शैली की प्रतिभा को देखकर खेल पंडित उन्हें अगली अंतरराष्ट्रीय स्टार बता रहे हैं। शैली की सफलता के पीछे उनकी मां का भी बड़ा हाथ है। उनकी मां ने अकेले दम पर अपनी बेटी को मजदूरी करके पाल-पोसा है। उनकी मां कपड़े सिलकर आजीविका चलाती हैं। बेटी के खेल को जारी रखने के लिए उन्होंने तमाम संघर्षों और आर्थिक दिक्कतों का सामना किया।
भारत की 17 साल की लंबी कूद की खिलाड़ी शैली सिंह ने 22 अगस्त को अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वह इस चैंपियनशिप में लंबी कूद में पदक जीतने वालीं भारत की पहली खिलाड़ी हैं। उत्तर प्रदेश के झांसी की रहने वाली उदीयमान खिलाड़ी ने फाइनल में 6.59 मीटर की छलांग लगाई। देश का मान बढ़ाने वाली बेटी शैली का यह सफर बहुय संघर्ष भरा रहा है।
शैली की प्रतिभा को देखकर खेल पंडित उन्हें अगली अंतरराष्ट्रीय स्टार बता रहे हैं। शैली की सफलता के पीछे उनकी मां का भी बड़ा हाथ है। उनकी मां ने अकेले दम पर अपनी बेटी को मजदूरी करके पाल-पोसा है। उनकी मां कपड़े सिलकर आजीविका चलाती हैं। बेटी के खेल को जारी रखने के लिए उन्होंने तमाम संघर्षों और आर्थिक दिक्कतों का सामना किया। बचपन में शैली के पास पहनने के लिए स्पाइक्स शूज भी नहीं होते थे। शैली अभी बंगलूरू में लंबी कूद की प्रसिद्ध एथलीट अंजू बॉबी जार्ज की अकादमी में प्रशिक्षण ले रही हैं। अंजू के पति बॉबी जार्ज उनके कोच हैं। शैली ने जून में 6.48 मीटर छलांग लगाकर राष्ट्रीय (सीनियर) अंतरराज्यीय चैंपियनशिप जीती थी।
रजत से नहीं संतुष्टि, रोने लगीं
कोच बॉबी ने बताया कि शैली रजत हासिल करने के बाद रो रही थीं। वह जानती थी कि गोल्ड जीत सकती थी। कूदते समय कुछ तकनीकी मुद्दे थे वर्ना वह तो 6.65 और 6.70 मीटर भी कूद जाती। खुद शैली ने कहा कि मां ने कहा था कि स्वर्ण जीतने के लिए खेलना है जिससे स्टेडियम में राष्ट्र गान गूंजे।
शैली ने कहा, 'मैं स्वर्ण जीत सकती थी पर अभी मैं 17 साल की हूं। कोलंबिया में होने वाली अगली चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने का प्रयास करूंगी। अगले साल एशियाई और राष्ट्रमंडल खेल भी होने हैं। उनमें बेहतर करने का प्रयास रहेगा।'
अंजू बॉबी ने पहचाना टैलेंट
कई बार जूनियर राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ चुकी शैली को दिग्गज एथलीट अंजू बॉबी की अकादमी में जाने-माने प्रशिक्षक बॉबी जॉर्ज ने ट्रेनिंग दी हैं। दरअसल कई वर्ष पहले एक स्कूल में प्रतियोगिता के दौरान बॉबी की इस प्रतिभा पर नजर पड़ी थी। तब वह पांचवें स्थान पर रही थी लेकिन कोच बॉबी की नजर से प्रतिभा नहीं छिप सकी। उन्होंने और उनकी पत्नी अंजू ने शैली की मां को बंगलूरू में ट्रेनिंग के लिए बमुश्किल राजी किया था। शैली की मां नहीं चाहती कि उनकी बेटी अकेले दूसरे शहर जाए। लेकिन बहुत समझाने के बाद वह राजी हो गईं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.