परवीना ने यह सफलता अपनी मेहनत के दम पर हासिल की है। न ही उसने कोई ट्यूशन किया और न ही उसके पास किताबें थी। लेकिन उसमें, पढ़ने की इतनी ललक है कि उसने परीक्षा की तैयारी के लिए अपने दोस्तों से उधार किताबे और नोट्स मांगीं और सफलता हासिल की।
सफलता कभी अमीरी या गरीबी नहीं देखती। इसे तो बस मेहनत से ही हासिल किया जा सकता है। इसे चरितार्थ कर दिखाया मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के लतीवाजा गांव की परवीना आयूब ने। 15 साल की परवीना बेहद गरीब परिवार से आती हैं। उनका परिवार एक टिन शेड में रहता है। इन सब बातों को दरकिनार करते हुए उधार की किताबों से पढ़ाई कर परवीना ने 10वीं में 98 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। यहां तक कि उसने स्कूल के अलावा न ही कोई ट्यूशन किया और न ही किसी अन्य माध्यम से पढ़ाई की। इस प्रतिभावान लड़की ने 500 में से 490 अंक हासिल किए हैं।
परवीना कहती हैं, 'मुझे यह जानकर बेहद खुशी हुई कि मुझे 98 प्रतिशत अंक मिले हैं। परीक्षा की तैयारी के लिए मेरे पास न तो कोई किताब थी और न ही कोई नोट्स। इसके बावजूद मैंने कोई ट्यूशन नहीं लिया। मैंने अपने दोस्तों से नोट्स और किताबें उधार लीं और परीक्षा की तैयारी के लिए उन्हें अपनी नोटबुक में कॉपी कर लिया। इसी से तैयारी करके सफलता हासिल की। वह आगे कहती हैं, 'मेरे पिता एक मजदूर हैं और मैं नहीं चाहती कि वे आपनी कमाई की एक मोटी रकम मेरी पढ़ाई पर खर्च करने के लिए मजबूर हो।' परवीना गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल कुरहामा, गांदरबल में पढ़ाई कर रही हैं।
परवीना जैसी प्रतिभावान लड़कियां उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो हमेशा संसाधनों की कमी का रोना रोते रहते हैं। अगर आप मेहनत करते हैं तो आप हर वो चीज हासिल कर सकते हैं जिसके सपने देखते हैं। परवीना में पढ़ाई की ललक है उसी का नतीजा है कि आज उसकी चर्चा हर ओर हो रही है। बहुत से बच्चे हैं जिनके पास सभी संसाधन मौजूद होने के बावजूद वह पढ़ाई नहीं करते। लेकिन उस बच्ची ने उधान किताबें और नोट्स मांगकर पढ़ाई की और सफलता हासिल की। 10वीं के इस रिजल्ट में 17 बच्चों ने 100 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। लेकिन उन 17 बच्चों में से परवीना के 98 प्रतिशत अंक कहीं बेहतर हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.