दिन-प्रतिदिन खेल में महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। पहले जहां यह संख्या शून्य के बराबर थी, वहीं अब हर आयोजनों में महिला खिलाड़ियों की भागीदारी बढ़ रही है। टोक्यो ओलंपिक में भी इस बार रिकॉर्ड 55 खिलाड़ी हिस्सा लेंगी।
नई दिल्ली। दिन-प्रतिदिन खेल में महिलाओं की स्थिति सुधरती जा रही है। शुरू में हुए ओलंपिक के आयोजनों में जहां महिलाओं की संख्या नगण्य थी, वहीं अब इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। सन् 2000 में हुए सिडनी ओलंपिक के बाद महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ी है। आलम यह है कि इस बार देश की ओर से 55 महिला खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेंगी। यह लगातार दूसरा ओलंपिक है, जिसमें भारत की ओर से 50 से ज्यादा महिलाएं हिस्सा लेंगी। इससे पहले रियो ओलंपिक 2016 में देश की 54 महिला एथलीटों ने हिस्सा लिया था। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि खेलों में भारतीय महिलाओं की संख्या बढ़ रही है।
नौ ओलंपिक में नहीं रहीं एक भी महिला
भारत ने साल 1900 से 1988 तक 17 ओलंपिक में हिस्सा लिया। इनमें देश की ओर से कुल सिर्फ 44 महिलाओं ने हिस्सा लिया था। भारत अब 24 ओलंपिक गेम्स में हिस्सा ले चुका है। इनमें से 9 में देश की ओर से एक भी महिलाओं ने हिस्सा नहीं लिया। इनमें आजादी से पहले 5 (1900, 1920, 1928, 1932, 1936) और आजादी के बाद के 4 ओलंपिक गेम्स (1948, 1960, 1968 और 1976) शामिल हैं। इनके अलावा 3 ओलंपिक गेम्स (1956, 1964 और 1972) में भारत से सिर्फ 1-1 महिला एथलीट ही ओलंपिक में हिस्सा ले पाईं। हालांकि 1984 में सोवियत ब्लॉक के बहिष्कार के कारण 10 भारतीय महिलाओं को मौका मिला। 1988, 1992 और 1996 में भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व सिंगल डिजिट में रहा। ओलंपिक में भागीदारी के मामले में भारतीय महिलाओं की स्थिति साल 2000 में सिडनी में हुए ओलंपिक से सुधरी है। तब 19 भारतीय महिलाओं ने इस मेगा इवेंट में हिस्सा लिया। 2004 और 2008 में 25-25 भारतीय महिलाएं ओलंपिक में गईं। 2012 में देश की 23 महिलाएं ओलंपिक में खेलीं।
2016 से 50 के पार जा रहा आंकड़ा
2016 से आंकड़ा 50 के पार जा रहा है। पिछले दो ओलंपिक गेम्स में भारत ने कुल 8 मेडल जीते। इनमें से 4 मेडल महिलाओं ने दिलाए। रियो ओलंपिक (2016) में तो भारत के दोनों मेडल महिला खिलाड़ियों (पीवी सिंधु और साक्षी मलिक) ने जीते। भारत की ओर से महिला एथलीटों ने कुल 5 मेडल जीते हैं। इसकी शुरुआत 2000 सिडनी ओलंपिक में वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी ने की थी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.