नंदा देवी ईस्ट और भागीरथी को फतह करने 15 महिलाओं की टीम जाएगी। इसका नेतृत्व शीतल करेंगी। इसके लिए 12 महिलाओं का चयन हो चुका है।
पिथौरागढ़। ऑल वूमेन एक्सपीडिशन के तहत देश भर की 15 महिलाओं का दल सितंबर 2021 में नंदा देवी ईस्ट और भागीरथी-2 फतह करने निकलेगा। यह अभियान एवरेस्ट विजेता शीतल के नेतृत्व में चलाया जाएगा। इन चयनित महिलाओं को दारमा और व्यास घाटी के पहाड़ों में प्रसिद्ध पर्वतारोही योगेश गर्ब्याल प्रशिक्षण देंगे। इस 15 सदस्यीय महिलाओं के दल में 12 महिलाओं का चयन कर लिया गया है। इस दल में ऐसी महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने पर्वतारोहण का एडवांस कोर्स किया हुआ है लेकिन उन महिलाओं को पर्वतारोहण का अनुभव नहीं है। क्लाइंबिंग वियोंड द समिट की ओर से ऐसी महिलाओं को कुशल पर्वतारोहियों की टीम के साथ भागीरथी पिक्स-2, नंदा देवी ईष्ट चोटियों को फतह करने के लिए भेजा जाएगा। अभियान के तहत महाराष्ट्र की याद्धनिकी भिलेर, हिमाचल की बबीता ठाकुर, हेमलता, धारचूला की मनीषा सीपाल, पूजा सीपाल, मेनका गुंज्याल, कलावती बराल, प्रीति रावत, रेखा, दीपिका, मीनाक्षी राठौर और मोना का चयन किया गया है। तीन अन्य महिलाओं का चयन अभी बाकी है।
कोविड-19 के कारण 2020 में नहीं हो पाया ऑल वूमेन एक्सपीडिशन
कोविड-19 के कारण 2020 में ऑल वूमेन एक्सपीडिशन शुरू नहीं हो पाया। अब क्लाइंबिंग वियोंड समिट ने सितंबर 2021 में इसका आयोजन करने का निर्णय लिया है। एक्सपीडिशन के लिए महिलाओं का दल काफी उत्साहित है। इसके लिए तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं।
महिलाओं को एडवेंचर खेलों में बढ़ावा मिलेगा
एवरेस्ट विजेता शीतल के अनुसार पर्वतारोहण के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए ऑल वूमेन एक्सपीडिशन शुरू किया गया है। महिलाओं को ऐसे एडवेंचर खेलों में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए आगे आना होगा। पर्वतारोहण में भविष्य की अपार संभावनाएं हैं। इससे अन्य महिलाओं की भी रुचि बढ़ेगी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.