देश की बेटियां पुलिस से लेकर सेना तक हर उस क्षेत्र में आज अपना लोहा मनवा रही हैं, जहां पहले सिर्फ पुरुषों का ही वर्चस्व था। आज हम देश की एक ऐसी ही बेटी के बारे में बातने जा रहे, जिसका नाम सुनते ही आपराधियों के साथ आतंकी भी थर-थर कांपने लगते हैं। हम यहां बात कर रहे हैं आईपीएस संजुक्ता पराशर की।
नई दिल्ली। देश की आंतरिक सुरक्षा का मसला हो या फिर सीमा पर दुश्मनों के सामने डटकर खड़े रहने जैसी बातें होते ही हमारे जहन में रौबदार पुरुष जवानों का एक खाका खुद-ब-खुद खींच जाता है। लेकिन अब यह मिथक टूटने लगा है। देश की बेटियां पुलिस से लेकर सेना तक हर उस क्षेत्र में आज अपना लोहा मनवा रही हैं, जहां पहले सिर्फ पुरुषों का ही वर्चस्व था। आज हम देश की एक ऐसी ही बेटी के बारे में बातने जा रहे, जिसका नाम सुनते ही आपराधियों के साथ आतंकी भी थर-थर कांपने लगते हैं। हम यहां बात कर रहे हैं आईपीएस संजुक्ता पराशर की। असम की इस लेडी दबंग ने कम समय में ही अपनी बहादुरी से खूब चर्चाएं और अखबारों की सुर्खियां बटोरी हैं। आईपीएस अफसर संजुक्ता ने 15 महीने में 64 आतंकियों को पकड़कर सलाखों के पीछे पहुंचाने का काम किया है।
जेएनयू से पीएचडी के बाद पास की यूपीएसी परीक्षा
आईपीएस अफसर संजुक्ता पराशर को असम के लोग लेडी सिंघम के नाम से भी जानते और पुकारते हैं। असम में शुरुआती शिक्षा लेने के बाद संजुक्ता ने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर दिल्ली की ही जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) से पीएचडी की। साल 2006 में यूपीएसी की परीक्षा में इन्होंने 85वीं रैंक हासिल कर अपने आईपीएस अफसर बनने के सपने का साकार किया। इस समय वह असम के सोनितपुर जिले में बतौर एसपी तैनात हैं।
बोडो उग्रवादियों के खिलाफ अभियान की कर रहीं अगुआई
संजुक्ता पराशर बोडो उग्रवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। इस ऑपरेशन के तहत उन्होंने 2015 में 16 आतंकियों को मार गिराया और 64 को गिरफ्तार कर जेल पहुंचाया। यही नहीं 2014 में 175 और 2013 में 172 आतंकियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया। संजुक्ता को साल 2008 में असम के माकुम में असिस्टेंट कमाडेंट के तौर पर पहली फील्ड पोस्टिंग मिली। कुछ समय बाद उन्हें उदालगिरी में हुई बोडो और बांग्लादेशियों के बीच की जातीय हिंसा को काबू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्होंने असम के सोनितपुर जिले में एसपी रहते हुए खुद एके-47 हाथ में थामकर केंद्रीय रिजर्व पुलिस (सीआरपीएफ) के जवानों की टीम के साथ वोडो उग्रवादियों की धर-पकड़ के लिए जंगलों में कॉम्बिंग करने उतर गईं थीं।
धमकियों की नहीं की कोई परवाह
उग्रवादी संगठनों की ओर से आईपीएस संजुक्ता पराशर को कई बार जान से मारने की धमकियां दी गईं। बाजारों में भी उनके खिलाफ पंफलेट चस्पा किए गए, लेकिन न तो कभी वह डरीं और न ही इसकी कभी परवाह की। आतंकियों के लिए वे बुरे सपने की तरह हैं। संजुक्ता ने आईएस अफसर पुरू गुप्ता से शादी की है। उनका एक बेटा भी हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.