पटना की अर्चना ने बचपन में पिता से वादा किया था कि वह एक दिन जज बनेगी और उसने पिता से किए इस वादे को निभाया और आज वह जज की कुर्सी तक पहुंच चुकी है।
पटना। अर्चना ने बचपन में अपने पिता को अदालत में चपरासी का काम करते देखा। पिता दिनभर जज साहब के पास रहते। जज साहब को मिलने वाले सम्मान और रुतबे को देखकर अर्चना ने पिता से कहा कि पापा मैं भी एक दिन जज बनूंगी, पिता ने बेटी की बात को हंसी में टाल दिया, लेकिन अर्चना बचपन में ही ठान चुकी थीं कि वो जज बनूंगी और परिवार का नाम रोशनी करूंगी। आज अर्चना ने बिहार न्यायिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा पास कर ली है और जल्द ही जज बन जाएगी। लेकिन उनकी कामयाबी देखने के लिए जज की कोठी में रहने के लिए उसके पिता इस दुनिया में नहीं हैं। पटना के धनरूआ थाना अंतर्गत मानिक बिगहा गांव की अर्चना पटना के कंकड़बाग में रहती थीं और आज वे अपने गांव में 'जज बिटिया' के नाम से मशहूर हो रही हैं। पटना के राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, शास्त्रीनगर से बारहवीं पास अर्चना ने पटना यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी ऑनर्स किया है।
जब उठ गया पिता का साया
अर्चना ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहीं थीं, इसी बीच 2005 में उनके पिता गौरीनंदन प्रसाद की असामयिक मृत्यु हो गई और छोटे भाई-बहनों की जिम्मेदारी उनपर ही आ गई। उन्होंने कंप्यूटर टीचर की जॉब कर ली। घरवालों के दबाव पर 21 साल में ही मेरी शादी कर दी गई, लेकिन उनके पति राजीव रंजन ने अर्चना की मदद की और शादी के दो साल बाद साल 2008 में पुणे विश्वविद्यालय में अर्चना का एलएलबी कोर्स में दाखिला करा दिया।
बच्चे को भी संभाला और सपना भी पूरा किया
कानून की पढ़ाई पूरी कर जब वे वापस पटना लौटीं तो उन्हें पता चला कि वो गर्भवती हैं। फिर साल 2012 में उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म के बाद उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई थी। लेकिन अर्चना ने एक मां की जिम्मेदारी को निभाते हुए अपने सपनों को पूरा करने की जिद को भी पाले रखा।
वो अपने 5 माह के बच्चे और अपनी मां के साथ आगे की पढ़ाई और तैयारी के लिए दिल्ली चली गईं। यहां उन्होंने एलएलएम की पढ़ाई के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की और साथ ही अपनी आजीविका के लिए कोचिंग भी चलाया। आखिर अर्चना ने जो सोचा था, उसे पूरा किया और आज वह जज की कुर्सी तक पहुंच चुकी हैं। अर्चना का कहना है कि मुश्किलों से डरें, नहीं हिम्मत से आगे बढ़ते रहें, सफलता जरूर आपके कदम चूमेगी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.