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कोलकाता की बेटी सुमी ने ऑक्सफोर्ड में बनाई कोरोना की वैक्सीन

Published - Thu 10, Sep 2020

ऑक्सफोर्ड यूनिवार्सिटी में प्रोफेसर कोलकाता की बेटी ने दुनिया को कोरोना महामारी से उबारने के लिए एक नई वैक्सीन इजाद की है। तमाम तरह की कसौटियों पर खरी उतरने के बाद इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल भी शुरू हो गया है। वैक्सीन बनाने वाली भारतीय वैज्ञानिक और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सुमी बिस्वास को पूरा भरोसा है कि उनकी वैक्सीन कारगर होगी और दुनिया को इस महामारी से उबारने का काम करेगी। आइए जानते हैं प्रोफेसर सुमी और उनकी बनाई इस वैक्सीन के बारे में....

नई दिल्ली। भारत की एक बेटी ने फिर से देश को गौरवांवित होने का मौका दिया है। लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवार्सिटी में प्रोफेसर कोलकाता की इस बेटी ने दुनिया को कोरोना महामारी से उबारने के लिए एक नई वैक्सीन इजाद की है। तमाम तरह की कसौटियों पर खरी उतरने के बाद इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल भी शुरू हो गया है। हम यहां बात कर रहे हैं वैक्सीन बनाने वाली भारतीय वैज्ञानिक और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सुमी बिस्वास की। लंदन की कंपनी स्पायबायोटेक भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर प्रोफेसर सुमी की बनाई नई वैक्सीन का ट्रायल कर रही है। प्रोफेसर सुमी इससे पहले मलेरिया के टीका बनाने में भी अहम योगदान दे चुकी हैं।

स्पायबायोटेक कंपनी की को-फाउंडर हैं सुमी

लंदन स्थित स्पायबायोटेक कंपनी की शुरुआत 2017 में हुई है। यह कंपनी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अंडर में काम करती है। कंपनी का काम कैंसर, संक्रमण से होने वाली बीमारियों और क्रॉनिक संक्रमण के लिए वैक्सीन तैयार करने काम कर रही है। प्रोफेसर सुमी बिस्वास इस कंपनी की को-फाउंडर हैं। कोरोना वैक्सीन के बारे में सुमी बताती हैं कि इसका पहला और दूसरा ह्यूमन ट्रायल ऑस्ट्रेलिया में शुरू हो गया है। यहां पर सैकड़ों लोगों को वैक्सीन की डोज दी जाएगी। अब तक इसके परिणाम काफी साकारात्मक रहे हैं।

वायरस से ही वायरस को मात देने की तैयारी

कोरोना वैक्सीन के बारे में प्रोफेसर सुमी बिस्वास बताती हैं कि इसे तैयार करने में हेपेटाइटिस-बी एंटीजन वायरस के कणों को करियर के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। इससे कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन जुड़ा है। इसकी मदद से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता (एंटीबॉडी) को विकसित किया जा सकता है। प्रोफेसर सुमी के मुताबिक एकबार लोगों में कोरोना के खिलाफ तेजी से एंटीबॉडी बनने लगे तो इसे हराना काफी आसान हो जाता है। इससे इसके संक्रमण को फैलने से भी तेजी से रोका जा सकता है।

ऑक्सफोर्ड की पीएचडी होल्डर हैं सुमी

प्रोफेसर सुमी बिस्वास मूलत: कोलकाता की रहने वाली हैं। साल 2005 में बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से माइक्रोबायोलॉजी की पढ़ाई की है। बचपन से ही तेज दिमाग और पढ़ाई में हमेशा अव्वल होने के कारण इसी सान उन्हें ब्रिटेन जाने का मौका मिला। सुमी ने वहां जाकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और पीएचडी की डिग्री पूरी की। पीएचडी के दौरान कई शोध कार्य पूरे किए। इसके साथ ही जेनर इंस्टीट्यूट के साथ कई सालों तक काम किया। इस दौरान उन्होंने मलेरिया की वैक्सीन बनाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी लगन के मुरीद उनके साथ काम करने वाले अन्य वैज्ञानिक भी हैं।

भारत की सीरम इंस्टीट्यूट से साइन किया करार

प्रोफेसर सुमी की कंपनी स्पायबायोटेक ने भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ कोरोना की वैक्सीन को लेकर समझौता किया है। तय करार के मुताबिक सीरम इंस्टीट्यूट कोरोना वैक्सीन की खुराक तैयार करेगा। इंस्टीट्यूट 1 अरब वैक्सीन की खुराक तैयार करेगा। वैक्सीन का ट्रायल सफल होने के बाद इसे पेंटेंट कराया जाएगा। प्रोफेसर सुमी के मुताबिक उनका लक्ष्य है कि जल्द से जल्द इस महामारी से दुनिया को उबारा जाए, ताकि लोग पहले की तरह खुली हवा में निश्चित होकर सांस ले सकें।