की एकमात्र शख्सियत हैं। निरुपमा की इस उपलब्धि के साथ ही बिहार देश का ऐसा 13वां राज्य बन गया है, जहां के लोगों ने एवरेस्ट पर चढ़ाई पूरा करने का गौरव हासिल किया है।
इंडियन एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर हैं निरुपमा
भारत को पुरुष प्रधान देश माना जाता है। यहां सेना में पुरुषों का दबदबा है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से यह मिथक टूटा है। एयरफोर्स से लेकर बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) और आईटीबीपी (इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस) में महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। लेकिन अभी इनका अनुपात पुरुषों की अपेक्षा काफी कम है। इन हालातों में विकास की दौड़ में काफी पीछे चल रहे बिहार की कोई बेटी अपने लिए सैन्य क्षेत्र को चुने तो इसे उसका हौसला और मजबूत जज्बा ही कहेंगे। सिवान जिले के छोटे से गांव जामो की रहने वाली निरुपमा पांडेय ने महिलाओं के लिए चुनौती माने जाने इंडियन एयरफोर्स को 2003 में अपने करियर के तौर पर चुना। निरुपमा ने एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर नौकरी ज्वाइन कर महिला सशक्तिकरण का जबर्दस्त उदाहरण पेश कर न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे बिहार का गौरव बढ़ाया।
कॉलेज के दिनों से ही था ट्रैकिंग का शौक
निरुपमा को कॉलेज के दिनों से ही ट्रैकिंग का काफी शौक था। यही वजह थी कि उन्होंने कॉलेज में नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) को भी ज्वाइन किया था। निरुपमा पहले अन्य लड़कियों की तरह किसी मल्टी नेशनल कंपनी में मोटे पैकेज की आरामदेह नौकरी करना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने केन्द्रीय विद्यालय पुणे से अपनी स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद नेस वडिआ कॉलेज ऑफ कॉमर्स पुणे से एमबीए की पढ़ाई पूरी की, लेकिन इसी दौरान उनकी सोच बदल गई। उन्होंने अपने अन्य साथियों की तरह किसी अंतरराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करने की बजाए इंडियन एयरफोर्स में जाने का रास्ता चुना। एयरफोर्स ज्वाइन करने के बाद निरुपमा ने दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर को फतह करने का लक्ष्य बनाया। इसके लिए वर्ष 2007 से उन्होंने नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग उत्कर्ष में दाखिला लिया और ट्रैकिंग की बकायदा ट्रेनिंग शुरू की। 4 साल की कड़ी मेहनत और कुशल प्रशिक्षण के बाद आखिरकार 25 मई 2011 को उन्होंने अपने सपने की तस्वीर में सफलता का रंग भरते हुए एवरेस्ट के शिखर पर तिरंगा फहरा दिया।
सीएम नीतीश कुमार ने सम्मान से नवाजा
बिहार की बेटी के अदम्य साहस को पूरी दुनिया के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सलाम करते हुए उन्हें अति विशिष्ट खेल पुरस्कार से नवाज कर उनकी हौसला अफजाई की। निरुपमा ने माउंट एवरेस्ट के अलावा माउंट कमेट, माउंट अभिगामिनी गढ़वाल, माउंट सासेर, माउंट स्टॉक कांगारी, माउंट गुलाब कांगरी को भी फतह कर चुकी हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.