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शिल्पा ने की दुर्गम पहाड़ी गांवों में बेहतर उपचार की पहल

Published - Thu 03, Dec 2020

जब शिल्पा ने एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की, तभी सोच लिया था कि उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में जारी दौड़ का हिस्सा नहीं बनना है। इसलिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश के दुर्गम क्षेत्र में जाकर काम करने का फैसला किया। 

dr shilpa kumar

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित एक छोटा से गांव, रक्छम में कई महीनों सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई डॉक्टर नहीं था। पिछले साल जून में, एक 29 साल की युवा चिकित्सक, डॉ शिल्पा कुमार बीर की एक महीने की यात्रा पर गई थी। वहीं पर उनकी मुलाकात एक वृद्ध महिला से हुई जो क्रॉनिक पल्मोनरी डिजीज से ग्रसित थी। लेकिन उसका इलाज कभी नहीं हुआ था। अगर वह वृद्ध महिला शिल्पा से न मिली होती तो शायद वह बहुत जल्द मर जाती। इस घटना से उन्हें अहसास हुआ कि दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी खराब है। इसके बाद शिल्पा ने वहीं पर अपनी तैनाती की व्यवस्था की। 
शिल्पा के माता-पिता बंगलूरू में रहते हैं, जबकि वह अभी हिमाचल प्रदेश में रहती हैं। उन्होंने स्कूली शिक्षा लेने के बाद लुधियाना के एक कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद काम का अनुभव लेने के लिए वह दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में बतौर जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर काम करने लगी। वहा कहती हैं, 'हालांकि वहां मुझे कोई दिक्कत नहीं थी, पर मैं खुद से असंतुष्ट रहती थी। मैंने यह पेशा सेवा के भाव से चुना था। मैं कभी सफलता की अंधी दौड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी, बल्कि मुझे हमेशा लोगों के साथ जुड़कर काम करना पसंद था। मेरे कुछ दोस्त पहले से ही हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे थे और मैं अक्सर उनसे मिलने आती थी। ऐसी ही एक यात्रा के दौरान मैं एक बूढ़ी महिला से मिली, जो बीमार थी। बातचीत में उन्होंने बताया कि प्राथमिक उपचार लिया है, पर उनकी तबियत ठीक नहीं थी। मैंने स्टेथोस्कोप से जांच की, तो उनमें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के स्पष्ट संकेत थे। उन्हें तुरंत इलाज के लिए ले जाया गया, जिससे वह बच सकीं। इस घटना से मैं हिमाचल प्रदेश में काम करने के लिए प्रेरित हुई।'  

दिल्ली से हिमाचल
हिमाचल प्रदेश के कुछ स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से उन्हें पता चला कि राज्य में डॉक्टरों की कमी है। इसलिए सरकार शिमला में वॉक-इन-इंटरव्यू आयोजित कर रही है। चूंकि वह वहां रहकर काम करना चाहती थी, इसलिए उन्होंने तुरंत साक्षात्कार दिया और उनका चयन हो गया। उन्होंने उन दुर्गम क्षेत्रों में काम करने की इच्छा जाहिर की जहां डॉक्टर स्वेच्छा से नहीं जाते हैं।
किन्नौर को चुना
पहाड़ों पर दूरदराज व दुर्गम क्षेत्रों में लोग समय पर उचित स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ न मिल पाने के चलते परेशान रहते हैं। इसलिए जब शिल्पा से कुछ स्थानों को चुनने के लिए कहा गया, तो उन्होंने किन्नौर में काम करने की इच्छा जताई। इसके बाद उनको सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र रक्क्षम में नियुक्ति मिल गई।
लोग हुए हैरान
यहां बहुत सारे लोग दिल की बीमारियों और उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। वह अक्सर उनसे मिलने जाती रहती हैं और उनकी जांच करती हैं। शुरू में इस गांव के लोग उनको देखकर काफी हैरान थे, वह वहां पहली महिला डॉक्टर थी। हर कोई इस लिए हैरान था कि किसी को उम्मीद नहीं थी कि इतनी अच्छी डॉक्टर इस कठोर जलवायु के बीच काम करने कैसे आ गई।