Aparajita
Aparajita

महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

पहली बार महिला वैज्ञानिकों की टीम ने समुद्र में ढूंढे शैवाल, क्लाइमेट चेंज से लड़ने में करेंगे मदद

Published - Thu 18, Feb 2021

महिला वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खोज की है जो जलवायु परिवर्तन होने पर हमारी मदद करेगी। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब यह काम महिलाओं की टीम ने किया है। इन वैज्ञानिकों ने समुद्र में कई प्रकार के शैवाल ढूंढे हैं, जो क्लाइमेट चेंज से लड़ने में हमारी मदद करेंगे।

scienctist women team

नई दिल्ली। अमेरिका में कैलिफोर्निया कोऑपरेटिव ओशनिक फिशरीज इंवेस्टिगेशन पिछले 71 सालों से समुद्र और यहां पाई जाने वाली मछलियों पर रिसर्च करता आ रहा है। 1949 में शुरू किया गया यह प्रोग्राम अमेरिका के समुद्र विज्ञान में अब तक का सबसे पुराना और सबसे बड़ा माना जाता है। इसके लिए बनाई गई रिसर्च टीम तीन महीने तक जहाज में रहकर समुद्र की गहराइयों तक जाकर कई जरूरी चीजों का पता लगाती है। इस बार जो टीम भेजी गई थी, उसमें केवल और केवल महिलाएं थीं। ऐसे में इस टीम ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह टीम जुलाई में समुद्र के अंदर भेजी गई थी जो सितंबर में लौटकर आई । अमेरिका के समुद्री अनुसंधान के इतिहास में यह पहली बार है, जब टीम में केवल महिलाओं को शामिल किया गया था। 

प्रशांत महासागर में गई टीम 

महिला वैज्ञानिकों की इस टीम ने प्रशांत महासागर में कई तरह के समुद्री शैवाल का पता लगाया। यह शैवाल समुद्र में तेजी से बढ़ते हैं। ये सूरज की रोशनी से ऊर्जा और समुद्री पानी से पौष्टिक तत्व व कार्बन डाईऑक्साइड लेते हैं। टीम की सदस्य लिली की मानें तो यह समुद्री शैवाल जलवायु परिवर्तन से लड़ने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं। यह कार्बन उत्सर्जन की भरपाई भी कर सकते हैं। 

जहाज का नाम रखा 'सैली राइड'

वैज्ञानिकों के दल की प्रमुख 29 साल की एंजिला क्लेम्डसन ने इस जहाज का नाम अमेरिका की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री 'सैली राइड' के नाम पर रखा ताकि वह महिलाओं की ताकत को साबित कर सकें। वह कहती हैं कि मैं अभियान की सफलता से बेहद खुश हूं क्योंकि हमने कई विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी। टीम की सदस्य लिली की मानें तो 2014 में भी कैलकोफी की टीम को प्रशांत महासागर के गर्म और ठहरे पानी में इसी तरह के पाइरोजोम्स दिखाई दिए थे। अब हम इस बात का पता लगाएंगे कि महासागर का हरा पानी और पाइरोजोम्स की इतनी बड़ी संख्या में मौजूदगी का आपस में क्या नाता है और समुद्र पर इसका क्या प्रभाव होता है। महिला वैज्ञानिकों की टीम ने तीन महीनों में कई खास खोज की और कई नमूने व डाटा एकत्रित किए। वैज्ञानिक विश्वेषण के बाद इसके नतीजे जारी किए जाएंगे। 

कोरोना महामारी के चरम पर होने के समय की पहली यात्रा 

कोरोना महामारी काल के दौरान यह इस टीम की पहली यात्रा थी। टीम में सभी ने सख्त प्रोटोकॉल का पालन किया और कोई भी सदस्य बीमार नहीं हुआ। उन्होंने 12-12 घंटे का समय बांटकर काम किया। मास्क पहना, शारीरिक दूरी बनाए रखी और लैब में भी अलग-अलग समय पर काम किया। उनकी टीम को चैनल आइसलैंड के पास व्हेल और डॉलफिन भी देखने को मिलीं। पहले यहां शार्क काफी संख्या में थीं। पानी के लिए नमूनों में हमने पाया कि इसका रंग हरा है, जो फाइटोप्लैंकटन (पौधे जैसा सूक्ष्म जीव) की मौजूदगी के कारण होता है।