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हौसले को सलाम : ऑक्सीजन सिलिंडर के साथ दी बोर्ड की परीक्षा, मिले 69 फीसदी अंक

Published - Thu 09, Jul 2020

कहते हैं कि अगर खुद पर भरोसा और हौसला हो तो आप कुछ भी कर सकते हैं। कुछ ऐसे ही हौसले की मिसाल पेश की है, बरेली की सफिया ने। टीबी से ग्रस्त सफिया ने ऑक्सीजन सिलिंडर के सहारे यूपी बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा दी और 69 फीसदी अंक लाकर यह साबित कर दिया कि व्यक्ति अगर मेहनत करे तो कुछ भी कर सकता है।

safia

नई दिल्ली। बरेली की रहने वाली सफिया टीबी से ग्रसित हैं। उन्हें हर वक्त ऑक्सीजन सिलिंडर की जरूरत पड़ती है। सफिया ने हाईस्कूल यूपी बोर्ड की परीक्षा भी ऑक्सीजन सिलिंडर के साथ दी थी और उन्हें उनकी मेहनत और लगन का परिणाम भी मिला। सफिया ने फर्स्ट डिविजन में 69 फीसदी नंबर के साथ यह परीक्षा पास की। कहते हैं कि इरादे बुलंद हों तो बड़ी से बड़ी परेशानी भी उसके आगे घुटने टेक देती है। यह बात बरेली की 16 साल की सफिया जावेद पर बिल्कुल सटीक बैठती है। पढ़ाई को लेकर सफिया के जुनून के आगे उनके कमजोर फेफड़ों में जमा हो रहे बैक्टीरिया ने भी हार मान ली। 
सफिया पिछले पांच साल से ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) से जंग लड़ रही हैं। सफिया को हर वक्त ऑक्सिजन सिलिंडर के साथ रहना पड़ता है और इसी के बलबूते उन्होंने परीक्षा भी दी। रिजल्ट आया तो सफिया की खुशी का ठिकाना न रहा, परीक्षा में उन्हें 69 फीसदी नंबर मिले। इसमें सबसे ज्यादा 82 नंबर कला में, इंग्लिश में 77 और सामाजिक विज्ञान में 68 नंबर मिले हैं। 

बेटी को परीक्षा दिलाने के लिए नौकरी से ली छुट्टी

सफिया के पिता सरवर ने बताया, उसकी किताबें और पढ़ाई शायद उसकी सेहत में सुधार का राज है। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी सफिया कमजोर फेफड़ों की समस्या से जूझ रही हैं और ऑक्सीजन सिलिंडर हमेशा उसके साथ रहता था। सफिया के पिता सरवर जावेद नोएडा में प्राइवेट फर्म में काम करते हैं, उन्होंने अपनी बेटी को परीक्षा दिलाने के लिए नौकरी से छुट्टी ली थी।

अभिभावकों का हर वक्त मिला सपोर्ट 

पिता सरवर ने बताया, गाल ब्लैडर में सर्जरी के बाद मेरी बेटी सफिया की स्थिति खराब होने लगी। उसे टीबी हो गया था। प्राइवेट अस्पताल लेकर गए, जहां उसमें सुधार पाया गया लेकिन बाद में पल्मोनरी टीबी डायग्नोस हुई। उसके फेफड़ों में अक्सर पानी भर जाता है। इसके लिए उसे प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट दिया गया।  सफिया ने कहा, मेरे माता-पिता ने मुझे बहुत सपोर्ट किया। उन्होंने मुझ पर हमेशा विश्वास किया। मैं खुश हूं कि मैंने अपने पैरेंट्स की उम्मीदें पूरी कीं।