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उत्तर प्रदेश में महिलाओं को मार्केंटिंग सिखा रही 'सोशल सहेली'

Published - Sun 30, May 2021

उत्तर प्रदेश में महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सोशल सहेली नेटवर्क स्किलिंग, मेंटरशिप, स्टोरीटेलिंग और मार्केटिंग सिखा रहा है, साथ ही ऑनलाइन बिजनेस के गुर भी सिखाए जा रहे हैं। यह महिलाओं का पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने का कदम है।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सोशल सहेली नेटवर्क बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह स्वयं सहायता समूहों को सामान बनाने से लेकर उसे ऑनलाइन बेचने तक का प्रशिक्षण दे रहा है। 
महिलाएं जिन्हें सहेलियां कहा जाता है। यह अचार, मसाले, बैग, कपड़े, हस्तकला की वस्तुएं, उपहार देने वाली वस्तुओं, डेयरी उत्पाद, त्वचा की देखभाल वाले उत्पाद, सौंदर्य सहित कई उत्पाद बनाती हैं। सोशल सहेली लखनऊ, गोरखपुर, लखीमपुर व कई अन्य जिलों में इन समूहों के साथ काम करती है। अब तक उत्तर प्रदेश के दो जिलों में 115 महिला स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। 
सोशल सहेली एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो महिलाओं को प्रशिक्षित करने, सामुदायिक चैंपियन की पहचान करने और सोशल मीडिया पर उनके प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग में सहायता करता है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में यह पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है, जिसका लाभ काफी संख्या में स्वंय सहायता समूह उठा चुके हैं। 

महिलाओं को आर्थिक सबलता दी जा रही 

सोशल सहेली प्लेटफॉर्म के संस्थापक व सीईओ तमसील हुसैन कहते हैं, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महिलाएं प्रमुख भूमिका निभा रही हैं।  हमारा प्रोजेक्ट, जो पीपल्स लाइक अस क्रिएट (प्लक ) द्वारा चलाया जा रहा है, जहां हम मोबाइल स्टोरीटेलिंग का इस्तेमाल करते हैं ताकि महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सकें। इसमें हम महिला समूहों के वीडियो भी बनाते हैं कि वह कैसे काम करते हैं और क्या बनाते हैं। उनके वीडियो एपिसोड को 3.3 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है। इनके उत्पादों को मुख्यधारा में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। 

कैसे बदला महिलाओं का जीवन

विभा लखनऊ की लोलई ग्राम सभा से आती हैं और लीड इंडिया नामक एक स्वयं सहायता समूह की एक समूह सखी हैं। उन्होंने 12 महिलाओं के एक समूह के साथ शुरुआत की और उन्हें स्वतंत्र बनाने के लिए मास्क बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया। एक माँ के रूप में, विभा का पहला लक्ष्य आय का स्रोत खोजना था। वे कहती हैं, लॉकडाउन के दौरान, पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि गांवों को मास्क बनाने के लिए मुफ्त में कच्चा माल मिलेगा और बदले में सब्सिडी मिलेगी। मैंने प्रत्येक 25 महिलाओं के तीन बैच बनाए और उन्हें मास्क बनाने का प्रशिक्षण दिया। अतिरिक्त कपड़े से, महिलाओं ने सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए स्कूल यूनिफॉर्म बनाई और इस प्रकार महामारी के दौरान अपनी आजीविका सुनिश्चित की। अब महिलाओं के अन्य परिधान भी बनाए जाने लगे हैं। विभा बताती हैं कि हमने हाल ही में इंडिया प्रेरणा महिला ग्राम संगठन नामक की एक ग्राम संस्था की स्थापना की है और दो यूनिट स्थापित कर रहे हैं - एक सूरजमुखी के बीज और मूंगफली से तेल निकालने के लिए और दूसरी दलिया, मसाले, मल्टी-ग्नेन आंटा बनाने के लिए। सिंगल मदर और विधवा महिलाओं को यह संगठन संपूर्ण वित्तीय भार उठाने का प्रयास कर रहा है। 

सोशल सहेली से सीखे सोशल मीडिया के गुर

विभा बताती हैं कि सोशल सहेली के साथ मैंने अपनी कहानी साझा की। अपने उत्पादों को आगे ले जाने के लिए मोबाइल स्टोरीटेलिंग और सोशल मीडिया के कौशल सीखे। उन्होंने बताया कि इस नेटवर्क ने पहले ग्रामीण महिलाओं के बैंक खाते (जन धन खाते) खोलने, आधार कार्ड प्राप्त करने और स्थानीय गांवों में शौचालय स्थापित करने में मदद की, उसके बाद आत्मनिर्भर बनने और उत्पादों को मुख्यधारा में लाने के गुर सिखाए।