अगर मन में कुछ करने की इच्छा हो और साथ में दृढ़ संकल्प हो तो फिर आपको जीतने से कोई नहीं रोक सकता। इसका जीता जागता उदाहरण हैं, आंध्रप्रेदश के अनंतपुर की रहने वाली माउंटेनियर और साइकिलिस्ट समीरा खान। इन्होंने 20 देशों की यात्रा साइकिल से की है और अब वह एवरेस्ट फतह करना चाहती हैं।
नई दिल्ली। आज भी हमारे समाज में लड़कियों के आगे बढ़ने पर कई तरह की बंदिशें हैं, तो वहीं इन रुकावटों से आगे बढ़ते हुए समीरा ने यह साबित कर दिया है कि बिना परिवार के सपोर्ट के भी लड़कियां आगे बढ़ सकती हैं। जब समीरा नौ साल की थीं तो उनकी मां चल बसीं। 2015 में उनके पिता भी दुनिया छोड़कर चले गए लेकिन समीरा खान ने अपने सपने टूटने नहीं दिए। वह अब तक साइकिल से 20 देशों की यात्रा कर चुकी हैं। वह सोलो ट्रेवलर हैं। 30 साल की समीरा नेपाल के 6,858 मीटर ऊंचाई वाले अमा डबलाम की चढ़ाई कर चुकी हैं और अब उनका सपना एवरेस्ट पर फतह करने का है। इस चढ़ाई को वो नेपाल नहीं बल्कि तिब्बत की तरफ से करना चाहती हैं जबकि तिब्बत की तरफ से एवरेस्ट की चढ़ाई करना नेपाल के मुकाबले में अधिक मुश्किल है, फिर भी यह मुश्किल सपना उनकी आंखों में पल रहा है। मुश्किल हालातों का सामना करते हुए भी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के अपने सपने को पूरा करने के लिए वह कड़ी मेहनत कर रही हैं। इसके लिए वित्तीय सहायता जुटाने के लिए वह भरसक प्रयास कर रही हैं।
आर्थिक तंगी को दूर करने को नौकरी की
समीरा ने दसवीं कक्षा तक शिक्षा लेने के बाद मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी का कोर्स किया। आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए उन्होंने बेंगलुरु के बीपीओ में नौकरी करना भी शुरु किया। यहां से जो पैसा समीरा ने बचाया, उससे वो सोलो ट्रैवलिंग करने लगीं। उत्तराखंड, नेपाल, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम और भूटान पर समीरा ट्रैकिंग कर चुकी हैं। मौजूदा समय में समीरा हैदराबाद के केपलर होम सिनेमा में अपनी इंटरप्रेन्योरशिप यानी उद्यमशीलता के जरिए लोगों को प्रभावित कर रही हैं।
किताब भी लिखना चाहती हैं
समीरा एक किताब भी लिखना चाहती हैं और अपने ऊपर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाना चाहती हैं। समीरा सारी दुनिया से कहती हैं कि भारत की सभी लड़कियों को अपने घरवालों के सपोर्ट की जरूरत है, लेकिन ये बात किसी से छुपी नहीं कि समीरा ने अपने जीवन में अब तक जो कुछ भी किया है, वो अपने दम पर किया है और वो इस सफर को काफी ऊंचे मुकाम पर ले जाने की कोशिश में लगी हुईं हैं।
समीरा को लगता है कि साइकिलिस्ट बनने से उनका कॉन्फिडेंस बढ़ा है। उनका कहना है कि हर किसी को अपने सपने पूरे करने का हक है लेकिन इसके लिए बस जुनूनी होना पड़ता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.